1996 लाजपत नगर बम धमाका मामले में सुप्रीम कोर्ट ने अहम फैसला सुनाया है. चार दोषियों को बिना माफी के उम्रकैद की सजा सुनाई है. धमाके के दोषी नौशाद की उम्रकैद की सजा बरकरार रखा है साथ ही दिल्ली हाईकोर्ट से बरी हुए दो आरोपियों को भी उम्रकैद की सजा सुनाई है. दोनों को तुरंत सरेंडर करने के आदेश दिया है. उम्रकैद की सजा काट रहे चौथे दोषी की सजा भी बरकरार रहेगी. बिना माफी के पूरी जिंदगी जेल में रहने की सजा दी गई है. जस्टिस बी आर गवई, जस्टिस विक्रम नाथ और जस्टिस संजय करोल की बेंच का फैसला है. दोषी की हाईकोर्ट के फैसले के खिलाफ याचिका खारिज की गई है. बरी दोषियों को सजा देने की सरकार की अपील मंजूर की गई है.
बता दें कि सुप्रीम कोर्ट ने 1996 के लाजपत नगर विस्फोट पर फैसला सुनाया है , जिसमें 13 लोग मारे गए थे और कई अन्य घायल हो गए थे. नवंबर 2012 में दिल्ली HC ने उसकी मौत की सजा को आजीवन कारावास में बदल दिया. दिल्ली HC ने उन्हें सभी आरोपों से बरी करते हुए 'साजिश' का दोषी ठहराया. अप्रैल 2013 में सुप्रीम कोर्ट ने अपील में नोटिस जारी किया था. मई 21, 1996 को दिल्ली के लाजपत नगर बाज़ार में हुए एक बड़े धमाके में 13 लोग मारे गए थे.
दिल्ली हाईकोर्ट ने 2012 में दो आरोपियों मोहम्मद अली भट और मिर्जा निसार हुसैन को बरी करने का आदेश दिया था, जबकि मोहम्मद नौशाद की मौत की सजा को आजीवन कारावास में बदल दिया था, हालांकि चौथे दोषी जावेद अहमद खान उर्फ छोटा की उम्रकैद की सज़ा बरकरार रखी गई है. हाईकोर्ट ने दिल्ली पुलिस की 'जांच में खामियों' के लिए आलोचना भी की थी . दोनों आरोपियों मोहम्मद अली भट और मिर्जा निसार हुसैन को भी निचली अदालत से मौत की सज़ा मिली थी. मई 21, 1996 को दिल्ली के लाजपत नगर बाज़ार में हुए एक बड़े धमाके में 13 लोग मारे गए थे. गौरतलब है कि निचली अदालत ने इस मामले में तीन आरोपियों को मौत की सजा दी थी जबकि एक आरोपी को उम्रकैद की सजा सुनाई थी.
NDTV.in पर ताज़ातरीन ख़बरों को ट्रैक करें, व देश के कोने-कोने से और दुनियाभर से न्यूज़ अपडेट पाएं