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This Article is From Aug 23, 2012

2जी : स्वामी की याचिका खारिज, चिदम्बरम को राहत

नई दिल्ली: सर्वोच्च न्यायालय ने केंद्रीय वित्त मंत्री पी. चिदम्बरम को बड़ी राहत देते हुए शुक्रवार को जनता पार्टी के अध्यक्ष सुब्रह्मण्यम स्वामी की याचिका खारिज कर दी। इस याचिका में चिदम्बरम को 2जी स्पेक्ट्रम आवंटन घोटाले के आरोपी पूर्व केंद्रीय संचार मंत्री ए. राजा के साथ सह-आरोपी बनाने की मांग की गई थी।

न्यायमूर्ति जीएस सिंघवी और न्यायमूर्ति एसके राधाकृष्णन की खंडपीठ ने स्वामी की याचिका खारिज करते हुए कहा, "याचिकाकर्ता द्वारा उपलब्ध कराए गए तथ्यों से यह साबित नहीं होता कि पी. चिदम्बरम ने वित्त मंत्री के रूप में अपने पद का दुरुपयोग किया या साजिश की या 2001 में तय दर पर 2008 में स्पेक्ट्रम के आवंटन में ए. राजा के साथ उनकी मिलीभगत थी।"

अदालत ने कहा कि पेश की गई सामग्री के आधार प्रथम दृष्ट्या इस निष्कर्ष पर नहीं पहुंचा जा सकता कि चिदम्बरम ने दो कम्पनियों स्वान और यूनिटेक के शेयर को हल्का करने की अनुमति जानबूझकर दी।

फैसला सुनाते हुए न्यायमूर्ति राधाकृष्णन ने कहा, "कोई ऐसा तथ्य भी उपलब्ध नहीं कराया गया जिसका प्रथम दृष्टया निष्कर्ष निकाला जा सके कि पी. चिदम्बरम ने अपने पद का दुरुपयोग किया या स्वयं को या ए. राजा सहित किसी अन्य व्यक्ति को आर्थिक लाभ दिलाने के लिए कोई भ्रष्ट या अवैध तरीका अपनाया हो।"

न्यायालय के इस फैसले के बाद कांग्रेस ने चिदम्बरम को पाक-साफ बताया और स्वामी की निंदा की। लेकिन विपक्ष ने कांग्रेस को आगाह किया कि उसे इस फैसले से बहुत खुश नहीं होना चाहिए, क्योंकि उसके नेतृत्व वाली केंद्र की संयुक्त प्रगतिशील गठबंधन (संप्रग) सरकार आकंठ भ्रष्टाचार में डूबी हुई है।

स्वामी ने निचली अदालत के चार फरवरी के आदेश को सर्वोच्च न्यायालय में चुनौती दी थी। निचली अदालत ने अपने आदेश में चिदम्बरम को सहआरोपी बनाने और उनके खिलाफ केंद्रीय जांच ब्यूरो (सीबीआई) से जांच कराने की मांग खारिज कर दी थी।

न्यायालय ने कहा कि चिदम्बरम और राजा के बीच हुई केवल एक मुलाकात को साजिश के रूप में नहीं देखा जा सकता। इस बात को दर्शाने के लिए कुछ भी नहीं है कि चिदम्बरम ने दो मोबाइल फोन ऑपरेटरों को कोई आर्थिक लाभ पहुंचाने के लिए उन्हें अपनी हिस्सेदारी कम करने की अनुमति दी थी।

स्वामी और एक गैर सरकारी संगठन सेंटर फॉर पब्लिक इंटरेस्ट एंड लिटिगेशन (सीपीआईएल) की ओर से दायर याचिका को खारिज करते हुए न्यायालय ने कहा कि केंद्रीय वित्त मंत्री के खिलाफ कोई अनियमितता साबित नहीं हुई है।

न्यायालय के इस फैसले के बाद कांग्रेस ने अपनी प्रक्रिया में कहा कि चिदम्बरम का इस मामले से कुछ भी लेना-देना नहीं है।

प्रधानमंत्री कार्यालय में राज्य मंत्री वी. नारायणसामी ने स्वामी की याचिका खारिज होने के बाद कहा, "हम यह बात शुरू से ही कह रहे हैं। चिदम्बरम की तरफ से कोई अनियमितता नहीं की गई है।"

नारायणसामी ने कहा, "हर कोई जानता है कि सुब्रह्मण्यम स्वामी कांग्रेस में हर किसी के खिलाफ याचिका दायर कर रहे हैं। हम कानूनी और राजनीतिक रूप से उनका मुकाबला करेंगे। स्वामी ने जिस साजिश का आरोप लगाया वह सरासर गलत है।"

केंद्रीय सूचना एवं प्रसारण मंत्री अम्बिका सोनी ने भी स्वामी की निंदा की है। उन्होंने कहा, "हमने हमेशा से कहा है कि उनका यह कदम औचित्यपूर्ण नहीं है।" उन्होंने कहा कि स्वामी ने यह याचिका खबरों में बने रहने के लिए दायर की थी।

सोनी ने कहा, "यह याचिका दायर करने का कोई आधार नहीं था। यह मात्र न्यायालय का समय बर्बाद करना था।" लेकिन स्वामी ने कहा है कि वह इस मामले में पुनर्विचार याचिका दायर करेंगे।

दूसरी ओर, भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) और भारतीय कम्युनिस्ट पार्टी (भाकपा) ने अपनी प्रतिक्रिया में कहा है कि 2जी मामले में चिदम्बरम को सह-आरोपी बनाने की मांग करने वाली याचिका खारिज हो जाने से कांग्रेस को बहुत खुश नहीं होना चाहिए।

भाजपा नेता मुख्तार अब्बास नकवी ने स्वामी की याचिका खारिज होने के थोड़े ही समय बाद कहा, "मैंने पूरा फैसला नहीं देखा है, लेकिन सरकार को इसे लेकर इतना खुश नहीं होना चाहिए।"

नकवी ने कहा, "सरकार का एक मंत्री पहले से जेल में है और अन्य मंत्रियों के खिलाफ भी सबूत हैं। यदि किसी तकनीकी कारण से या सबूत के अभाव में कोई निर्णय आया है, तो सरकार को इसका जश्न नहीं मनाना चाहिए, क्योंकि यह आकंठ भ्रष्टाचार में डूबी हुई है।"

भाकपा नेता और 2जी स्पेक्ट्रम मामले की जांच कर रही संयुक्त संसदीय समिति (जेपीसी) के सदस्य गुरुदास दासगुप्ता ने भी कहा कि यह सरकार की कोई जीत नहीं है।

दासगुप्ता ने कहा, "सर्वोच्च न्यायालय फैसला सुनाने में अपनी जगह सही है। लेकिन सांसदों और जेपीसी के अपने दृष्टिकोण हैं। सीबीआई या सर्वोच्च न्यायालय ने क्या कहा है, इसका हमारे ऊपर कोई असर नहीं पड़ने वाला है।"

दासगुप्ता ने कहा, "हम प्राप्त सबूतों के आधार पर अपना निर्णय लेंगे। यह कोई झटका नहीं है।"

चिदम्बरम के खिलाफ ये आरोप उस समय के हैं, जब वह संयुक्त प्रगतिशील गठबंधन (संप्रग) सरकार के प्रथम कार्यकाल के दौरान केंद्रीय वित्त मंत्री थे। लेकिन सर्वोच्च न्यायालय ने इन आरोपों को अस्वीकार कर दिया।

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