
- स्वदेशी जागरण मंच ने निर्मला सीतारमण को GST काउंसिल बैठक से पहले बीड़ी पर GST दर घटाने का सुझाव दिया
- बीड़ी उद्योग में 28 प्रतिशत GST दर श्रमिकों के लिए सामाजिक सुरक्षा और कल्याण मानदंडों का उल्लंघन करती है
- मंच का मानना है कि बीड़ी पर GST दर 5 प्रतिशत रखी जानी चाहिए ताकि रोजगार और कुटीर उद्योग को राहत मिल सके
राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ से जुड़ी संस्था स्वदेशी जागरण मंच ने गुरुवार से शुरु हो रही GST काउंसिल की अहम बैठक से पहले वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण को पत्र लिखकर जीएसटी दरों के संबंध में कई सुझाव रखे हैं. स्वदेशी जागरण मंच के राष्ट्रीय सह-संयोजक, अश्वनी महाजन ने वित्त मंत्री को 2 सितम्बर को लिखी चिठ्ठी में कहा है कि बीड़ी पर GST रेट घटाया जाना चाहिए.
अश्विनी महाजन ने वित्त मंत्री को लिखा, "बीड़ी भारत के 9 से अधिक राज्यों में, विशेष रूप से महिलाओं के लिए, रोजगार का एक प्रमुख स्रोत है. स्वदेशी जागरण मंच बीड़ी श्रमिकों के कल्याण की रक्षा के लिए प्रयासरत रहा है. यह पाया गया है कि पंजीकृत बीड़ी उद्योग के मामले में 28 प्रतिशत का जीएसटी लगाया जाता है. यह दुर्भाग्यपूर्ण है कि बीड़ी निर्माण पर जीएसटी की उच्च दर, बिना कोई जीएसटी चुकाए बीड़ी बनाने के लिए अधिक प्रोत्साहन देती है. इससे बीड़ी श्रमिकों को और अधिक कठिनाइयों का सामना करना पड़ता है क्योंकि उन्हें जीएसटी या किसी अन्य सरकारी रिकॉर्ड में पंजीकृत नहीं होने के कारण सामाजिक सुरक्षा और कल्याण मानदंडों का पालन न करने के कारण नुकसान होता है".
स्वदेशी जागरण मंच का मानना है कि बीड़ी पर 28 प्रतिशत जीएसटी लगाने से बीड़ी निर्माण के पंजीकृत क्षेत्र में रोजगार को झटका लगा है. अब मंच ने वित्त मंत्री से कहा है कि बीड़ी को 5 प्रतिशत की श्रेणी में रखा जाना चाहिए, ताकि इस कुटीर उद्योग को राहत मिल सके, जिसमें बीड़ी बनाने वालों, तेंदू पत्ता संग्राहकों और वितरण तथा खुदरा व्यापार में लगे श्रमिकों को बड़ी मात्रा में रोजगार मिलता है.
स्वदेशी जागरण मंच ने वित्त मंत्री के सामने प्लास्टिक कचरे पर लगने वाले GST का भी मुद्दा उठाया है. अश्विनी महाजन ने वित्त मंत्री को लिखे पत्र में कहा है, "करोड़ों छोटे कचरा बीनने वाले विभिन्न स्रोतों से प्लास्टिक कचरा इकट्ठा करते हैं और फिर उसे अलग करके पुनर्चक्रित (recycled) किया जाता है. ये कचरा बीनने वाले आय, उपभोग और जीवन स्तर के मामले में हमारी आबादी के सबसे निचले तबके में आते हैं. पहले प्लास्टिक कचरे पर 5 प्रतिशत जीएसटी लगता था, जिसे बाद में बढ़ाकर 18 प्रतिशत कर दिया गया. इससे इन गरीब कामगारों के कचरा बीनने (rag picking) के प्रोत्साहन में कमी आने की संभावना है. विनम्रतापूर्वक अनुरोध है कि प्लास्टिक कचरे को जीएसटी की 5 प्रतिशत श्रेणी में रखा जाए".
स्वदेशी जागरण मंच के मुताबिक, ये दोनों प्रस्ताव रोजगार की रक्षा, श्रमिक कल्याण में सुधार और स्वच्छ भारत के तहत पर्यावरण प्रदूषण को कम करने के उद्देश्य को हासिल करने में मददगार साबित हो सकते हैं.
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