केंद्र सरकार ने सुप्रीम कोर्ट (Supreme Court) में सहमति जतायी कि राज्यों में सेक्स वर्कर्स (Sex Workers) को छूट पर राशन मुहैया कराया जाए. ट्रांसजेंडर की तर्ज पर 1,500 रुपए प्रतिमाह मुहैया कराने के सुप्रीम कोर्ट के सवाल पर केंद्र के वकील ने कहा कि वह इस पर सरकार से निर्देश लेकर अदालत को सूचित करेंगे. कोर्ट ने कहा कि राज्य सरकारें राशन समेत अन्य सुविधाएं मुहैया कराने पर हलफनामा दाखिल करें. सभी राज्य सरकारें सेक्स वर्कर्स को राशन कार्ड मुहैया कराने समेत अन्य व्यवस्थाओं पर जवाब दाखिल करेंगी.
पिछले हफ्ते सुप्रीम कोर्ट ने केंद्र और राज्यों से कोरोना महामारी के चलते सेक्स वर्करों को राहत देने के लिए दाखिल अर्जी पर केंद्र और राज्यों से निर्देश लाने को कहा था. विशेष रूप से राशन कार्ड पर जोर दिए बिना राशन और अन्य बुनियादी जरूरतों को प्रदान करने के संदर्भ में वकीलों को सरकारों से निर्देश लेने को कहा गया.
सुप्रीम कोर्ट ने सुनवाई के दौरान कहा, "वे गंभीर संकट में हैं, इस मामले को जरूरी माना जाना चाहिए." जस्टिस एल नागेश्वर राव की अध्यक्षता वाली बेंच ने कहा कि अधिकारी सेक्स वर्करों को राहत देने के लिए ऐसे कदम उठाने पर विचार कर सकते हैं, जो ट्रांसजेंडर समुदाय की मदद के लिए उठाए गए हैं.
SC ने कहा कि सभी राज्यों और संघ शासित प्रदेशों को सभी सेक्सकर्मियों को सूखा राशन प्रदान करने का निर्देश दिया जाता है, जैसा कि राष्ट्रीय एड्स नियंत्रण संगठन और जिला कानूनी अधिकारियों द्वारा राशन कार्ड या किसी अन्य पहचान प्रमाण पर जोर दिए बिना दिया जाता है.
महामारी के दौरान कोई काम नहीं होने के कारण यौनकर्मियों के सामने आने वाली कठिनाई को ध्यान में रखते हुए, पीठ ने प्रत्येक राज्य और केंद्रशासित प्रदेश से 4 सप्ताह में हलफनामा दाखिल करने को कहा, जिसमें कहा गया कि चार सप्ताह की अवधि में कितने यौनकर्मियों को सूखा राशन मिला. SC ने केंद्र सरकार से चार सप्ताह में सूचित करने के लिए कहा है कि क्या वह यौनकर्मियों को महामारी के दौरान ट्रांसजेंडरों को दी जाने वाली वित्तीय सहायता का विस्तार कर सकती है.
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