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This Article is From Jul 29, 2019

सुप्रीम कोर्ट की यूनिटेक के प्रोजेक्टों को भी पूरा करने के लिए एनबीसीसी को सौंपने की मंशा

यूनिटेक के करीब 17 प्रोजेक्टों में 20 हजार से ज़्यादा घर खरीदारों की करोड़ों रुपये की रकम अटकी, कोर्ट ने कहा- यूनिटेक अपना रुख साफ करे

सुप्रीम कोर्ट की यूनिटेक के प्रोजेक्टों को भी पूरा करने के लिए एनबीसीसी को सौंपने की मंशा
सुप्रीम कोर्ट.
नई दिल्ली:

बड़े बिल्डर फर्म्स के अधूरे प्रोजेक्ट पूरे करने के लिए सुप्रीम कोर्ट ने एक बार फिर नेशनल बिल्डिंग्स कंस्ट्रक्शन कार्पोरेशन (NBCC) पर भरोसा जताया है. कोर्ट ने पिछले हफ्ते आम्रपाली के अधूरे प्रोजेक्ट पूरे करने की जिम्मेदारी देने का फैसला दिया था. सोमवार को कोर्ट ने यूनिटेक मामले में भी प्रोजेक्ट पूरे करने की जिम्मेदारी एनबीसीसी को ही देने की मंशा जताई. केंद्र सरकार ने अधूरे प्रोजेक्ट्स एनबीसीसी को दिए जाने का प्रस्ताव दिया तो कोर्ट ने कहा कि इस बाबत यूनिटेक भी अपना रुख साफ करे. यूनिटेक के करीब 17 प्रोजेक्टों में 20 हजार से ज़्यादा घर खरीदार हैं और उनकी करोड़ों रुपये की रकम अटकी है.

सोमवार को सुनवाई के दौरान केंद्र ने यह भी कहा कि हाई कोर्ट के किसी रिटायर्ड जज की अगुआई में एक निगरानी कमेटी बना दी जाए.

सुप्रीम कोर्ट ने गत 23 जिलाई को आम्रपाली मामले में 42,000 से अधिक घर खरीदारों को राहत देते हुए एक बड़ा फैसला सुनाया था. आम्रपाली का रेरा पंजीकरण रद्द करते हुए सुप्रीम कोर्ट ने एनबीसीसी से कहा कि वह अधूरे फ्लैट पूरे करे. छह महीने के भीतर लगभग पूरे हो चुके प्रोजेक्टों के घर बनाकर खरीदारों को दिए जाएंगे. इसके लिए NBCC को आठ फीसदी कमीशन मिलेगा. सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि प्रबंध निदेशक और निदेशकों के खिलाफ फेमा के तहत ED मामले की जांच कर, हर तीन महीने में कोर्ट में रिपोर्ट दाखिल करे. साथ ही कोर्ट ने कहा कि ग्रेटर नोएडा और नोएडा अथॉरिटी ने इस मामले में लापरवाही की. यह सीरियस फ्रॉड हुआ है, बड़ी रकम इधर से ऊधर हुई है. इस मामले में फेमा का उल्लंघन किया गया और बिल्डर्स की सांठ-गांठ से विदेश में पैसा पहुंचाया गया.

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कोर्ट ने कहा कि सीए मित्तल भी इस मामले में जिम्मेदार हैं. नोएडा अथॉरिटी और ग्रेटर नोएडा अथॉरिटी भी इस लापरवाही की जिम्मेदार हैं, क्योंकि उन्होंने ढंग से मॉनिटरिंग नहीं की. घर खरीदारों से जमा रकम की हेराफेरी की. फोरेंसिक ऑडिट में भी कई खुलासे. फोरेंसिक ऑडिट में भी घर खरीदारों की खून पसीने की कमाई में घपले की पुष्टि हुई है. फेमा के तहत आरोपियों के खिलाफ कार्रवाई होगी.

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