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This Article is From Feb 06, 2023

सुप्रीम कोर्ट ने कैदियों की समय पूर्व रिहाई को लेकर यूपी सरकार को दिया बड़ा आदेश

सुप्रीम कोर्ट ने अपने आदेश में कहा कि राज्य सरकार पूरी तरह से कानूनी नियमों के तहत प्री-मेच्योर रिलीज पर अदालत के निर्देशों के तहत कार्य करेगी. इसके साथ ही सरकार प्री-मेच्योर रिलीज पर अंतिम निर्णय लेगी.

सुप्रीम कोर्ट ने कैदियों की समय पूर्व रिहाई को लेकर यूपी सरकार को दिया बड़ा आदेश
सुप्रीम कोर्ट ने बिहार, मध्य प्रदेश, राजस्थान और महाराष्ट्र सरकार को नोटिस भी जारी किया है.
नई दिल्ली:

सुप्रीम कोर्ट (Supreme Court) ने उत्तर प्रदेश सरकार (Uttar Pradesh Government) को उम्रकैद के सजायाफ्ता कैदियों की समय से पहले रिहाई को लेकर एक अहम दिशा निर्देश जारी किया है. कोर्ट ने सभी दोषियों की प्री-मेच्योर रिलीज के मामलों का निपटारा तीन महीने में ही करने का निर्देश दिया है. सुनवाई के बाद चीफ जस्टिस डीवाई चंद्रचूड़ की अगुवाई वाली पीठ ने अपने आदेश में कहा कि लीगल सर्विसेज अथॉरिटी प्रति माह हर जिले की जेल के सुपरिंटेंडेट से यह सूचना एकत्र करेगी कि सजा काट रहे किस दोषी को प्री-मेच्योर रिलीज का लाभ दिया जा सकता है या नहीं.  साथ ही यह भी देखा जाएगा कि कौन से मामले में यह छूट राज्य की ओर से दी जा रही है. राज्य सरकार किस नीति के तहत पारदर्शी और प्रभावी तरीके से प्री-मेच्योर रिलीज का लाभ दे रही है इसका भी पता लगाया जाएगा.

सुप्रीम कोर्ट ने आदेश दिया है कि राज्‍य विधिक सेवा प्राधिकरण इसे लेकर साल में तीन बार पहली अप्रैल, पहली अगस्त और पहली दिसंबर को बैठक करेगा. ये  बैठक इन मामलों पर निगरानी के लिए होगी. बैठक राज्य के गृह विभाग के प्रभारी के साथ कारा महानिदेशक के साथ की जाएगी, जिसमें यह भी देखा जाएगा कि अदालत के आदेश का सही से पालन किया जा रहा है या नहीं. 

शीर्ष अदालत ने अपने आदेश में कहा कि राज्य सरकार पूरी तरह से कानूनी नियमों के तहत प्री-मेच्योर रिलीज पर अदालत के निर्देशों के तहत कार्य करेगी. इसके साथ ही सरकार प्री-मेच्योर रिलीज पर अंतिम निर्णय लेगी. सभी दोषियों के प्री-मेच्योर रिलीज के मामलों का निपटारा तीन माह में किया जाएगा. इसके लिए ऑनलाइन डैशबोर्ड सूचना के लिए तैयार किया जाएगा, जिससे सूचना आसानी से मिल सके कि कौन से दोषी कैदी प्री-मेच्योर रिलीज के योग्य हैं. 

मामले की सुनवाई के दौरान यूपी के AAG ने कोर्ट को बताया कि पुरानी पॉलिसी के अनुसार  2,228 कैदियों ने कैद के 14 साल पूरे कर लिए हैं, ऐसे कैदियों को समय से पहले छोड़ा जा सकता है. उन्‍होंने कहा कि जेल के DG उच्च अधिकारी होते है, मामला सरकार के पास जाता है फिर राज्यपाल के पास और फिर आदेश आता है. नई पॉलिसी के तहत 16 साल कैद में बिताना जरूरी है. नई पॉलिसी 2018 में आने वाली तारीख या उसके बाद जिन्‍हें दोषी करार दिया गया है, उन पर लागू होती है

यूपी DG जेल ने सुप्रीम कोर्ट में हलफनामा दाखिल कर बताया कि 1,16,000 कैदी जेल में हैं, जिनमें से 88 हजार के खिलाफ अभी मुकदमा चल रहा है. 26,734 में से 16,262 आजीवन कारावास की सजा काट रहे हैं, जिनमें से 2,228 कैदी 14 साल की जेल की सजा काट चुके हैं. बीते 5 साल में 37 हजार कैदियों को समय से पहले रिहा किया गया है. 

इसके साथ ही सुप्रीम कोर्ट ने बिहार, मध्य प्रदेश, राजस्थान और महाराष्ट्र सरकार को नोटिस जारी कर पूछा है कि उम्रकैद की सजा काट रहे कैदियों की समय से पहले रिहाई के लिए क्या कदम उठाया गया है? साथ ही कोर्ट ने सवाल किया कि किस तरह से राज्य प्री-मेच्योर रिलीज मुहैया कराते हैं और किस तरह से यह पूरी प्रक्रिया निभाई जाती है? 

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