सुप्रीम कोर्ट ने देश के प्राइवेट स्कूलों से कहा है कि वे सेशन 2020-21 में उन बच्चों को पढ़ाई से वंचित नहीं करें, जिनके माता-पिता की मौत कोरोना काल में हुई है. सुप्रीम कोर्ट का यह फैसला एक मामले की सुनवाई करते हुए आया है, जिसमें कोरोना की दूसरी लहर में पिता की मौत के बाद प्राइवेट स्कूल में पढ़ रहे भाई-बहनों के लिए स्कूल फीस चुकाना काफी मुश्किल हो गया था. भाई-बहनों की पढ़ाई पर खतरा मंडराने लगा था. क्योंकि वो आर्थिक तंगियों की वजह से स्कूल की फीस नहीं दे पा रहे थे. इस मामले में टिप्पणी करते हुए सुप्रीम कोर्ट ने केंद्र सरकार, दिल्ली सरकार और प्राइवेट स्कूल को नोटिस जारी कर जवाब मांगा है.
दरअसल, एक संगठन ने सुप्रीम कोर्ट से प्राइवेट स्कूल की फीस माफ करने और पढ़ाई जारी रखने के आदेश की गुहार लगाई है. याचिका में कहा गया है कि फीस देने में असमर्थता के कारण वे उसी स्कूल में अपनी पढ़ाई बंद करने का जोखिम उठा रहे हैं. आवेदन में केंद्र सरकार और राष्ट्रीय राजधानी क्षेत्र दिल्ली सरकार को इन दोनों बच्चों की पूरी स्कूल फीस माफ/प्रतिपूर्ति करने और एक ही स्कूल में इन दोनों बच्चों की शिक्षा जारी रखने को सुनिश्चित करने का निर्देश देने की मांग की गई है. इस मामले की सुनवाई जस्टिस एलएन राव और जस्टिस हेमंत गुप्ता की पीठ ने की.
नोटिस जारी करते हुए जस्टिस एलएन राव ने कहा कि हम नोटिस जारी करेंगे, लेकिन हमें यकीन नहीं है कि इससे आपको मदद मिलेगी. एक बार जब हम इस तरह की याचिकाओं पर विचार करना शुरू कर देंगे तो बहुत से लोग दौड़कर आएंगे. हम जरूरतमंद लोगों के लिए सामान्य निर्देश दे रहे हैं. लेकिन ये मामला निचले तबके का नहीं है. याचिका में कहा गया है कि बच्चों के 47 वर्षीय पिता एक निजी कॉलेज में प्रोफेसर थे, इसी साल मई में उनकी कोविड से मौत हो गई है. इसके बाद 11वीं में पढ़ने वाली उनकी बेटी और पांचवी के छात्र बेटे की पढाई में दिक्कत हो गई है. क्योंकि उनकी मां कोई काम नहीं करती हैं और वो बच्चों की फीस नहीं दे पा रही हैं. इस संबंध में स्कूल से भी बात की गई, जिन्होंने मौखिक तौर पर भरोसा दिलाया था. लेकिन अब स्कूल की ओर से फीस के लिए दबाव डाला जा रहा है.
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