सुप्रीम कोर्ट ने आज एक मामले की सुनवाई के दौरान कहा कि सरकार से रियायती दर पर ज़मीन पाने वाले निजी अस्पतालों को नियम मानने होंगे.
नई दिल्ली:
निजी अस्पतालों को बड़ा झटका लगा है. सुप्रीम कोर्ट ने आज एक मामले की सुनवाई के दौरान कहा कि सरकार से रियायती दर पर ज़मीन पाने वाले निजी अस्पतालों को नियम मानने होंगे और गरीबों का मुफ्त इलाज करना होगा. कोर्ट ने दिल्ली के मूलचंद, सेंट स्टीफंस, रॉकलैंड और सीताराम भरतिया अस्पतालों की अर्जी पर सुनवाई करते हुए कहा कि निजी अस्पतालों को 10% बेड गरीबों के लिए मुफ्त मुहैया कराने होंगे. दूसरी तरफ OPD में कुल मरीजों का 25% गरीबों के मुफ्त इलाज के लिए होगा. कोर्ट ने मूलचंद, सेंट स्टीफंस, रॉकलैंड और सीताराम भरतिया अस्पतालों की अर्जी भी खारिज कर दी. आपको बता दें कि इन अस्पतालों ने दिल्ली हाईकोर्ट के फैसले के खिलाफ सुप्रीम कोर्ट में अपील की थी. आपको बता दें कि कुछ दिन पहले ही दिल्ली सरकार ने भी निजी अस्पतालों को झटका दिया था.
मुजफ्फरनगर में कथित तौर पर मरीज की किडनी चोरी करने वाला निजी अस्पताल सील
दिल्ली सरकार की ओर से प्रस्तावित एक मसौदा परामर्श में भी कहा गया था कि राज्य के निजी अस्पताल ऐसे मरीजों के शव उनके परिजन को सौंपने से इंकार नहीं कर सकते, जिनकी मौत इलाज के दौरान अस्पताल में हुई हो और उनके परिवारवाले अंत्येष्टि से पहले बिल का भुगतान करने में असमर्थ हों.दिल्ली के स्वास्थ्य मंत्री सत्येंद्र जैन ने कहा कि इस प्रस्ताव का मतलब यह नहीं है कि बिल माफ हो गया.अस्पताल उन परिवारों के खिलाफ कानूनी कार्रवाई कर सकते हैं जो बाद में भी बिल का भुगतान नहीं करेंगे. ऐसे मामलों में बिल कम करने का प्रस्ताव भी दिया गया है, जिनकी मौत अस्पताल में भर्ती होने के 24 घंटे के भीतर ही हो जाती है.उन्होंने कहा,“ अगर कोई मरीज अस्पताल के इमरजेंसी कक्ष या कैजुअल्टी विभाग में भर्ती होने के छह घंटे के भीतर दम तोड़ देता है तो अस्पताल को कुल बिल का 50 प्रतिशत और 24 घंटों के भीतर होने वाली मौत के मामले में 20 प्रतिशत बिल माफ कर देना चाहिए”.
बिल को लेकर शव सौंपने से मना नहीं कर सकते अस्पताल : दिल्ली सरकार
VIDEO: रणनीति इंट्रो : क्या निजी अस्पतालों की मनमानी पर रोक लगेगी?
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दिल्ली सरकार की ओर से प्रस्तावित एक मसौदा परामर्श में भी कहा गया था कि राज्य के निजी अस्पताल ऐसे मरीजों के शव उनके परिजन को सौंपने से इंकार नहीं कर सकते, जिनकी मौत इलाज के दौरान अस्पताल में हुई हो और उनके परिवारवाले अंत्येष्टि से पहले बिल का भुगतान करने में असमर्थ हों.दिल्ली के स्वास्थ्य मंत्री सत्येंद्र जैन ने कहा कि इस प्रस्ताव का मतलब यह नहीं है कि बिल माफ हो गया.अस्पताल उन परिवारों के खिलाफ कानूनी कार्रवाई कर सकते हैं जो बाद में भी बिल का भुगतान नहीं करेंगे. ऐसे मामलों में बिल कम करने का प्रस्ताव भी दिया गया है, जिनकी मौत अस्पताल में भर्ती होने के 24 घंटे के भीतर ही हो जाती है.उन्होंने कहा,“ अगर कोई मरीज अस्पताल के इमरजेंसी कक्ष या कैजुअल्टी विभाग में भर्ती होने के छह घंटे के भीतर दम तोड़ देता है तो अस्पताल को कुल बिल का 50 प्रतिशत और 24 घंटों के भीतर होने वाली मौत के मामले में 20 प्रतिशत बिल माफ कर देना चाहिए”.
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