नई दिल्ली:
सुप्रीम कोर्ट ने अपने पुराने आदेश में संशोधन करते हुए सीबीएसई को 17 अगस्त तक ऑल इंडिया प्री मेडिकल टेस्ट यानि AIPMT की परीक्षा दोबारा कराकर रिजल्ट घोषित करने को कहा है।
इस तरह इस मामले में सीबीएसई को एक महीने का वक्त और मिल गया है। इससे पहले कोर्ट ने चार हफ्तों का वक्त दिया था, जबकि सीबीएसई का कहना था कि इसके लिए तीन महीने का वक्त और दिया जाना चाहिए।
सुप्रीम कोर्ट ने शुक्रवार को सुनवाई के दौरान सीबीएसई को कहा कि वो दोबारा परीक्षा करने के बाद 17 अगस्त तक रिजल्ट घोषित करे। साथ ही फाइनल काउंसलिंग के लिए भी 11 सितंबर की तारीख तय की गई है। इस तरह सीबीएसई को तीन महीने तो नहीं, लेकिन एक महीने का वक्त और मिल गया है, क्योंकि पहले उसे 15 जुलाई तक परीक्षा आयोजित कराने को कहा गया था।
पिछली सुनवाई में गुरुवार को सॉलीसिटर जनरल रंजीत कुमार ने सुप्रीम कोर्ट में कहा था कि सीबीएसई को सात अन्य परीक्षाएं भी करानी हैं, ऐसे में इस परीक्षा को दोबारा कराने के लिए तीन महीने का वक्त लग जाएगा। इससे पहले 15 जून को सुप्रीम कोर्ट ने परीक्षा रद्द करने के आदेश दिए थे।
आंसर शीट लीक होने के बाद परीक्षा को दोबारा करवाने की मांग करने वाली याचिका पर अपना अहम फैसला सुनाते हुए सुप्रीम कोर्ट ने सीबीएसई को निर्देश दिया था कि वह चार हफ्ते में दोबारा परीक्षा कराए। साथ ही इससे संबंधित सभी संस्थानों से कहा कि वह सीबीएसई को दोबारा परीक्षा आयोजित कराने में मदद करे।
सुप्रीम कोर्ट ने अपने आदेश में कहा था कि ये परीक्षा संदेह के घेरे में आ गई है। परीक्षा आयोजित कराने वाले सभी संस्थानों के लिए जरूरी है कि वो इस मामले में सुरक्षित प्रणाली अपनाकर जनता और छात्रों में भरोसा पैदा करे। यह परीक्षा भविष्य में बनने वाले डॉक्टरों से जुड़ी है, जो जनता के स्वास्थ्य का ध्यान रखेंगे, इस मामले में उनकी योग्यता के साथ समझौता नहीं हो सकता।
कोर्ट ने कहा था कि हम जानते हैं कि इस फैसले से परीक्षा कराने वालों को परेशानी होगी और कुछ वक्त भी लगेगा, लेकिन परीक्षा की मान्यता, विश्वसनीयता और सही छात्रों के लिए ये कीमत कुछ भी नहीं है। 3722 सीटों के लिए बीते 3 मई को 6.3 लाख छात्र परीक्षा में बैठे थे।
यह विवाद तब शुरू हुआ, जब हरियाणा के रोहतक में पुलिस ने कुछ लोगों को आंसर शीट के साथ गिरफ़्तार किया। इसके बाद कुछ छात्रों ने सुप्रीम कोर्ट में अपील दायर कर परीक्षा दोबारा कराए जाने की मांग की थी। बीते 12 जून को सुप्रीम कोर्ट ने सुनवाई के बाद मामले में 15 जून तक अपना फैसला सुरक्षित रखते हुए परीक्षा के आंसर लीक होने पर सीबीएसई को जमकर लताड़ लगाई थी।
न्यायालय ने कहा था, ''आपका पूरा सिस्टम फेल है और आपका परीक्षा सिस्टम भी पूरी तरह पुराना हो चुका है। अब सूचना प्रौद्योगिकी के जमाने में आपको परीक्षा के नए तरीके अपनाने होंगे। साथ ही न्यायालय ने बोर्ड के वकील से कहा, अगर एक भी गलत शख्स को एडमिशन मिल जाता है तो क्या हम दिन-रात मेहनत करने वाले अपने होनहार छात्रों का बलिदान नहीं दे रहे हैं?''
