संसद और विधानसभा में सदस्यों द्वारा हंगामा करने और तोड़फोड़ करने की घटनाओं पर सुप्रीम कोर्ट (Supreme Court) ने चिंता जताई है. कोर्ट ने कहा कि ऐसी घटनाओं को माफ नहीं किया जा सकता. जस्टिस डी वाई चंद्रचूड़ ने कहा, 'यह स्वीकार्य व्यवहार नहीं है. प्रथम दृष्टया हमें इस तरह के व्यवहार पर सख्त रुख अपनाना होगा. यह स्वीकार्य व्यवहार नहीं है.' केरल के मामले का हवाला देते हुए सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि सदन में माइक फेंकने वाले विधायक का व्यवहार देखिए. उन्हें मुकदमे का सामना करना पड़ेगा.
जस्टिस एम आर शाह ने कहा, 'वे विधायक हैं, वे लोगों का प्रतिनिधित्व कर रहे थे. अब विधानसभा में तो छोडिए, संसद में भी हंगामा होने लगा है. सदस्य ये नहीं सोचते कि इसका जनता पर क्या असर पड़ेगा.'
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दरअसल जस्टिस डी वाई चंद्रचूड़ के नेतृत्व वाली पीठ केरल सरकार द्वारा 2015 में केरल विधानसभा में हंगामे के लिए प्रमुख माकपा नेताओं के खिलाफ मामलों को वापस लेने की अनुमति मांगने वाली याचिका पर सुनवाई कर रही है, जब राज्य में वर्तमान सत्तारूढ़ दल विपक्ष में था.
जस्टिस चंद्रचूड़ ने कहा कि आरोपियों को सार्वजनिक संपत्ति को नुकसान की रोकथाम अधिनियम के तहत मुकदमे का सामना करना चाहिए. इस तरह के व्यवहार को माफ नहीं किया जा सकता है. सुप्रीम कोर्ट 15 जुलाई को इस मामले में सुनवाई करेगा.
यह याचिका केरल उच्च न्यायालय के 12 मार्च, 2021 के आदेश के खिलाफ दाखिल की गई है, जिसने मुख्य न्यायिक मजिस्ट्रेट की अदालत द्वारा मौजूदा मंत्रियों सहित अभियुक्तों के खिलाफ मुकदमा वापस लेने की अनुमति मांगने के आदेश के खिलाफ राज्य की याचिका को खारिज कर दिया था.
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