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This Article is From Oct 12, 2017

ऐप बेस ट्रांसपोर्ट सर्विस को नियंत्रित करने की मांग पर सुप्रीम सुनवाई को तैयार

साथ ही अगर कंपनी का ड्राइवर महिला के साथ किसी आपराधिक घटना को अंजाम देता है तो कंपनी की जवाबदेही और पीड़ित को मुआवजा कैसे मिलेगा.

ऐप बेस ट्रांसपोर्ट सर्विस को नियंत्रित करने की मांग पर सुप्रीम सुनवाई को तैयार
प्रतीकात्मक चित्र.
Quick Take
Summary is AI generated, newsroom reviewed.
ऐप बेस्ड टैक्सी सर्विस पर सुप्रीम कोर्ट में केस
सुनवाई पर कोर्ट ने केंद्र सरकार को नोटिस भेजा
सरकार को सात दिन में देना है जवाब.
नई दिल्ली: दिल्ली में ऐप बेस्ड टैक्सी की सर्विसेस दिन ब दिन बढ़ती ही जा रही हैं. अब इनको लेकर पहले जितनी सहूलियतों की बात होती रही है अब विवाद भी सामने आ रहे हैं. ऐसा ही एक विवाद सुप्रीम कोर्ट में पहुंच गया है और सुप्रीम कोर्ट इससे जुड़े केस पर सुनवाई के लिए तैयार हो गया है. सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि वो देखेगा कि ऐप बेस्ड ट्रांसपोर्ट सर्विस देने वाली कंपनियों को रेगुलेट कैसे किया जा सकता है. साथ ही अगर कंपनी का ड्राइवर महिला के साथ किसी आपराधिक घटना को अंजाम देता है तो कंपनी की जवाबदेही और पीड़ित को मुआवजा कैसे मिलेगा.

यह भी पढ़ें : ऐप बेस्ड टैक्सी कंपनी ओला को 2015-16 में रोजाना हुआ 6 करोड़ रुपये का घाटा, जानें क्यों
                क्यों ज्यादा किराया वसूलने वाली ओला-उबर टैक्सी कंपनियों पर कार्रवाई नहीं हो सकती...

सुप्रीम कोर्ट ने केंद्र सरकार को कहा कि वो बताये कि ऐप बेस्ड ट्रांसपोर्ट सर्विस देने वाली कंपनियों को रेगुलेट कैसे किया जा सकता है. 7 दिसंबर तक केंद्र सरकार को कोर्ट को बताना है.
VIDEO: ऐप बेस्ड टैक्सी सर्विस का जमाना

दरअसल सुप्रीम कोर्ट में चल रहे एक मामले में एमिक्स क्यूरी इंदिरा जयसिंह ने ये सुझाव दिया था कि उबर, ओला समेत सभी ऐप बेस्ड सर्विस को लेकर मैकेनिज्म तैयार किया जाए. लंदन में उबर को बैन भी किया गया है.

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