सुप्रीम कोर्ट ने सीबीआई जांच पर आम सहमति राज्यों द्वारा वापस लेने के मुद्दे पर चिंता जताई है. सुप्रीम कोर्ट इस मुद्दे का परीक्षण करने के लिए तैयार है. कोर्ट ने कहा कि ये वांछनीय हालात नहीं हैं. दो जजों की बेंच ने इस मामले को CJI के पास भेज दिया है. दरअसल सीबीआई ने सुप्रीम कोर्ट को बताया है कि 8 राज्यों ने सामान्य सहमति वापस ले ली है. इससे मामले दर्ज करने की उसकी शक्ति कम हो गई है. मामले के आधार पर अब विशिष्ट सहमति की आवश्यकता होती है, जिसमें समय लगता है और ये जांच में तेजी के लिए हानिकारक है.
जस्टिस एसके कौल और जस्टिस एमएम सुंदरेश की दो जजों की बेंच ने मामले को CJI एनवी रमना के पास भेजा है. CBI ने एक हलफनामा दायर किया था जिसमें कहा गया था कि 8 राज्यों - पश्चिम बंगाल, महाराष्ट्र, केरल, पंजाब, राजस्थान, झारखंड, छत्तीसगढ़ और मिजोरम ने आम सहमति वापस ले ली है. 78 फीसदी मामलों में जांच के लिए सहमति लंबित है और केवल 18 फीसदी में ही सहमति मिली है.
ये मुद्दे तब सामने आए थे, जब शीर्ष अदालत ने नोट किया था कि 2018 के जम्मू-कश्मीर उच्च न्यायालय के आदेश के खिलाफ सीबीआई की अपील 542 दिनों की देरी के बाद दायर की गई थी. इसके बाद सुप्रीम कोर्ट ने यह देखते हुए कि आठ राज्य, जिन्होंने अपने क्षेत्रों में CBI जांच के लिए पहले दी गई सामान्य सहमति वापस ले ली है. केंद्रीय एजेंसी को जांच करने की अनुमति नहीं दे रहे हैं.
सुप्रीम कोर्ट ने इस पर चिंता व्यक्त की और कहा, "यह एक वांछनीय स्थिति नहीं है" और इसकी जांच की आवश्यकता है. इसने यह भी कहा कि चिंता का अन्य मामला उच्च न्यायालयों द्वारा सीबीआई जांच और ट्रायल पर रोक लगाना है, जिससे अत्यधिक देरी हो रही है.
सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि ये एजेंसी के कामकाज को प्रभावित करने वाले गंभीर मुद्दे हैं और इन्हें संबोधित करने की जरूरत है. सुप्रीम कोर्ट ने संबंधित राज्यों और हाईकोर्ट को नोटिस जारी किया और मामले को CJI के पास भेज दिया, ताकि इन दो मुद्दों से निपटने के लिए नए मामले दर्ज किए जा सकें.
निदेशक ने बताया है कि पश्चिम बंगाल, महाराष्ट्र, केरल, पंजाब, राजस्थान, झारखंड, छत्तीसगढ़ और मिजोरम द्वारा सामान्य सहमति वापस लेना एजेंसी के कामकाज में बाधा डालना है. उन्होंने कहा कि देश की अर्थव्यवस्था को प्रभावित करने वाले बड़े बैंक धोखाधड़ी से संबंधित लगभग 78% मामलों में अनुरोध अभी भी राज्यों के पास सहमति के लिए लंबित हैं.
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