सुप्रीम कोर्ट नें आज एक NGO की उस याचिका पर सुनवाई हुई जिसमें कहा गया कि लॉकडाउन के दौरान बच्चों की तस्करी के मामलों में एकाएक बढ़ोतरी हुई है. NGO ने इस पर कार्रवाई की मांग की है. मामले की सुनवाई करते हुए सुप्रीम कोर्ट ने चिंता जताई और राज्य और केंद्र सरकार को नोटिस जारी कर जवाब मांगा है. सुनवाई के दौरान जस्टिस बोबड़े ने कहा कि ठेकेदारों को पंजीकृत किया जा सकता और उनसे कर्मचारियों की सूची मांगी जा सकती है ताकि बाल श्रम को रोका जा सके. सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि केवल नीतियों से काम नहीं चलेगा. हम वे हैं जो बाल श्रम सस्ता होने के कारण उन्हें एक बाजार उपलब्ध कराते हैं. उच्चतम न्यायलय के अनुसार हमें ठेकेदारों से शुरुआत करनी होगी और जरूरत पड़ने पर कोर्ट भी विशेषज्ञों का पैनल बना सकता है.
एसजी तुषार मेहता ने कहा कि वह याचिकाकर्ता के साथ बैठेंगे और फिर सुझाव दे सकते हैं. कोर्ट ने कहा कि कई बार वेश्यावृत्ति के लिए या मज़दूरी के लिए कई बार तस्करी की जाती है. वकील एचएस फुल्का को कहा कि यह पता करें कि इस बाजार को कैसे रोका जा सकता है. CJI ने उनसे कहा कि हम चाहते हैं कि आप कुछ होमवर्क करें. कोर्ट ने दो हफ्ते बाद मामले की अगली सुनवाई तय की है.
गैर सरकारी संगठन (NGO) ‘बचपन बचाओ आन्दोलन' की जनहित याचिका पर सुनवाई करते हुये पीठ ने राष्ट्रीय आपदा प्रबंधन प्राधिकरण से भी जवाब मांगा है. इस संगठन की ओर से वरिष्ठ अधिवक्ता एच एस फूलका ने कहा कि इस मामले में सभी जिला प्राधिकारियों को समावेशी दृष्टिकोण अपनाना होगा ताकि इस तरह की बढ़ रही घटनाओं पर अंकुश लगाया जा सके. न्यायालय इस मामले में अब दो सप्ताह बाद आगे सुनवाई करेगा. कोर्ट ने संबंधित पक्षकारों से कहा है कि वे इस विषय पर रिचर्स करें और ऐसे उपाय खोजें जिनसे शोषण से बच्चों की सुरक्षा सुनिश्चित की जा सके.
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