सीनियर एडवोकेट के ऊंची आवाज में बात करने को लेकर सुप्रीम कोर्ट ने नाराजगी जाहिर की (फाइल फोटो)
नई दिल्ली:
राम जन्मभूमि-बाबरी विवाद, दिल्ली सरकार बनाम उपराज्यपाल सहित दूसरे मामलों में सीनियर एडवोकेट के ऊंची आवाज में बात करने को लेकर सुप्रीम कोर्ट ने नाराजगी जाहिर की. सुप्रीम कोर्ट ने चीफ जस्टिस दीपक मिश्रा ने कहा कि अगर बार एसोसिएशन इसे रेगुलेट नहीं करता तो हम इस रेगुलेट करेंगे.
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सुप्रीम कोर्ट के मुख्य न्यायाधीश जस्टिस दीपक मिश्रा ने कहा कि ऊंची आवाज में बहस करना किसी भी कीमत पर बर्दाश्त नहीं किया जाएगा. ये दुर्भाग्यपूर्ण है कि कुछ वकील सोचते है कि वो ऊंची आवाज में बहस कर सकते है जबकि वो ये नहीं जानते इस तरह बहस करना ये बताता है कि वो सीनियर एडवोकेट होने के लिए सक्षम नहीं है.
मुख्य न्यायाधीश ने कहा कि बुधवार को दिल्ली सरकार बनाम उपराज्यपाल और मंगलवार को अयोध्या मामले की सुनवाई के दौरान कोर्ट आदेश में कड़े शब्दों में लिखना चाहते थे लेकिन वकीलों ने कहा कि ना लिखें इसलिए हमने दया दिखाई. सुनवाई के दौरान कोर्ट सवाल पूछता ही है, कोई संवैधानिक भाषा में जवाब ना दे तो क्या किया जाए.
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गौरतलब है कि पांच दिसंबर को कपिल सिब्बल, दुष्यंत दवे और राजीव धवन ने कहा था कि वो कोर्ट से जा रहे हैं क्योंकि उनकी सुनवाई नहीं हो रही. इसी तरह दिल्ली सरकार मामले में राजीव धवन ने इसी लहजे से बात की थी. दरअसल क्या पारसी महिला किसी दूसरे धर्म के पुरुष से स्पेशल मैरिज एक्ट के तहत शादी करने के बाद अपने धर्म का अधिकार खो देती है? इस मामले पर सुनवाई के दौरान वरिष्ठ वकील गोपाल सुबरमाण्यम ने कोर्ट में कहा कि उन्हें इस बात का खेद है दिल्ली बनाम उपराज्यपाल मामले में सुनवाई के दौरान एक वरिष्ठ वकील ने बेंच से ऊंची आवाज में बहस की.
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सुप्रीम कोर्ट के मुख्य न्यायाधीश जस्टिस दीपक मिश्रा ने कहा कि ऊंची आवाज में बहस करना किसी भी कीमत पर बर्दाश्त नहीं किया जाएगा. ये दुर्भाग्यपूर्ण है कि कुछ वकील सोचते है कि वो ऊंची आवाज में बहस कर सकते है जबकि वो ये नहीं जानते इस तरह बहस करना ये बताता है कि वो सीनियर एडवोकेट होने के लिए सक्षम नहीं है.
मुख्य न्यायाधीश ने कहा कि बुधवार को दिल्ली सरकार बनाम उपराज्यपाल और मंगलवार को अयोध्या मामले की सुनवाई के दौरान कोर्ट आदेश में कड़े शब्दों में लिखना चाहते थे लेकिन वकीलों ने कहा कि ना लिखें इसलिए हमने दया दिखाई. सुनवाई के दौरान कोर्ट सवाल पूछता ही है, कोई संवैधानिक भाषा में जवाब ना दे तो क्या किया जाए.
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गौरतलब है कि पांच दिसंबर को कपिल सिब्बल, दुष्यंत दवे और राजीव धवन ने कहा था कि वो कोर्ट से जा रहे हैं क्योंकि उनकी सुनवाई नहीं हो रही. इसी तरह दिल्ली सरकार मामले में राजीव धवन ने इसी लहजे से बात की थी. दरअसल क्या पारसी महिला किसी दूसरे धर्म के पुरुष से स्पेशल मैरिज एक्ट के तहत शादी करने के बाद अपने धर्म का अधिकार खो देती है? इस मामले पर सुनवाई के दौरान वरिष्ठ वकील गोपाल सुबरमाण्यम ने कोर्ट में कहा कि उन्हें इस बात का खेद है दिल्ली बनाम उपराज्यपाल मामले में सुनवाई के दौरान एक वरिष्ठ वकील ने बेंच से ऊंची आवाज में बहस की.
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