साइरस मिस्त्री (Cyrus Mistry) को सुप्रीम कोर्ट (Supreme Court) से झटका लगा है. सुप्रीम कोर्ट ने टाटा-मिस्त्री विवाद में फैसले की पुनर्विचार याचिका खारिज कर दी है. कोर्ट ने कहा कि उसे पुनर्विचार याचिका में कोई आधार नहीं मिला है. 2021 में सुप्रीम कोर्ट ने साइरस मिस्त्री को हटाने के फैसले को बरकरार रखा था. इससे पहले साइरस मिस्त्री की पुनर्विचार याचिका पर सुनवाई करने को सुप्रीम कोर्ट तैयार हो गया था. तीन जजों की बेंच ने चेंबर में विचार किया, हालांकि जस्टिस वी रामासुब्रमण्यम ने अल्पमत के फैसले में कहा कि पुनर्विचार याचिका खारिज की जाए.
साइरस इंवेस्टमेंट ने याचिका में शीर्ष अदालत के 26 मार्च 2021 के फैसले पर फिर से विचार करने की गुहार लगाई गई है, जिसमें अदालत ने टाटा समूह के पक्ष में फैसला सुनाया था. नियमों के अनुसार, पुनर्विचार याचिका पर विचार चेंबर में होता है. गौरतलब है कि सुप्रीम कोर्ट ने 26 मार्च को अपने फैसले में कहा था कि कानून के सभी सवाल टाटा के पक्ष में हैं.
शीर्ष अदालत ने अपने फैसले में कहा था कि शेयरों के विवाद को लेकर दोनों पक्ष कानूनी रास्ता अपना सकते हैं. यही नहीं सुप्रीम कोर्ट ने इस मामले में तल्ख टिप्पणी करते हुए ये भी कहा था कि साइरस मिस्त्री को चेयरमैन बनाना रतन टाटा की सबसे बड़ी गलती थी. SC ने अपने फैसले में यह भी कहा था कि साइरस इनवेस्टमेंट्स, स्टर्लिंग इन्वेस्टमेंट्स की याचिका खारिज की जाती है. पूर्व CJI शरद अरविंद बोबड़े की बेंच ने ये फैसला सुनाया था. सुप्रीम कोर्ट ने साइरस मिस्त्री को टाटा समूह (Tata Group) के कार्यकारी चेयरमैन के पद से हटाने को सही ठहराया है. इसके साथ ही कोर्ट ने मिस्त्री को टाटा समूह के कार्यकारी अध्यक्ष के रूप में बहाल करने के NCLAT के फैसले को रद्द कर दिया है. 18 दिसंबर, 2019 को नेशनल कंपनी लॉ अपीलेट ट्रिब्यूनल (NCLAT) ने साइरस मिस्त्री को टाटा समूह के कार्यकारी अध्यक्ष के रूप में बहाल कर दिया था.
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