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अरावली मामले में सुप्रीम कोर्ट ने लिया स्वत: संज्ञान, सोमवार को तीन जजों की बेंच करेगी सुनवाई

बीते दिनों केंद्र सरकार ने भी अरावली को लेकर एक बड़ा फैसला लिया था. केंद्रीय पर्यावरण, वन और जलवायु परिवर्तन मंत्रालय (MoEF&CC) ने राज्यों को अरावली में किसी भी नए खनन पट्टे के अनुदान पर पूर्ण प्रतिबंध लगाने के निर्देश जारी किया है.

अरावली मामले में सुप्रीम कोर्ट ने लिया स्वत: संज्ञान, सोमवार को तीन जजों की बेंच करेगी सुनवाई
अरावली का मामला अब सुप्रीम कोर्ट में
  • SC ने अरावली पहाड़ियों के संरक्षण मामले में स्वतः संज्ञान लिया है.
  • केंद्र सरकार ने अरावली क्षेत्र में नए खनन पट्टों पर पूर्ण प्रतिबंध लगाने के निर्देश दिए हैं.
  • केंद्र सरकार ने अतिरिक्त प्रतिबंधित क्षेत्रों की पहचान कर खनन पर रोक लगाने को कहा है.
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नई दिल्ली:

अरावली मामले में अब सुप्रीमट कोर्ट ने भी दखल दे दिया है. सुप्रीम कोर्ट ने इस मामले में स्वत: संज्ञान लेते हुए सोमवार को सुनवाई करने की बात कही है. इस मामले की सुनवाई तीन जजों की बेंच करेगी. इस  बेंच में CJI सूर्यकांत , जस्टिस जे के माहेश्वरी और जस्टिस एजी मसीह शामिल होंगे. इस मामले को 'अरावली पहाड़ियों और पर्वत श्रृंखलाओं की परिभाषा और संबंधित मुद्दे ' का शीर्षक दिया गया है. 

आपको बता दें कि बीते दिनों केंद्र सरकार ने भी अरावली को लेकर एक बड़ा फैसला लिया था. केंद्रीय पर्यावरण, वन और जलवायु परिवर्तन मंत्रालय (MoEF&CC) ने राज्यों को अरावली में किसी भी नए खनन पट्टे के अनुदान पर पूर्ण प्रतिबंध लगाने के निर्देश जारी किया है.

इसके अलावा, MoEF&CC ने भारतीय वानिकी अनुसंधान और शिक्षा परिषद (ICFRE) को पूरे अरावली क्षेत्र में अतिरिक्त क्षेत्रों/जोनों की पहचान करने का निर्देश दिया है, जहां केंद्र द्वारा पहले से ही खनन के लिए प्रतिबंधित क्षेत्रों के अलावा, पारिस्थितिक, भूवैज्ञानिक और भूदृश्य स्तर के विचारों के आधार पर खनन प्रतिबंधित किया जाना चाहिए.

साथ ही केंद्र सरकार ने आदेश दिया था कि पहले से ही परिचालन में मौजूद खानों के लिए, संबंधित राज्य सरकारें सर्वोच्च न्यायालय के आदेश के अनुरूप सभी पर्यावरणीय सुरक्षा उपायों का कड़ाई से अनुपालन सुनिश्चित करें. पर्यावरण संरक्षण और सतत खनन प्रथाओं के पालन को सुनिश्चित करने के लिए, चल रही खनन गतिविधियों को अतिरिक्त प्रतिबंधों के साथ सख्ती से विनियमित किया जाना है. कुछ दिन पहले देश के पर्यावरण मंत्री भूपेंद्र यादव ने भी सरकार का पक्ष साफ कर दिया था. उन्होंने एक खास इंटरव्यू में बताया  था कि सरकार अरावली को बचाने के लिए क्या कर रही है और जो बातें फैलाई जा रही हैं, उनमें कितनी सच्चाई है.

उन्होंने कहा था कि अरावली को बचाना सिर्फ पहाड़ों का मामला नहीं है. यह हमारे पर्यावरण, पीने के पानी और प्रकृति के संतुलन से जुड़ा है. सरकार इसे सुरक्षित रखने के लिए पूरी तरह तैयार है. सुप्रीम कोर्ट ने भी इस पर स्पष्ट आदेश दिए हैं. हमारा सबसे बड़ा लक्ष्य अवैध खनन (Illegal Mining) को पूरी तरह रोकना है. जब तक वैज्ञानिकों की टीम एक पक्का प्लान नहीं बना लेती, तब तक वहां किसी भी नई खुदाई की अनुमति नहीं दी जाएगी. 

केंद्रीय मंत्री ने आगे कहा था कि अरावली में खनन को लेकर कोर्ट ने कोई छूट नहीं दी है, बल्कि दो जरूरी बातें कही हैं. पहली- सरकार के 'ग्रीन अरावली प्रोजेक्ट' (हरियाली बढ़ाने की योजना) को मंजूरी दी है. दूसरी, वैज्ञानिकों (ICFRE) को जिम्मेदारी दी है कि वे अरावली का पूरा नक्शा और सुरक्षा प्लान तैयार करें. जब तक यह वैज्ञानिक रिपोर्ट नहीं आती, कोई नया खनन शुरू नहीं हो सकता.

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