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This Article is From Apr 26, 2022

मॉब लिंचिंग और हेट क्राइम को लेकर क्या है सुप्रीम कोर्ट की गाइडलाइन? यहां बारीकी से समझें

अनियंत्रित भीड़ द्वारा कानून को हाथ में लेने और किसी की पीट-पीटकर हत्या करने की कई घटनाएं सामने आ चुकी है. ऐसे क्राइम को रोकने के लिए 17 जुलाई 2018 को सुप्रीम कोर्ट ने मॉब लिंचिंग समेत हेट स्पीच को लेकर गाइडलाइन जारी की थी.

मॉब लिंचिंग और हेट क्राइम को लेकर क्या है सुप्रीम कोर्ट की गाइडलाइन? यहां बारीकी से समझें
कोर्ट ने जारी की थीं गाइडलाइन
नई दिल्ली:

देशभर में मॉब लिंचिंग की घटनाएं थमने का नाम नहीं ले रही हैं. अनियंत्रित भीड़ द्वारा कानून को हाथ में लेने और किसी की पीट-पीटकर हत्या करने की कई घटनाएं सामने आ चुकी है. ऐसे क्राइम को रोकने के लिए 17 जुलाई 2018 को सुप्रीम कोर्ट ने मॉब लिंचिंग समेत हेट स्पीच को लेकर गाइडलाइन जारी की थी. इसमें मॉब लिंचिंग, हेट क्राइम को रोकने को लेकर गाइडलाइन जारी की गई थी.

कोर्ट ने गाइडलाइन में कहा कि राज्य सरकार हर जिले में एसपी स्तर के अधिकारी को नोडल अफसर नियुक्त करें जो स्पेशल टास्क फोर्स बनाए. DSP स्तर का अफसर मॉब हिंसा और लिंचिंग को रोकने में सहयोग करेगा. वहीं एक स्पेशल टास्क फोर्स होगी जो इंटेलीजेंस सूचना इकठा करेगी जो इस तरह की वारदात अंजाम देना चाहते हैं या फेक न्यूज, उत्तेजित करने वाली स्पीच दे रहे हैं.

राज्य सरकार ऐसे इलाकों की पहचान करें जहां ऐसी घटनाएं हुई हों और पांच साल के आंकडे इकट्ठा करें. नोडल आफिस लोकल इंटेलिजेंस के साथ मीटिंग करें. डीजीपी और होम सेक्रेटरी नोडल अफसर के साथ मीटिंग करें. केंद्र और राज्य को आपस मे समन्वय बनाए रखने के लिए भी कहा. सरकार  इस मॉब द्वारा हिंसा के खिलाफ प्रचार प्रसार करें, ऐसे मामलों में 153 A या अन्य धाराओं में  तुरंत केस हो.

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इसके साथ ही वक्त पर चार्जशीट दाखिल हो, जिसकी नोडल अफसर निगरानी करे . राज्य सरकार भीड़ हिंसा पीड़ित मुआवजा योजना बनाएं और चोट के मुताबिक मुआवजा राशि तय करें. ऐसे मामलों से जुड़े केस फ़ास्ट ट्रैक कोर्ट में चले. संबंधित धारा में ट्रायल कोर्ट अधिकतम सजा दें और पीड़ित के वकील का खर्च सरकार वहन करे.

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