सुप्रीम कोर्ट (Supreme Court) ने आज राम सेतु (Ram Setu) साइट पर दीवार बनाने और रामसेतु को राष्ट्रीय धरोहर (National Heritage) घोषित किए जाने की मांग वाली याचिका पर सुनवाई की. इस दौरान याचिका को खारिज करने का फैसला किया. सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि हम इस जनहित याचिका पर सुनवाई के इच्छुक नहीं हैं. याचिका चाहे तो सरकार के पास जा सकता है.
आखिर दोनों तरफ दीवार कैसे बनाई जा सकती है- सुप्रीम कोर्ट
आज सुनवाई के दौरान सुप्रीम कोर्ट में जस्टिस संजय किशन कौल और जस्टिस सुधांशु धुलिया की बेंच ने पूछा कि आखिर दोनों तरफ दीवार कैसे बनाई जा सकती है. इस पर याचिकाकर्ता ने कहा कि दीवार एक तरफ बनाई जाए लेकिन बेंच ने कहा कि वो इस पर सुनवाई नहीं करेंगे .
हिंदू पर्सनल लॉ बोर्ड की तरफ से जनहित याचिका दाखिल
दरअसल, हिंदू पर्सनल लॉ बोर्ड नाम की एक संस्था के अध्यक्ष अशोक पांडे ने सुप्रीम कोर्ट में जनहित याचिका दाखिल की थी. सुप्रीम कोर्ट में दाखिल इस जनहित याचिका में मांग की गई थी कि धनुषकोडी के पास समुद्र में रामसेतु के पास कुछ सौ मीटर तक और अगर संभव हो तो एक किलोमीटर तक दीवार बनाने का निर्देश दिया जाए.
रामसेतु को राष्ट्रीय स्मारक घोषित करने की मांग
सुप्रीम कोर्ट में दाखिल अर्जी में रामसेतु को राष्ट्रीय स्मारक घोषित करने की भी मांग की गई है. याचिका में कहा गया है कि हिंदू पर्सनल लॉ बोर्ड नामकी संस्था हिंदुओं के व्यक्तिगत कानून और धार्मिक अधिकार के संरक्षण का काम करती है. याचिका में कहा गया कि पुल को आम तौर पर श्री राम सेतु के नाम से जाना जाता है, सेतु के दर्शन से ही मोक्ष की गारंटी मिलती है.
इसके आगे याचिका में कहा गया है कि मौजूदा भारत सरकार राम राज लाने के सिद्धांत पर काम करने का दावा करती है वह तब तक संभव नहीं है जब तक कि राम सेतु साइट पर कोई दीवार बना कर राम सेतु के दर्शन का प्रबंधन न किया जाए.
सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि जब रामसेतु को राष्ट्रीय धरोहर घोषित करने की मांग वाली याचिका पहले से सुप्रीम कोर्ट में लंबित है तो फिर इस याचिका पर क्यों सुनवाई की जाए.
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