सुप्रीम कोर्ट ने सेंथिल बालाजी की गिरफ्तारी मामले में की सुनवाई, जल्द तीसरे जज की बेंच के गठन का दिया आदेश

गौरतलब है कि नकदी के बदले नौकरी मामले में सेंथिल बालाजी 14 जून से ईडी की हिरासत में हैं. तमिलनाडु सरकार के मंत्री सेंथिल बालाजी की पत्नी ने मद्रास हाईकोर्ट में बंदी प्रत्यक्षीकरण याचिका दायर की थी.  

सुप्रीम कोर्ट ने सेंथिल बालाजी की गिरफ्तारी मामले में की सुनवाई, जल्द तीसरे जज की बेंच के गठन का दिया आदेश

सुप्रीम कोर्ट ने ये भी साफ कहा है कि जब तक फैसला नहीं होता बालाजी न्यायिक हिरासत में रहेंगे.

नई दिल्ली:

सुप्रीम कोर्ट ने नौकरी के बदले नकदी मामले में गिरफ्तार तमिलनाडु सरकार के मंत्री सेंथिल बालाजी के मामले में सुनवाई की. इस मामले को लेकर सुप्रीम कोर्ट ने मद्रास हाईकोर्ट के चीफ जस्टिस से आग्रह किया है कि सेंथिल बालाजी के मामले में जल्द ही तीसरे जज की बेंच का गठन किया जाए. वहीं, सेंथिल बालाजी की पत्नी की याचिका का निपटारा जल्द किया जाए.

इसके साथ ही सुप्रीम कोर्ट ने ये भी साफ कहा कि जब तक फैसला नहीं होता बालाजी न्यायिक हिरासत में रहेंगे. अब इस मामले को लेकर 24 जुलाई को सुप्रीम कोर्ट सुनवाई करेगा.

दरअसल, मंगलवार को ही मद्रास हाईकोर्ट ने तमिलनाडु के मंत्री सेंथिल बालाजी की पत्नी द्वारा दायर बंदी प्रत्यक्षीकरण याचिका पर विभाजित फैसला सुनाया है. इस सुनवाई के दौरान पीठ में शामिल दोनों जजों की राय अलग-अलग रही थी. 

गौरतलब है कि नकदी के बदले नौकरी मामले में सेंथिल बालाजी 14 जून से ईडी की हिरासत में हैं. तमिलनाडु सरकार के मंत्री सेंथिल बालाजी की पत्नी ने मद्रास हाईकोर्ट में बंदी प्रत्यक्षीकरण याचिका दायर की थी.  

इससे पहले 27 जून को हुई सुनवाई के दौरान सॉलिसिटर जनरल तुषार मेहता ने मंगलवार को मद्रास हाईकोर्ट में ईडी की ओर से बहस की थी.तुषार मेहता ने कहा कि सेंथिल बालाजी के पक्ष में यह याचिका सुनवाई के योग्य ही नहीं है, क्योंकि सीआरपीसी में ऐसा कोई प्रावधान नहीं है. एस मेगाला ने अपने पति सेंथिल बालाजी की गिरफ्तारी पर सवाल उठाए हैं.

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सेंथिल बालाजी की गिरफ्तारी के बाद छाती में दर्द की शिकायत के बाद उन्हें एक सरकारी अस्पताल में भर्ती कराया गया. लेकिन 15 जून को मद्रास हाईकोर्ट ने सेंथिल बालाजी को निजी अस्पताल में शिफ्ट कर दिया गया. इसके खिलाफ सुप्रीम कोर्ट में याचिका दायर की गई. हालांकि, सुप्रीम कोर्ट ने हाईकोर्ट के फैसले में दखल देने से इनकार कर दिया था.