प्रतीकात्मक चित्र.
नई दिल्ली:
दिल्ली में ऐप बेस्ड टैक्सी की सर्विसेस दिन ब दिन बढ़ती ही जा रही हैं. अब इनको लेकर पहले जितनी सहूलियतों की बात होती रही है अब विवाद भी सामने आ रहे हैं. ऐसा ही एक विवाद सुप्रीम कोर्ट में पहुंच गया है और सुप्रीम कोर्ट इससे जुड़े केस पर सुनवाई के लिए तैयार हो गया है. सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि वो देखेगा कि ऐप बेस्ड ट्रांसपोर्ट सर्विस देने वाली कंपनियों को रेगुलेट कैसे किया जा सकता है. साथ ही अगर कंपनी का ड्राइवर महिला के साथ किसी आपराधिक घटना को अंजाम देता है तो कंपनी की जवाबदेही और पीड़ित को मुआवजा कैसे मिलेगा.
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क्यों ज्यादा किराया वसूलने वाली ओला-उबर टैक्सी कंपनियों पर कार्रवाई नहीं हो सकती...
सुप्रीम कोर्ट ने केंद्र सरकार को कहा कि वो बताये कि ऐप बेस्ड ट्रांसपोर्ट सर्विस देने वाली कंपनियों को रेगुलेट कैसे किया जा सकता है. 7 दिसंबर तक केंद्र सरकार को कोर्ट को बताना है.
VIDEO: ऐप बेस्ड टैक्सी सर्विस का जमाना
दरअसल सुप्रीम कोर्ट में चल रहे एक मामले में एमिक्स क्यूरी इंदिरा जयसिंह ने ये सुझाव दिया था कि उबर, ओला समेत सभी ऐप बेस्ड सर्विस को लेकर मैकेनिज्म तैयार किया जाए. लंदन में उबर को बैन भी किया गया है.
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दरअसल सुप्रीम कोर्ट में चल रहे एक मामले में एमिक्स क्यूरी इंदिरा जयसिंह ने ये सुझाव दिया था कि उबर, ओला समेत सभी ऐप बेस्ड सर्विस को लेकर मैकेनिज्म तैयार किया जाए. लंदन में उबर को बैन भी किया गया है.
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