सुप्रीम कोर्ट ने केंद्रीय वन और पर्यावरण मंत्रालय और केंद्रीय विद्युत प्राधिकरण को कहा है कि हाथियों के कॉरिडोर में सुरक्षा सुविधाएं सुनिश्चित करने को लेकर अपनी रिपोर्ट चार हफ्ते में दाखिल करें. सीजेआई जस्टिस डीवाई चंद्रचूड़ जस्टिस पीएस नरसिम्हा और जस्टिस जेबी पारदीवाला की पीठ ने नेशनल एलिफेंट कंजर्वेशन अथॉरिटी को वैधानिक संस्थान के रूप में मान्यता देने के साथ-साथ इसकी रिपोर्ट 'गज', पर सरकार से अपना रुख साफ करने को कहा है.
मंत्रालय ने अपने हलफनामे में कहा था कि देश भर में हाथियों के संरक्षित वन्य क्षेत्र का दायरा बढ़ाकर 77,572 वर्ग किलोमीटर कर दिया गया है. उत्तर प्रदेश के तराई के उन इलाकों को भी गज संरक्षण क्षेत्र में आरक्षित किया गया है जहां हाथियों की आवाजाही है. गज क्षेत्र में देश के 88 हाथी कॉरिडोर के 52% क्षेत्र को मान्यता दे दी गई है.
कोर्ट का आदेश करंट लगने से हाथियों की मौत को उजागर करने वाली याचिका पर आया है. याचिका में संरक्षित क्षेत्रों (वन्यजीव अभयारण्यों, राष्ट्रीय उद्यानों, सामुदायिक रिजर्व और संरक्षण भंडार), हाथी रिजर्व, चिन्हित हाथी गलियारों और हाथियों के ज्ञात क्षेत्रों से गुजरने वाली हाई-वोल्टेज बिजली लाइनों के इन्सुलेशन के लिए तत्काल प्रभाव से निर्देश देने की भी मांग की गई है.
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