Susner Election Results 2023: जानें, सुसनेर (मध्य प्रदेश) विधानसभा क्षेत्र को

सुसनेर विधानसभा सीट पर साल 2018 के विधानसभा चुनाव में कुल 212753 वोटर मौजूद थे, जिनमें से 75804 ने निर्दलीय उम्मीदवार विक्रम सिंह राणा गुड्डू भाई को वोट देकर जिताया था, जबकि 48742 वोट पा सके कांग्रेस प्रत्याशी महेंद्र भैरू सिंह बापू 27062 वोटों से चुनाव हार गए थे.

Susner Election Results 2023: जानें, सुसनेर (मध्य प्रदेश) विधानसभा क्षेत्र को

Assembly Elections 2023 के अंतर्गत मध्य प्रदेश राज्य में 17 नवंबर को एक ही चरण में मतदान होगा, और चुनाव परिणाम (Election Results) 3 दिसंबर को घोषित किए जाएंगे.

हिन्दुस्तान का दिल कहलाने वाले और देश के बीचोंबीच बसे मध्य प्रदेश (Madhya Pradesh Assembly Elections 2023) राज्य के मालवा क्षेत्र में मौजूद है आगर मालवा जिला, जहां बसा है सुसनेर विधानसभा क्षेत्र, जो अनारक्षित है. वर्ष 2018 में हुए विधानसभा चुनाव में, यानी पिछले विधानसभा चुनाव में इस विधानसभा सीट पर कुल 212753 मतदाता थे, और उन्होंने निर्दलीय उम्मीदवार विक्रम सिंह राणा गुड्डू भाई को 75804 वोट देकर विजयश्री प्रदान की थी, और विधायक बना दिया था, जबकि कांग्रेस उम्मीदवार महेंद्र भैरू सिंह बापू को 48742 मतदाताओं का भरोसा हासिल हो पाया था, और वह 27062 वोटों से चुनाव हार गए थे.

इससे पहले, साल 2013 में हुए विधानसभा चुनाव में सुसनेर विधानसभा सीट से बीजेपी उम्मीदवार मुरलीधर पाटीदार ने जीत हासिल की थी, और उन्हें 79018 मतदाताओं का समर्थन मिला था. विधानसभा चुनाव 2013 के दौरान इस सीट पर कांग्रेस उम्मीदवार अम्बावतिया वल्लभ भाई को 51342 वोट मिल पाए थे, और वह 27676 वोटों के अंतर से दूसरे पायदान पर रह गए थे.

इसी तरह, विधानसभा चुनाव 2008 में सुसनेर विधानसभा क्षेत्र से बीजेपी उम्मीदवार संतोष जोशी को कुल 66224 वोट हासिल हुए थे, और वह विधानसभा पहुंचे थे, जबकि कांग्रेस प्रत्याशी गुड्डू भैया राणा विक्रमसिंह दूसरे पायदान पर रह गए थे, क्योंकि उन्हें 54289 वोटरों का ही समर्थन मिल पाया था, और वह 11935 वोटों से चुनाव में पिछड़ गए थे.

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वैसे, गौरतलब है कि विधानसभा चुनाव 2018 में, यानी पिछले विधानसभा चुनाव में मध्य प्रदेश सूबे में 114 सीटों पर जीतकर कांग्रेस राज्य में सबसे बड़ी पार्टी बनी थी, जबकि 230-सदस्यीय विधानसभा में भारतीय जनता पार्टी (BJP) के खाते में 109 सीटें ही आ पाई थीं. बाद में कांग्रेस ने 121 विधायकों के समर्थन का पत्र राज्यपाल को सौंपा था और कमलनाथ ने बतौर मुख्यमंत्री शपथ ली थी. लेकिन फिर डेढ़ साल बाद ही राज्य में नया राजनीतिक तूफ़ान खड़ा हो गया, जब ज्योतिरादित्य सिंधिया अपने समर्थक 22 विधायकों के साथ BJP में शामिल हो गए. इससे बहुमत BJP के पास पहुंच गया और शिवराज सिंह चौहान एक बार फिर सूबे के मुख्यमंत्री बन गए. इसके बाद, राज्य में 28 सीटों पर उपचुनाव भी करवाए गए और BJP ने उनमें से 19 सीटें जीतकर मैजिक नंबर के पार पहुंचने का कारनामा कर दिखाया. फिलहाल शिवराज सिंह 18 साल की अपनी सरकार की एन्टी-इन्कम्बेन्सी की लहर के बावजूद अगला कार्यकाल हासिल करने की कोशिश में जुटे हैं, और पार्टी, यानी BJP ने अपने सारे दिग्गजों को मैदान में उतार दिया है. दूसरी तरफ, कांग्रेस भी एन्टी-इन्कम्बेन्सी की ही लहर पर सवार होकर सत्ता में वापसी का सपना संजोए बैठी है. कांग्रेस पार्टी का मानना है कि इस बार उसकी संभावनाएं पहले से बेहतर हैं. अब कामयाबी किसे मिलेगी, यह तो 3 दिसंबर को चुनाव परिणाम ही तय करेंगे.