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This Article is From Aug 23, 2022

सुप्रीम कोर्ट  के कर्मचारी एक अदृश्य शक्ति, जो न्याय देने में मदद करते हैं : CJI एन वी रमना 

प्रधान न्यायाधीश एन वी रमना (CJI NV Ramana) ने मंगलवार को सुप्रीम कोर्ट (Supreme Court) के कर्मचारियों के काम की तारीफ (Praise) की. उन्होंने कहा कि शीर्ष अदालत के कर्मचारी एक अदृश्य शक्ति हैं, जो न्याय देने में संस्था की मदद करते हैं.

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सुप्रीम कोर्ट  के कर्मचारी एक अदृश्य शक्ति, जो न्याय देने में मदद करते हैं : CJI एन वी रमना 
CJI ने कहा कि उन्होंने अपने कार्यकाल के दौरान कर्मचारियों की जायज चिंताओं को दूर करने की कोशिश की. 
नई दिल्ली:

प्रधान न्यायाधीश एन वी रमना (CJI NV Ramana) ने मंगलवार को सुप्रीम कोर्ट (Supreme Court) के कर्मचारियों के काम की तारीफ (Praise) की. उन्होंने कहा कि शीर्ष अदालत के कर्मचारी एक अदृश्य शक्ति हैं, जो न्याय देने में संस्था की मदद करते हैं. न्यायमूर्ति रमना  ने कोविड-19 महामारी के प्रकोप के दौरान सर्वोच्च न्यायालय के कर्मचारियों के योगदान की सराहना की, जिसके चलते शीर्ष अदालत एक दिन का भी अवकाश लिए बिना लगातार काम करना जारी रख सकी.  उच्चतम न्यायालय कर्मचारी कल्याण संघ द्वारा आयोजित सम्मान समारोह में न्यायमूर्ति रमना ने कहा कि पिछले 16 महीनों से भारत के प्रधान न्यायाधीश और आठ वर्ष तक शीर्ष अदालत के न्यायाधीश के रूप में काम करने का उनका अनुभव अद्भुत रहा है.  

उन्होंने कहा कि उच्चतम न्यायालय की रजिस्ट्री के अधिकारियों और कर्मचारियों ने इस अनुभव को यादगार बनाने में अहम भूमिका निभाई है. प्रधान न्यायाधीश ने कहा, “भारत के उच्चतम न्यायालय के कर्मचारी के रूप में, फिर चाहेवो सबसे कनिष्ठ परिचारक हो या फिर वरिष्ठ महासचिव, आप दिन-रात न्याय चक्र को चलाने में सहायता कर रहे हैं.  आप सच्ची और अदृश्य शक्ति हैं, जो न्याय देने में संस्था की सहायता करती है.  मुझे वास्तव में आप पर गर्व है.  मुझे इस संस्था पर गर्व है.  अच्छा काम करना जारी रखिए. ”

उन्होंने कहा, “अपने अनुभवों से मैं आपको बता सकता हूं कि कड़े श्रम का कोई विकल्प नहीं है.  कड़े श्रम, ईमानदारी, समर्पण और ईमानदारी का फल निश्चित रूप से मिलेगा.  जीवन और करियर दोनों में, ‘सरल रास्ते' की तलाश न करें.  ‘शॉर्टकट' लंबे समय में हानिकारक साबित होंगे. ”न्यायमूर्ति रमना ने कोविड-19 के कारण जान गंवाने वाले कर्मचारियों को श्रद्धांजलि भी दी.  उन्होंने कहा कि यह शीर्ष अदालत के कर्मचारियों के योगदान का नतीजा था कि न्यायालय एक दिन का अवकाश लिए बिना ही काम करता रहा. 

प्रधान न्यायाधीश ने कहा, “एक समय शीर्ष अदालत के 500 कर्मचारी एक दिन में कोविड-19 से संक्रमित मिले थे.  यह एक भयावह स्थिति थी.  आप सभी ने घातक महामारी के दौरान अपनी जान जोखिम में डालकर काम किया.  आपने यह सुनिश्चित किया कि उच्चतम न्यायालय एक दिन का अवकाश लिए बिना काम करता रहे.  यह संस्था के प्रति आपके समर्पण का प्रतीक है.  आप सभी को मेरा सलाम. ” न्यायमूर्ति रमना ने कहा कि उन्होंने अपने कार्यकाल के दौरान कर्मचारियों की जायज चिंताओं को दूर करने की पूरी कोशिश की. 

उन्होंने कहा, “कल्याणकारी उपायों का मकसद कर्मचारी विशेष को लाभान्वित करना नहीं है.  ये उपाय संस्था के सामूहिक लाभ के लिए हैं.  मैंने महासचिव को कुछ उपाय शुरू करने का निर्देश दिया है, जो कर्तव्यों का अधिक कुशलता से निर्वहन करने में आपकी मदद करेंगे. ” प्रधान न्यायाधीश ने कहा, “मुझे हर निर्णय को एक तार्किक निष्कर्ष तक ले जाने के लिए महासचिव को बधाई देनी चाहिए.  ऐसा ही एक कदम एक शनिवार को पूरे दिन काम करने के एवज में उसके अगले शनिवार को छुट्टी प्रदान करना ​​है. ”

उन्होंने कहा, “आप सभी को मुझे इस सुधार को अपनाने के लिए प्रेरित करने के वास्ते रजिस्ट्रार राजेश गोयल का आभार जताना चाहिए.  जहां तक शिशु देखभाल अवकाश की बात है तो मैं इसे बच्चे के साथ-साथ माता-पिता का भी अधिकार मानता हूं.  मैंने इसे मंजूरी देने से पहले दो बार नहीं सोचा. ”

कर्मचारियों की तरफ से बोलते हुए संघ के अध्यक्ष बी ए राव ने प्रधान न्यायाधीश के रूप में न्यायमूर्ति रमना द्वारा स्वीकृत कल्याणकारी उपायों का जिक्र किया. प्रधान न्यायाधीश ने सुप्रीम कोर्ट एडवोकेट्स-ऑन-रिकॉर्ड एसोसिएशन के कार्यालय और एडवोकेट्स लाउंज का भी दौरा किया.  उन्होंने बार एसोसिशन के सदस्यों के साथ बातचीत भी की.  न्यायमूर्ति रमना ने कहा कि न्यायाधीशों को बार एसोसिशन के साथ स्वतंत्र रूप से बातचीत करनी चाहिए.  भारत के 48वें प्रधान न्यायाधीश के रूप में 24 अप्रैल 2021 को शपथ लेने वाले न्यायमूर्ति 26 अगस्त को सेवानिवृत्त हो रहे हैं. 




 

(इस खबर को एनडीटीवी टीम ने संपादित नहीं किया है. यह सिंडीकेट फीड से सीधे प्रकाशित की गई है।)

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