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बैंगलोर पैलेस ग्राउंड अधिग्रहण मामले में SC ने जारी किया अंतरिम आदेश, जानें TDR पर क्या कहा

जस्टिस एमएम सुंदरेश और जस्टिस अरविंद कुमार की पीठ ने 22 मई को अवमानना ​​याचिकाओं पर TDR  प्रमाण-पत्र जारी करने का निर्देश पारित किया था. अब राज्य सरकार ने एक संबंधित अपील में ऐसे TDR प्रमाण-पत्र जारी करने के खिलाफ अर्जी दी है.

बैंगलोर पैलेस ग्राउंड अधिग्रहण मामले में SC ने जारी किया अंतरिम आदेश, जानें TDR पर क्या कहा
बैंगलोर पैलेस ग्राउंड के अधिग्रहण के मामले SC का अंतरिम आदेश.
नई दिल्ली:

सुप्रीम कोर्ट ने 15 एकड़ बैंगलोर पैलेस ग्राउंड के अधिग्रहण (Bangalore Palace Acquisition) के मामले में अंतरिम आदेश जारी कर कहा कि जारी किए गए सभी TDR SC की रजिस्ट्री के पास बरकरार रहेंगे. अगर उन्हें याचिकाकर्ता को सौंप दिया गया है, तो अगले आदेश तक उनका उपयोग या बेचे नहीं जा सकेंगे. अदालत (Supreme Court) ने कहा कि रजिस्ट्री द्वारा जारी TDR/DRC से कोई तीसरा पक्ष या व्यक्तिगत लाभ नहीं उठाया जा सकेगा. कर्नाटक की तरफ से दायर पुनर्विचार याचिका 21 जुलाई से शुरू होने वाले हफ्ते में पीठ के समक्ष सूचीबद्ध की जाएगी.

सुप्रीम कोर्ट ने क्या कहा?

सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि ये निर्देश पुनर्विचार याचिका के परिणाम के अधीन हैं. हालांकि अगर इसे अस्वीकार कर दिया जाता है, तो अंतरिम निर्देश 4 हफ्ते या जब तक मामले की सुनवाई 3 जजों की पीठ द्वारा नहीं की जाती है, तब तक जारी रहेंगे.  सभी कार्यवाही को 18 अगस्त से शुरू होने वाले हफ्ते में अंतिम सुनवाई के लिए 3 जजों की पीठ के समक्ष रखा जाए.

सुप्रीम कोर्ट ने पूर्ववर्ती मैसूर राजपरिवार के कानूनी उत्तराधिकारियों को 300 करोड़ के ट्रांसफरेबल डेवलपमेंट राइट (TDR ) प्रमाण-पत्र जारी करने का मामला CJI के पास भेज दिया. दो जजों की बेंच ने इस मामले को प्रशासनिक स्तर पर फैसला करने के लिए भेजा है. इस पर जस्टिस सूर्यकांत और जस्टिस दीपांकर दत्ता की बेंच ने कहा कि क्या SC बेंच के फैसले पर दूसरी बेंच सुनवाई कर सकती है.

अब तक क्या-क्या हुआ?

  • साल 1996 में, कर्नाटक ने बैंगलोर पैलेस ग्राउंड (अधिग्रहण और हस्तांतरण) अधिनियम पारित किया था.
  •  हाईकोर्ट ने इस अधिनियम को बरकरार रखा. 
  • जिसके खिलाफ 1997 में शाही परिवार के उत्तराधिकारियों ने अपील दायर की थी, जो 1997 से सुप्रीम कोर्ट में लंबित है
  • सिब्बल ने तर्क दिया कि TDR की अनुमति केवल 2004 में पारित संशोधन के अनुसार दी गई थी इसलिए इसे पूर्वव्यापी प्रभाव नहीं दिया जा सकता
  • पीठ ने सड़क चौड़ीकरण परियोजना के लिए अधिग्रहित लगभग 15 एकड़ महल ग्राउंड के लिए 3000 करोड़ रुपये के TDR जारी करने का निर्देश दिया है

कपिल सिब्बल ने क्या कहा?

  • यह मामला 1996 में कर्नाटक विधानमंडल द्वारा पारित अधिनियम से संबंधित है, जो बेंगलुरु में महल की जमीन के अधिग्रहण के लिए था
  •  मुआवजा 11 करोड़ रुपये निर्धारित किया गया था
  • उस मामले को उच्च न्यायालय में चुनौती दी गई थी
  • उच्च न्यायालय ने अधिनियम को बरकरार रखा
  • मामला 1997 में सर्वोच्च न्यायालय में आया
  • दो अपील में, कोई रोक नहीं दी गई, यह 28 वर्षों से लंबित है
  • यह मामला 472 एकड़ भूमि से संबंधित है
  • इस बीच, राज्य एक सार्वजनिक सड़क विकसित करना चाहता था
  • अपील में राज्य  द्वारा सड़क विकसित करने की अनुमति मांगते हुए एक आवेदन दायर किया गया था
  •  दूसरे पक्ष ने कहा कि हमें मुआवजा दिया जाए, भले ही भूमि राज्य में निहित हो
  •  यह मामला कई वर्षों तक चला
  •  दूसरे पक्ष ने कहा कि वे 15 एकड़ भूमि पर कब्जा कर रहे हैं
  • अंततः इस न्यायालय के समक्ष एक अवमानना ​​याचिका दायर की गई, जिसमें कहा गया कि उन्हें सड़क (15 एकड़) पर कब्जा करने के लिए TDR अधिकार दिए जाएं
  • हमने कहा कि TDR अधिकार इस साधारण कारण से नहीं दिए जा सकते हैं कि TDR2004 में ही अस्तित्व में आया था, जब अधिनियम बनाया गया था

3000 करोड़ के TDR जारी करने का मामला

पूर्ववर्ती मैसूर राजपरिवार के कानूनी उत्तराधिकारियों को 3000 करोड़ के ट्रांसफरेबल डवलपमेंट राइट  (TDR ) प्रमाण-पत्र जारी करने के निर्देश पर कर्नाटक सरकार भी सुप्रीम कोर्ट पहुंच सकती है.  TDR प्रमाण-पत्र जारी करने के खिलाफ अर्जी दाखिल की गई है. 

दरअसल जस्टिस एमएम सुंदरेश और जस्टिस अरविंद कुमार की पीठ ने 22 मई को अवमानना ​​याचिकाओं पर TDR  प्रमाण-पत्र जारी करने का निर्देश पारित किया था. अब, राज्य सरकार ने एक संबंधित अपील में ऐसे TDR प्रमाण-पत्र जारी करने के खिलाफ अर्जी दी है.  बता दें कि ये मामला 1997 से लंबित है. सरकार की तरफ से पेश सीनियर वकील कपिल सिब्बल ने CJI  के समक्ष  जल्द सुनवाई की मांग की. CJI ने कहा कि क्या पीठ किसी अन्य पीठ द्वारा पारित निर्देश पर अपील कर सकती है? हालांकि, पीठ ने कहा कि मंगलवार को सुनवाई होगी.

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