राहुल गांधी की लोकसभा सदस्यता की बहाली को चुनौती देने की याचिका आज सुप्रीम कोर्ट (Supreme Court On Rahul Gandhi Loksabha Membership Disqualification) ने खारिज कर दी. इसके साथ ही अदालत ने याचिकाकर्ता पर एक लाख रुपये का जुर्माना लगाया है. अदालत ने याचिकाकर्ता वकील अशोक पांडे को फटकार भी लगाई.कोर्ट ने कहा कि इससे न सिर्फ अदालत बल्कि रजिस्ट्री पर भी बोझ पड़ता है.कांग्रेस नेता और वायनाड के फिर से बहाल किए गए सांसद राहुल गांधी की लोकसभा सदस्यता की बहाली को चुनौती देने का वाली याचिका पर आज सुप्रीम कोर्ट ने सुनवाई की. यह याचिका वकील अशोक पांडेय ने दायर की थी.
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याचिका में लोकसभा सचिवालय की अधिसूचना रद्द करने की मांग
याचिका में वायनाड से सांसद के रूप में राहुल गांधी की सदस्यता बहाल करने की लोकसभा सचिवालय की अधिसूचना को रद्द करने की मांग की गई थी. वकील अशोक पांडे ने अपनी इस याचिका में कहा कि एक बार संसद या विधानसभा का सदस्य कानून के संचालन से अपना पद खो देता है, तो वह तब तक अयोग्य ठहराया जाएगा, जब तक कि वह किसी बड़ी अदालत द्वारा आरोपों और दोषसिद्धि से बरी न कर दिया जाए.लेकिन राहुल गांधी के मामले में सिर्फ दोषसिद्धि पर रोक लगी है.
बता दें कि पिछले साल अक्तूबर में एनसीपी नेता मोहम्मद फैजल की लोकसभा सदस्यता बहाल करने के फैसले को चुनौती देने के मामले में भी सुप्रीम कोर्ट ने वकील अशोक पांडे की याचिका को जुर्माना लगाकर खारिज कर दिया था. सुप्रीम कोर्ट ने याचिका खारिज करते हुए वकील अशोक पांडे पर 1 लाख रुपए का जुर्माना लगाया था.
याचिकाकर्ता ने SC से पूछा ये सवाल?
सुप्रीम कोर्ट में याचिका दाखिल कर वकील अशोक पांडे ने पूछा था कि क्या एक अभियुक्त की दोषसिद्धि पर अदालत द्वारा लगाई गई रोक के आधार पर लोकसभा सदस्य की अयोग्यता को रद्द कर उसे फिर बहाल किया जा सकता है?. उन्होंने कहा कि एक बार संसद या राज्य विधानमंडल के सदस्य ने संविधान के आर्टिकल 102 और 191 के तहत अपना पद खो दिया है, तो ऐसे में अदालत द्वारा उसे जब तक आरोपों से बरी नहीं किया जाता, तब तक उस व्यक्ति को अयोग्य ही घोषित किया जाएगा.
याचिका में कहा गया था कि कृपया इस मुद्दे का फैसला करें कि क्या किसी अभियुक्त की दोषसिद्धि को अपील की अदालत द्वारा रोका जा सकता है. और अगर ऐसा है तो क्या दोषसिद्धि पर रोक के आधार पर ऐसा व्यक्ति जिसे अयोग्यता का सामना करना पड़ा है, संसद के सदस्य के रूप में दोबारा योग्य हो जाएगा.
याचिकाकर्ता वकील को अदालत की फटकार
इससे पहले अपनी शपथ लेते समय 'मैं ' नहीं बोलने पर बॉम्बे हाईकोर्ट के चीफ जस्टिस को दोबारा शपथ दिलाने की जनहित याचिका पर CJI डीवाई चंद्रचूड़ ने आदेश दिया कि अशोक पांडे की ये पीआईएल तुच्छ नीयत से अदालत का ध्यान खींचने और सस्ती लोकप्रियता हासिल करने के लिए की गई है. कोर्ट ने अशोक पांडे पर ऐसी याचिका दाखिल करने पर पहले जुर्माना भी लगाया था.
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