नई दिल्ली:
सुप्रीम कोर्ट ने जम्मू जेल में पाकिस्तानी कैदी सनाउल्ला रंजय पर हमले को गंभीरता से लेते हुए आज केन्द्र और जम्मू-कश्मीर सरकार से स्पष्टीकरण मांगा कि इस हमले को रोकने के लिए उचित कदम क्यों नहीं उठाये गए थे, लेकिन कोर्ट ने सनाउल्ला को वापस पाकिस्तान भेजने की अनुमति देने से इनकार कर दिया, क्योंकि उसने अभी तक अपनी सजा पूरी नहीं की है।
न्यायमूर्ति आरएम लोढा और न्यायमूर्ति जोसेफ कुरियन की दो सदस्यीय खंडपीठ ने जम्मू जेल में 3 मई को सनाउल्ला पर हुए हमले की घटना को गंभीर मामला बताते हुए केन्द्र और जम्मू-कश्मीर सरकार से जवाब तलब किया। न्यायालय जानना चाहता है कि इस हमले को रोकने के लिए पहले से कदम क्यों नहीं उठाये गए थे।
न्यायालय ने इस घटना के सिलसिले में जेल अधिकारियों के खिलाफ की गई कार्रवाई का विवरण भी तलब किया है। न्यायालय ने केन्द्र और राज्य सरकार को यह सुनिश्चित करने का निर्देश दिया है कि इस तरह की घटनाओं की पुनरावृत्ति नहीं हो। न्यायाधीशों ने चंडीगढ़ के अस्पताल में इलाज करा रहे सनाउल्ला को वापस पाकिस्तान भेजने का अनुरोध ठुकराते हुए कहा कि अभी इस कैदी ने उम्रकैद की सजा पूरी नहीं की है। न्यायाधीशों ने कहा, रंजय के बारे में हम पहले ही कह चुके हैं कि वह उम्र कैद की सजा भुगत रहा है ओर उसे वापस भेजने का सवाल ही नहीं उठता है।
रंजय को सजा में माफी का लाभ देने के आग्रह पर न्यायाधीशों ने कहा कि यदि एक बार इस बारे में (सरकार द्वारा) निर्णय कर लिया गया तो फिर हम न्यायिक समीक्षा की कवायद कर सकते हैं।
न्यायालय जम्मू-कश्मीर पैंथर्स पार्टी के मुखिया भीम सिंह की याचिका पर सुनवाई कर रहा था। इस याचिका में कहा गया है कि भारत की जेलों में 15 साल से अधिक समय बिता चुके विदेशी और पाकिस्तानी कैदियों को वापस भेजने का निर्देश दिया जाए।
न्यायमूर्ति आरएम लोढा और न्यायमूर्ति जोसेफ कुरियन की दो सदस्यीय खंडपीठ ने जम्मू जेल में 3 मई को सनाउल्ला पर हुए हमले की घटना को गंभीर मामला बताते हुए केन्द्र और जम्मू-कश्मीर सरकार से जवाब तलब किया। न्यायालय जानना चाहता है कि इस हमले को रोकने के लिए पहले से कदम क्यों नहीं उठाये गए थे।
न्यायालय ने इस घटना के सिलसिले में जेल अधिकारियों के खिलाफ की गई कार्रवाई का विवरण भी तलब किया है। न्यायालय ने केन्द्र और राज्य सरकार को यह सुनिश्चित करने का निर्देश दिया है कि इस तरह की घटनाओं की पुनरावृत्ति नहीं हो। न्यायाधीशों ने चंडीगढ़ के अस्पताल में इलाज करा रहे सनाउल्ला को वापस पाकिस्तान भेजने का अनुरोध ठुकराते हुए कहा कि अभी इस कैदी ने उम्रकैद की सजा पूरी नहीं की है। न्यायाधीशों ने कहा, रंजय के बारे में हम पहले ही कह चुके हैं कि वह उम्र कैद की सजा भुगत रहा है ओर उसे वापस भेजने का सवाल ही नहीं उठता है।
रंजय को सजा में माफी का लाभ देने के आग्रह पर न्यायाधीशों ने कहा कि यदि एक बार इस बारे में (सरकार द्वारा) निर्णय कर लिया गया तो फिर हम न्यायिक समीक्षा की कवायद कर सकते हैं।
न्यायालय जम्मू-कश्मीर पैंथर्स पार्टी के मुखिया भीम सिंह की याचिका पर सुनवाई कर रहा था। इस याचिका में कहा गया है कि भारत की जेलों में 15 साल से अधिक समय बिता चुके विदेशी और पाकिस्तानी कैदियों को वापस भेजने का निर्देश दिया जाए।
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