सुप्रीम कोर्ट (फाइल फोटो)
नई दिल्ली:
आम्रपाली मामले में सुनवाई के दौरान सुप्रीम कोर्ट ने आम्रपाली को कहा कि अगर वक्त पर काम पूरा नहीं हुआ तो जेल भेज देंगे. सुप्रीम कोर्ट ने आम्रपाली को ग्रेटर नोएडा वेस्ट के लैजर पार्क प्रोजेक्ट में 19 टावर पूरे करने के लिए निर्माण शुरु कर पूरा करने की इजाजत दी. साथ ही सुप्रीम कोर्ट ने 1665 फ्लैट जल्द से जल्द तैयार करने को कहा है. इसके लिए कोर्ट ने 13 डवलपर्स से साझेदारी की अनुमति दी. कोर्ट ने सात मार्च तक आम्रपाली को कोर्ट में इसके लिए अंडरटेकिंग दाखिल करने को कहा है.
कोर्ट ने कहा कि वो इसकी निगरानी करेगा और 27 मार्च को सुनवाई करेगा. सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि बाकी प्रोजेक्ट पर सुनवाई 15 मार्च को होगी. कोर्ट ने कहा कि हम पर ना रेरा का कोई असर होगा और न ही दिवालियापन कार्रवाई का. कोर्ट की कोशिश है कि लोगों को फ्लैट मिल सकें. खरीदारों की ओर से कहा गया कि उन्होंने 2010 में फ्लैट बुक किए थे और तीन साल में इसे पूरा किया जाना था. इसमें 90 फीसदी राशि जमा भी कर दी गई है. इस पर सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि वह प्रोजेक्ट के आधार पर ही सुनवाई करेगा.
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कोर्ट ने कहा कि हमें खरीदारों के हित की चिंता है और अगर कंपनी ने अपनी बात को पूरा नहीं किया और वक्त पर फ्लैट नहीं दिए तो जेल भेज दिया जाएगा. वहीं आम्रपाली की ओर से सुप्रीम कोर्ट में दाखिल ब्योरे में कहा गया है कि उसके 10 प्रोजेक्ट में 10647 फ्लैटों में से 980 फ्लैट 3 से 6 महीने के बीच, 2085 फ्लैट 6 से 9 महीने के बीच, 3130 फ्लैट 9 से 12 महीने के बीच और 4452 फ्लैट 12 से 15 महीने के बीच तैयार होंगे. फ्लैट तैयार होने के बाद ख़रीदारों को कब्ज़ा दिया जाएगा. पहले फेज में 19 टावरों के काम पूरा करने के लिए 87 करोड रुपये का खर्च आएगा.
गुरुवार को सुप्रीम कोर्ट ने कहा था कि उनकी पहली प्राथमिकता खरीदार हैं. कोर्ट ने आम्रपाली से जल्दी पूरे होने वाले प्रोजेक्ट का ब्योरा मांगा था. मामले पर सुनवाई के दौरान आम्रपाली की ओर से पेश वरिष्ठ वकील रंजीत कुमार ने कोर्ट को कुल परियोजनाओं और उनकी स्थिति का ब्योरा दिया. वहीं दूसरी ओर फ्लैट खरीदारों की ओर से पेश वकील एमएल लाहोटी ने कहा कि इस मामले में 31,200 खरीदार कोर्ट के सामने हैं जिन्होंने कुल 470 करोड़ रुपये दे रखे हैं. वैसे तो आम्रपाली के मामले में कुल 42000 होम बायर्स शामिल हैं लेकिन कोर्ट के सामने सिर्फ 31200 लोग ही पहुंचे हैं.
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लाहोटी ने कहा कि सारे प्रोजेक्ट 30 से 40 महीने देरी से चल रहे हैं. आम्रपाली ने गलैक्सी के साथ मिल कर परियोजनाओं को पूरा करने की बात कही है लेकिन गलैक्सी कंपनी की कुल कैपिटल करीब 40 करोड़ है ऐसे में वो कंपनी कैसे मदद करेगी क्योंकि आम्रपाली पर तो इससे बहुत ज्यादा की देनदारी है. इन दलीलों पर कोर्ट ने आम्रपाली से कहा था कि वह गुरुवार तक उन परियोजनाओं का ब्योरा दें जो लगभग पूरी होने की स्थिति में हैं.
कोर्ट ने कहा कि कंपनी बताए कि किस प्रोजेक्ट में कितने टावर हैं और कब तक उनका काम पूरा कर लिया जाएगा। साथ ही ये भी बताए कि इस पर कितना खर्च आएगा. कोर्ट ने कंपनी से ये भी पूछा है कि एक टावर में कुल कितने फ्लैट हैं. उसमें से कितने फ्लैट अभी नहीं बिके हैं. जब रंजीत कुमार ने इसके लिए कुछ और समय दिये जाने की मांग की तो कोर्ट ने कहा कि जो भी स्थिति है वो गुरुवार को ही बताई जाए.
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पीठ ने कहा कि उन्हें फ्लैट खरीदारों की चिंता है. कोर्ट ने कहा कि अगर उन्हें ये पता लग जाए कि इन परियोजनाओं को पूरा करने में कितना पैसा लगेगा तो वे इसके लिए दो उपाय कर सकते हैं. एक या तो कंपनी के फ्रीज खाते डिफ्रीज कर देंगे ताकि परियोजनाओं का काम पूरा हो जाए या फिर खरीदारों से कहेंगे कि वे फ्लैट मिलने पर भुगतान की जाने वाली अंतिम किस्त कोर्ट में जमा करा दें और कोर्ट उस पैसे को परियोजना कंपलीट होने के हिसाब से जारी करे.