हरियाणा पुलिस की SIT ने 12 जून को सुप्रीम कोर्ट में स्टेट्स रिपोर्ट दाखिल की थी। पुलिस ने अपनी स्टेट्स रिपोर्ट में सुप्रीम कोर्ट को बताया था कि अब तक की जांच में खुलासा हुआ है कि देश भर के एक दर्जन परीक्षा केंद्रों पर 44 लाभार्थियों को आंसर की हासिल हुई। में मिले। छह एक्सपर्ट ने बहरोड़ के एक रिसोर्ट के तीन कमरों में बैठकर 15 मिनट में ही पेपर हल कर दिया था।
इस तरह इस मामले में सीबीएसई को एक महीने का वक्त और मिल गया है। इससे पहले कोर्ट ने चार हफ्तों का वक्त दिया था, जबकि सीबीएसई का कहना था कि इसके लिए तीन महीने का वक्त और दिया जाना चाहिए।
सुप्रीम कोर्ट ने शुक्रवार को सुनवाई के दौरान सीबीएसई को कहा कि वो दोबारा परीक्षा करने के बाद 17 अगस्त तक रिजल्ट घोषित करे। साथ ही फाइनल काउंसलिंग के लिए भी 11 सितंबर की तारीख तय की गई है। इस तरह सीबीएसई को तीन महीने तो नहीं, लेकिन एक महीने का वक्त और मिल गया है, क्योंकि पहले उसे 15 जुलाई तक परीक्षा आयोजित कराने को कहा गया था।
पिछली सुनवाई में गुरुवार को सॉलीसिटर जनरल रंजीत कुमार ने सुप्रीम कोर्ट में कहा था कि सीबीएसई को सात अन्य परीक्षाएं भी करानी हैं, ऐसे में इस परीक्षा को दोबारा कराने के लिए तीन महीने का वक्त लग जाएगा। इससे पहले 15 जून को सुप्रीम कोर्ट ने परीक्षा रद्द करने के आदेश दिए थे।
आंसर शीट लीक होने के बाद परीक्षा को दोबारा करवाने की मांग करने वाली याचिका पर अपना अहम फैसला सुनाते हुए सुप्रीम कोर्ट ने सीबीएसई को निर्देश दिया था कि वह चार हफ्ते में दोबारा परीक्षा कराए। साथ ही इससे संबंधित सभी संस्थानों से कहा कि वह सीबीएसई को दोबारा परीक्षा आयोजित कराने में मदद करे।
सुप्रीम कोर्ट ने अपने आदेश में कहा था कि ये परीक्षा संदेह के घेरे में आ गई है। परीक्षा आयोजित कराने वाले सभी संस्थानों के लिए जरूरी है कि वो इस मामले में सुरक्षित प्रणाली अपनाकर जनता और छात्रों में भरोसा पैदा करे। यह परीक्षा भविष्य में बनने वाले डॉक्टरों से जुड़ी है, जो जनता के स्वास्थ्य का ध्यान रखेंगे, इस मामले में उनकी योग्यता के साथ समझौता नहीं हो सकता।
कोर्ट ने कहा था कि हम जानते हैं कि इस फैसले से परीक्षा कराने वालों को परेशानी होगी और कुछ वक्त भी लगेगा, लेकिन परीक्षा की मान्यता, विश्वसनीयता और सही छात्रों के लिए ये कीमत कुछ भी नहीं है। 3722 सीटों के लिए बीते 3 मई को 6.3 लाख छात्र परीक्षा में बैठे थे।
यह विवाद तब शुरू हुआ, जब हरियाणा के रोहतक में पुलिस ने कुछ लोगों को आंसर शीट के साथ गिरफ़्तार किया। इसके बाद कुछ छात्रों ने सुप्रीम कोर्ट में अपील दायर कर परीक्षा दोबारा कराए जाने की मांग की थी। बीते 12 जून को सुप्रीम कोर्ट ने सुनवाई के बाद मामले में 15 जून तक अपना फैसला सुरक्षित रखते हुए परीक्षा के आंसर लीक होने पर सीबीएसई को जमकर लताड़ लगाई थी।
न्यायालय ने कहा था, ''आपका पूरा सिस्टम फेल है और आपका परीक्षा सिस्टम भी पूरी तरह पुराना हो चुका है। अब सूचना प्रौद्योगिकी के जमाने में आपको परीक्षा के नए तरीके अपनाने होंगे। साथ ही न्यायालय ने बोर्ड के वकील से कहा, अगर एक भी गलत शख्स को एडमिशन मिल जाता है तो क्या हम दिन-रात मेहनत करने वाले अपने होनहार छात्रों का बलिदान नहीं दे रहे हैं?''
हरियाणा पुलिस की SIT ने 12 जून को सुप्रीम कोर्ट में स्टेट्स रिपोर्ट दाखिल की थी। पुलिस ने अपनी स्टेट्स रिपोर्ट में सुप्रीम कोर्ट को बताया था कि अब तक की जांच में खुलासा हुआ है कि देश भर के एक दर्जन परीक्षा केंद्रों पर 44 लाभार्थियों को आंसर की हासिल हुई। में मिले। छह एक्सपर्ट ने बहरोड़ के एक रिसोर्ट के तीन कमरों में बैठकर 15 मिनट में ही पेपर हल कर दिया था।
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