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मंदिरों में VIP दर्शन' के खिलाफ याचिका पर सुप्रीम कोर्ट करेगा सुनवाई, मीडिया में गलत रिपोर्टिंग पर SC नाराज

सुप्रीम कोर्ट ने देश भर के मंदिरों में वीआईपी दर्शन के लिए अतिरिक्त शुल्क वसूलने के चलन के खिलाफ एक जनहित याचिका की सुनवाई से संबंधित मीडिया की कुछ खबरों में पिछली सुनवाई को गलत तरीके से प्रस्तुत करने पर शुक्रवार को नाराजगी व्यक्त की.

मंदिरों में VIP दर्शन' के खिलाफ याचिका पर सुप्रीम कोर्ट करेगा सुनवाई, मीडिया में गलत रिपोर्टिंग पर SC नाराज
नई दिल्ली:

देश के प्रसिद्ध मंदिरों में देवी देवताओं के VIP दर्शन की व्यवस्था खत्म करने की मांग वाली अर्जी पर सुप्रीम कोर्ट जनवरी 2025 में सुनवाई करेगा. CJI संजीव खन्ना और जस्टिस संजय कुमार की पीठ ने मामले को जनवरी 2025 में सुनवाई के लिए लिस्ट किया है. याचिका में देशभर के मंदिरों में वीआईपी दर्शन शुल्क समाप्त करने की मांग की गई है.

सुनवाई के दौरान कोर्ट ने पिछली सुनवाई की गलत मीडिया रिपोर्टिंग पर आपत्ति जताते हुए CJI खन्ना ने कहा कि अदालत में जो कुछ हुआ, उसे मीडिया ने पूरी तरह से गलत तरीके रिपोर्ट किया गया, तो वकील ने कहा कि मुझे इसकी जानकारी नहीं है. उन्होंने इसे अपने तरीके और नजरिए से प्रस्तुत किया होगा.

जस्टिस संजय कुमार ने कहा कि यह पूरे देश में हो रहा है. इस पर वकील ने कहा कि मैंने मीडिया में ऐसा कुछ नहीं कहा. ⁠मैंने तो इसे अखबार में ही पढ़ा है. जस्टिस कुमार ने कहा कि साफ है कि आपने मीडिया से बात की होगी, क्योंकि अदालत में क्या हो रहा है, इसकी जानकारी मीडिया को कैसे मिलेगी?

⁠सुनवाई के दौरान CJI की किसी टिप्पणी को आपने बढ़ा-चढ़ाकर पेश किया होगा. वकील ने  कहा कि कोर्ट में क्या हो रहा है, इसका ब्यौरा रखने के लिए नियमित रूप से ट्रैक रखने वाले पत्रकार होते हैं. CJI  ने कहा कि सुनवाई के दौरान हम कभी-कभी कुछ सवाल पूछते हैं. ⁠आप उसे गलत दिशा में ले जाते हैं. ⁠यह कहते हुए कि मेरी ऐसी या वैसी कोई दलील या मांग या आग्रह नहीं है. ⁠फिर इन सब चीजों को अपने ढंग से मीडिया को ब्रीफ किया जाता है. अब इस मामले की अगली सुनवाई 27 जनवरी 2025 को होगी.

याचिका में तर्क दिया गया है कि मंदिरों में विशेष या जल्द 'दर्शन' के लिए अतिरिक्त 'वीआईपी दर्शन शुल्क' वसूलना संविधान के अनुच्छेद 14 और 21 के तहत समानता के सिद्धांत का उल्लंघन है, क्योंकि इस से उन भक्तों के साथ भेदभाव होता है जो ऐसे शुल्क नहीं दे सकते.  याचिका में कहा गया है कि 400-500 रुपये तक का अतिरिक्त शुल्क लेकर मंदिरों में देवताओं के विग्रह के अधिकतम निकटता तक जल्दी पहुंचा जा सकता है. ये व्यवस्था उन साधारण भक्तों के प्रति असंवेदनशील है, जो शारीरिक और आर्थिक बाधाओं का सामना करते हैं, क्योंकि  वो 'वीआईपी प्रवेश शुल्क' देने में असमर्थ हैं.

⁠विशेष रूप से, इन वंचित भक्तों में महिलाएं, दिव्यांग और वरिष्ठ नागरिक अधिक बाधाओं का सामना करते हैं. याचिकाकर्ता ने गृह मंत्रालय को इस समस्या के समाधान के लिए कई बार अनुरोध किया है. लेकिन केवल आंध्र प्रदेश राज्य को निर्देश जारी किए गए. जबकि उत्तराखंड, उत्तर प्रदेश और मध्य प्रदेश जैसे अन्य कई राज्यों को छोड़ दिया गया.

याचिका में इन चार खास बिंदुओं पर राहत की गुहार लगाई गई है

  • वीआईपी दर्शन शुल्क को समानता और धार्मिक स्वतंत्रता के अधिकार का उल्लंघन घोषित करना
  • सभी भक्तों के समान व्यवहार किए जाने का निर्देश दिया जाए
  • केंद्र सरकार द्वारा मंदिरों में समान पहुंच सुनिश्चित करने के लिए मानक संचालन प्रक्रिया (एसओपी) तैयार करना
  • मंदिर प्रबंधन से संबंधित मुद्दों की निगरानी और नियमन के लिए राष्ट्रीय बोर्ड का गठन करने जा आदेश सरकार को दिया जाए

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