सुप्रीम कोर्ट में नोएडा, ग्रेटर नोएडा में आम्रपाली की परियोजनाओं सिलिकान वैली, सेन्चुरियन पार्क, ड्रीम वैली, सफायर और गोल्फ होम आदि के खरीदारों की याचिकाओं पर सुनवाई हो रही है.
VIDEO: आम्रपाली, आरबीआई और केंद्र सरकार को सुप्रीम कोर्ट का नोटिस
कोर्ट ने कहा कि वो इसकी निगरानी करेगा और 27 मार्च को सुनवाई करेगा. सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि बाकी प्रोजेक्ट पर सुनवाई 15 मार्च को होगी. कोर्ट ने कहा कि हम पर ना रेरा का कोई असर होगा और न ही दिवालियापन कार्रवाई का. कोर्ट की कोशिश है कि लोगों को फ्लैट मिल सकें. खरीदारों की ओर से कहा गया कि उन्होंने 2010 में फ्लैट बुक किए थे और तीन साल में इसे पूरा किया जाना था. इसमें 90 फीसदी राशि जमा भी कर दी गई है. इस पर सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि वह प्रोजेक्ट के आधार पर ही सुनवाई करेगा.
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कोर्ट ने कहा कि हमें खरीदारों के हित की चिंता है और अगर कंपनी ने अपनी बात को पूरा नहीं किया और वक्त पर फ्लैट नहीं दिए तो जेल भेज दिया जाएगा. वहीं आम्रपाली की ओर से सुप्रीम कोर्ट में दाखिल ब्योरे में कहा गया है कि उसके 10 प्रोजेक्ट में 10647 फ्लैटों में से 980 फ्लैट 3 से 6 महीने के बीच, 2085 फ्लैट 6 से 9 महीने के बीच, 3130 फ्लैट 9 से 12 महीने के बीच और 4452 फ्लैट 12 से 15 महीने के बीच तैयार होंगे. फ्लैट तैयार होने के बाद ख़रीदारों को कब्ज़ा दिया जाएगा. पहले फेज में 19 टावरों के काम पूरा करने के लिए 87 करोड रुपये का खर्च आएगा.
गुरुवार को सुप्रीम कोर्ट ने कहा था कि उनकी पहली प्राथमिकता खरीदार हैं. कोर्ट ने आम्रपाली से जल्दी पूरे होने वाले प्रोजेक्ट का ब्योरा मांगा था. मामले पर सुनवाई के दौरान आम्रपाली की ओर से पेश वरिष्ठ वकील रंजीत कुमार ने कोर्ट को कुल परियोजनाओं और उनकी स्थिति का ब्योरा दिया. वहीं दूसरी ओर फ्लैट खरीदारों की ओर से पेश वकील एमएल लाहोटी ने कहा कि इस मामले में 31,200 खरीदार कोर्ट के सामने हैं जिन्होंने कुल 470 करोड़ रुपये दे रखे हैं. वैसे तो आम्रपाली के मामले में कुल 42000 होम बायर्स शामिल हैं लेकिन कोर्ट के सामने सिर्फ 31200 लोग ही पहुंचे हैं.
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लाहोटी ने कहा कि सारे प्रोजेक्ट 30 से 40 महीने देरी से चल रहे हैं. आम्रपाली ने गलैक्सी के साथ मिल कर परियोजनाओं को पूरा करने की बात कही है लेकिन गलैक्सी कंपनी की कुल कैपिटल करीब 40 करोड़ है ऐसे में वो कंपनी कैसे मदद करेगी क्योंकि आम्रपाली पर तो इससे बहुत ज्यादा की देनदारी है. इन दलीलों पर कोर्ट ने आम्रपाली से कहा था कि वह गुरुवार तक उन परियोजनाओं का ब्योरा दें जो लगभग पूरी होने की स्थिति में हैं.
कोर्ट ने कहा कि कंपनी बताए कि किस प्रोजेक्ट में कितने टावर हैं और कब तक उनका काम पूरा कर लिया जाएगा। साथ ही ये भी बताए कि इस पर कितना खर्च आएगा. कोर्ट ने कंपनी से ये भी पूछा है कि एक टावर में कुल कितने फ्लैट हैं. उसमें से कितने फ्लैट अभी नहीं बिके हैं. जब रंजीत कुमार ने इसके लिए कुछ और समय दिये जाने की मांग की तो कोर्ट ने कहा कि जो भी स्थिति है वो गुरुवार को ही बताई जाए.
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पीठ ने कहा कि उन्हें फ्लैट खरीदारों की चिंता है. कोर्ट ने कहा कि अगर उन्हें ये पता लग जाए कि इन परियोजनाओं को पूरा करने में कितना पैसा लगेगा तो वे इसके लिए दो उपाय कर सकते हैं. एक या तो कंपनी के फ्रीज खाते डिफ्रीज कर देंगे ताकि परियोजनाओं का काम पूरा हो जाए या फिर खरीदारों से कहेंगे कि वे फ्लैट मिलने पर भुगतान की जाने वाली अंतिम किस्त कोर्ट में जमा करा दें और कोर्ट उस पैसे को परियोजना कंपलीट होने के हिसाब से जारी करे.
सुप्रीम कोर्ट में नोएडा, ग्रेटर नोएडा में आम्रपाली की परियोजनाओं सिलिकान वैली, सेन्चुरियन पार्क, ड्रीम वैली, सफायर और गोल्फ होम आदि के खरीदारों की याचिकाओं पर सुनवाई हो रही है.
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