कर्नाटक के भ्रष्टाचार निरोधक ब्यूरो (ACB) के खिलाफ टिप्पणियों के मामले में सुप्रीम कोर्ट ने सोमवार को कर्नाटक हाईकोर्ट के जज जस्टिस एचपी संदेश के आदेश पर रोक लगा दी. सुप्रीम कोर्ट ने जज को सिर्फ जमानत मामले में सुनवाई करने के निर्देश दिए हैं. प्रधान न्यायाधीश एन वी रमना की बेंच ने कहा कि जो टिप्पणियां की गई थीं, वे मामले से जुड़ी नहीं थीं, कार्यवाही के दायरे में नहीं थीं. ACB अधिकारी का आचरण उस मामले से संबंधित नहीं है जिस पर सुनवाई हो रही थी. जमानत अर्जी पर विचार करने के बजाय जज ने अन्य चीजों पर ध्यान केंद्रित किया जो प्रासंगिक और केस के दायरे से बाहर हो सकती हैं. जज द्वारा लगाए गए आरोप एक अलग मामला है और हम यह आभास नहीं देना चाहते कि हम एक पक्ष की ओर हैं.
सुप्रीम कोर्ट ने कर्नाटक हाईकोर्ट को जमानत मामले पर नए सिरे से फैसला करने का निर्देश दिया. अदालत ने कर्नाटक HC द्वारा की गई टिप्पणियों पर रोक लगा दी. इसमें ADGP को "दागी अधिकारी" और कर्नाटक एंटी करप्शन ब्यूरो (ACB) को "कलेक्शन सेंटर" कहा गया था. मामले में 3 सप्ताह के बाद अगली सुनवाई होगी.
CJI एनवी रमना, जस्टिस कृष्ण मुरारी और जस्टिस हिमा कोहली की पीठ कर्नाटक के भ्रष्टाचार निरोधक ब्यूरो और उसके प्रमुख सीमांत कुमार सिंह द्वारा जस्टिस संदेश द्वारा की गई कुछ प्रतिकूल टिप्पणियों के खिलाफ दायर याचिकाओं पर विचार कर रही थी.
सुप्रीम कोर्ट ने पिछले हफ्ते कर्नाटक हाईकोर्ट के जज जस्टिस एचपी संदेश से अनुरोध किया था कि वह कर्नाटक की भ्रष्टाचार निरोधक ब्यूरो के खिलाफ जारी मामले की सुनवाई को तीन और दिनों के लिए टाल दें. जस्टिस संदेश ने हाल के दिनों में भ्रष्टाचार निरोधक ब्यूरो के खिलाफ कई प्रतिकूल टिप्पणियां की हैं और निर्देश दिए हैं.
जस्टिस संदेश ने एक आदेश पारित किया था जिसमें उन्होंने दर्ज किया था कि उन्हें एक सिटिंग जज ने अप्रत्यक्ष रूप से ट्रांसफर की धमकी दी है, कहा है कि अगर उन्होंने एसीबी प्रमुख के खिलाफ आदेश पारित किया तो ये होगा.
क्या है मामला
ACB प्रमुख ADGP सीमांत कुमार सिंह पिछले हफ्ते तब विवाद का केंद्र बन गए थे, जब हाईकोर्ट के जस्टिस एचपी संदेश ने खुली अदालत में एक सनसनीखेज बयान दिया कि एसीबी के खिलाफ कई निर्देश पारित करने के बाद उन्हें तबादले की अप्रत्यक्ष धमकी मिली थी. जस्टिस संदेश ने एक लिखित आदेश में एसीबी जांच की निगरानी के लिए प्राप्त ट्रांसफर की धमकी को दर्ज किया. उपायुक्त (शहरी) से संबंधित भ्रष्टाचार के एक मामले में ACB की जांच पर गहरी निराशा व्यक्त करते हुए, जस्टिस संदेश ने ACB को उसके द्वारा दायर सभी क्लोजर रिपोर्ट पेश करने का निर्देश देने के लिए कई आदेश पारित किए थे.
सुप्रीम कोर्ट में कर्नाटक राज्य की ओर से सॉलिसिटर जनरल तुषार मेहता पेश हुए थे और कहा था कि सिंगल जज को आदेश पारित करने से बचना चाहिए था क्योंकि मामले की सुनवाई सुप्रीम कोर्ट में होनी है. SG ने अनुरोध किया कि मामला कार्यवाहक चीफ जस्टिस की अध्यक्षता वाली पीठ को सौंपा जाए.
ADGP सीमांत कुमार सिंह की ओर से पेश वकील ने कहा कि जज ने उनकी बात सुने बिना ही उनके खिलाफ सख्ती की. उन्होंने कहा कि अधिकारी की ACR को खुली अदालत में पढ़ा गया और सुनवाई का मौका दिए बिना उनके खिलाफ कई मौखिक टिप्पणियां की गईं. जस्टिस संदेश ने मौखिक रूप से कहा था कि ADGP एक शक्तिशाली व्यक्ति हैं और हाईकोर्ट के एक जज ने उन्हें ऐसे ही हस्तक्षेप के कारण एक अन्य जज का तबादला होने का उदाहरण दिया था. जस्टिस संदेश ने सिटिंग जज से मिली ट्रांसफर की धमकी को एक लिखित आदेश में दर्ज किया.
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