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This Article is From Jun 27, 2018

तमिलनाडु विधायक मामला: सुप्रीम कोर्ट ने कहा- हाईकोर्ट में ही हो अयोग्य घोषित विधायकों के मामले की सुनवाई

अयोग्य घोषित किए गए 18 विधायकों ने सुप्रीम कोर्ट से गुहार लगाई थी कि उनकी सुवनाई मद्रास हाईकोर्ट की जगह सुप्रीम कोर्ट में ही हो.

तमिलनाडु विधायक मामला: सुप्रीम कोर्ट ने कहा- हाईकोर्ट में ही हो अयोग्य घोषित विधायकों के मामले की सुनवाई
सुप्रीम कोर्ट की फाइल फोटो
नई दिल्ली: तमिलनाडु में अयोग्‍य घोषित किए गए विधायकों के मामले की सुनवाई अब मद्रास हाईकोर्ट में ही की जाएगी. सुप्रीम कोर्ट ने बुधवार को इस मामले की सुनवाई के दौरान यह आदेश दिया है. गौरतलब है कि अयोग्य घोषित किए गए 18 विधायकों ने सुप्रीम कोर्ट से गुहार लगाई थी कि उनकी सुवनाई मद्रास हाईकोर्ट की जगह सुप्रीम कोर्ट में ही हो. इस मांग को लेकर विधायकों का तर्क था कि अगर इस मामले की सुनवाई मद्रास हाईकोर्ट में होती है तो फैसला आने में देरी हो सकती है. साथ ही विधायकों ने सही न्‍यायिक निर्णय न हो पाने का भी आरोप लगाया था. हालांकि सुप्रीम कोर्ट ने विधायकों की इस मांग को ठुकराते हुए मामले की सुनवाई मद्रास हाईकोर्ट में ही पूरी करने को कहा है.

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ध्यान हो कि स्पीकर पी धनपाल द्वारा 18 सितंबर, 2017 को भारत के संविधान की दसवीं अनुसूची और तमिलनाडु विधानसभा (शुद्धता के आधार पर अयोग्यता) नियम, 1986 के तहत अपनी शक्तियों का प्रयोग करते हुए इन विधायकों को अयोग्य घोषित कर दिया था. 22 अगस्त, 2017 को 18 याचिकाकर्ताओं  (एक और विधायक एसटीके जकाययान के अलावा जो बाद में सत्ता शिविर में शामिल हो गए) और तत्कालीन राज्यपाल (प्रभारी) सी विद्यासागर राव के बीच एक बैठक से अयोग्यता कार्यवाही शुरू हुई. इस बैठक के दौरान विधायकों ने राज्यपाल को मुख्यमंत्री को "अपना समर्थन वापस लेने" के समान प्रतिनिधित्व सौंपे.

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इस बैठक में विधायकों द्वारा बाद में प्रेस ब्रीफिंग ने मुख्य सरकार व्हिप एस राजेंद्रन को 24 अगस्त कोस्पीकर के सामने याचिका दायर करने के लिए प्रेरित किया था और मांग की थी कि 19 विधायकों को अयोग्य घोषित किया जाए. दूसरी तरफ विधायकों ने कहा कि राज्यपाल को प्रस्तुतिकरण जमा करना उनकी सदस्यता छोड़ने के समान नहीं है. हालांकि स्पीकर ने 19 विधायकों में से जकाययान को छोडकर 18 को अयोग्य घोषित कर दिया.

VIDEO: सुप्रीम कोर्ट में सब कुछ ठीक नहीं! 


जिन्होंने स्पीकर  से मुलाकात की थी और उन्हें सूचित किया था कि उन पर राज्यपाल को प्रतिनिधित्व प्रस्तुत करने का दबाव डाला गया था.अयोग्य विधायकों ने तब उच्च न्यायालय में याचिका दाखिल की. पिछले नवंबर में इस मामले में शामिल संवैधानिक मुद्दों के मद्देनजर याचिका को न्यायमूर्ति के रविचंद्रबाबू ने डिवीजन बेंच को संदर्भित किया था. 
 

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