जर्मन पर्यटक से रेप मामले में ओडिशा के पूर्व DGP बिद्या भूषण मोहंती के बेटे को सुप्रीम कोर्ट से कोई राहत नहीं मिली है. इसी के साथ सुप्रीम कोर्ट ने बिट्टी होत्रा की समय से पहले रिहाई की याचिका खारिज कर दी. हालांकि ओडिशा जेल में ट्रांसफर की अनुमति दे दी गई. दोषी ने सात साल की सजा में से पांच साल की सजा काटने के बाद रिहाई की मांग की थी. सुप्रीम कोर्ट की वेकेशन बेंच में जस्टिस संजय करोल और जस्टिस अरविंद कुमार शामिल थे.
कैंसर के इलाज के लिए की रिहाई की मांग
उन्होंने बिट्टी होत्रा की उस याचिका पर पुनः सुनवाई की, जिसमें उन्होंने पहले ही बिताए गए समय और चल रहे कैंसर उपचार के आधार पर रिहाई की मांग की थी. होत्रा, जो ओडिशा में कीमोथेरेपी करवा रहे हैं, उन्होंने सात साल की सजा में से पांच साल की सजा काटने के बाद रिहाई की मांग की थी. हालांकि, राजस्थान सरकार के अतिरिक्त महाधिवक्ता शिव मंगल शर्मा ने इस याचिका का विरोध किया.
कटक सर्कल जेल में आत्मसमर्पण करने की अनुमति दी
होत्रा की चिकित्सा स्थिति पर विचार करने के बावजूद, सुप्रीम कोर्ट ने समय से पहले रिहाई की याचिका को खारिज कर दिया. लेकिन उन्हें ओडिशा के कटक सर्कल जेल में आत्मसमर्पण करने की अनुमति दी. अदालत ने राजस्थान राज्य को यह भी निर्देश दिया कि वह राजस्थान से ओडिशा जेल में स्थानांतरण के लिए होत्रा के अनुरोध पर विचार करे और यदि यह अनुरोध खारिज कर दिया जाता है, तो उन्हें राजस्थान जेल में वापस लाया जाएगा.
जर्मन महिला से रेप मामले में हुई थी 7 साल की जेल
14 अप्रैल, 2024 को, सुप्रीम कोर्ट ने राजस्थान उच्च न्यायालय के उस फैसले को बरकरार रखा. जिसमें होत्रा, ओडिशा के पूर्व डीजीपी बिद्या भूषण मोहंती के बेटे को 2006 में राजस्थान के अलवर में एक जर्मन पर्यटक के बलात्कार के लिए सात साल की सजा सुनाई गई थी. जस्टिस जेके माहेश्वरी और जस्टिस संजय करोल की अध्यक्षता वाली बेंच द्वारा सजा की पुष्टि की गई, जिन्होंने होत्रा की सजा को चुनौती देने वाली याचिका में कोई योग्यता नहीं पाई.
होत्रा को 31 मार्च, 2017 को जमानत दी गई थी और 5 जून, 2024 तक आत्मसमर्पण करने का निर्देश दिया गया था. अभियोजन पक्ष ने बलात्कार मामले में होत्रा की संलिप्तता को उजागर किया. जिसमें राजस्थान सरकार ने एक विदेशी नागरिक के खिलाफ अपराध की गंभीरता और महिलाओं के खिलाफ अपराधों का मुकाबला करने की अपनी प्रतिबद्धता पर जोर दिया.
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