मतदान को सबके लिए अनिवार्य करने के मुद्दे पर केंद्र से मांगा सुप्रीम कोर्ट ने जवाब
नई दिल्ली:
सुप्रीम कोर्ट ने केंद्र सरकार से पूछा क्या चुनाव के दौरान वोटिंग को सबके लिए अनिवार्य बनाया जा सकता? केंद्र को चार हफ्ते में जवाब दायर करना है. सुप्रीम कोर्ट में याचिका दाखिल कर मांग कि गई है कि मतदान को सभी के लिए अनिवार्य बना देना चाहिए. याचिकाकर्ता ने कोर्ट से कहा था कि अर्जेन्टीना, ऑस्ट्रेलिया, बेल्जियम तथा ब्राजील की तरह देश में भी हर व्यक्ति के लिए मतदान अनिवार्य कर देना चाहिए. गौरतलब है कि देश में काफी समय से अनिवार्य मतदान की मांग उठती रही है, लेकिन देश के राजनीतिक दल और बुद्धिजीवी इस व्यवस्था के बारे में एक मत नहीं हैं. विशेषज्ञों का एक धड़ा जहां मतदान को मौलिक जिम्मेदारी में जोड़ने और उल्लंघन करने पर जुर्माने की बात करता है तो दूसरा इसे लोकतंत्र के लिए व्यवहारिक नहीं मानता है.
कुछ का कहना है कि देश के प्रत्येक व्यस्क को मतदान केंद्र तक हाजिर होना जरूरी है. लेकिन वोट देना जरूरी नहीं. अगर वह सारे उम्मीदवारों को अयोग्य समझता हो तो वह वोट न दे. उधर कईयों का कहना है कि मतदान अगर अनिवार्य हो जाए तो चुनावी भ्रष्टाचार काफी घट जाएगा. वोटरों को मतदान केंद्र तक ले जाने में करोड़ों खर्च होते हैं. शराब से लेकर रुपयों तक का लालच दिया जाता है. अगर अनिवार्य हो जाए तो इससे मुक्ति मिलेगी. फिलहाल देखना यह होगा कि केंद्र इस मामले पर क्या रुख अपनाता है.
वहीं चुनाव आयोग भी एक बार सुप्रीम कोर्ट में कह चुका है कि मतदान मूल अधिकार है परन्तु अनिवार्य अधिकार नहीं है। इसीलिए इसकी पालना को मेंडेटरी नहीं बनाया जा सकता. किसी भी मतदाता को मतदान करने के लिए जबरन प्रेरित करना उसके संवैधानिक अधिकारों का उल्लंघन है. तब याचिकाकर्ता ने गुजरात में बनाए बिल का उल्लेख करते हुए सुप्रीम कोर्ट में याचिका दाखिल की थी कि मतदान को सभी के लिए अनिवार्य बना देना चाहिए और जो भी इसका उल्लंघन करे उसके लिए सजा का प्रावधान होना चाहिए.
कुछ का कहना है कि देश के प्रत्येक व्यस्क को मतदान केंद्र तक हाजिर होना जरूरी है. लेकिन वोट देना जरूरी नहीं. अगर वह सारे उम्मीदवारों को अयोग्य समझता हो तो वह वोट न दे. उधर कईयों का कहना है कि मतदान अगर अनिवार्य हो जाए तो चुनावी भ्रष्टाचार काफी घट जाएगा. वोटरों को मतदान केंद्र तक ले जाने में करोड़ों खर्च होते हैं. शराब से लेकर रुपयों तक का लालच दिया जाता है. अगर अनिवार्य हो जाए तो इससे मुक्ति मिलेगी. फिलहाल देखना यह होगा कि केंद्र इस मामले पर क्या रुख अपनाता है.
वहीं चुनाव आयोग भी एक बार सुप्रीम कोर्ट में कह चुका है कि मतदान मूल अधिकार है परन्तु अनिवार्य अधिकार नहीं है। इसीलिए इसकी पालना को मेंडेटरी नहीं बनाया जा सकता. किसी भी मतदाता को मतदान करने के लिए जबरन प्रेरित करना उसके संवैधानिक अधिकारों का उल्लंघन है. तब याचिकाकर्ता ने गुजरात में बनाए बिल का उल्लेख करते हुए सुप्रीम कोर्ट में याचिका दाखिल की थी कि मतदान को सभी के लिए अनिवार्य बना देना चाहिए और जो भी इसका उल्लंघन करे उसके लिए सजा का प्रावधान होना चाहिए.
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