सुप्रीम कोर्ट (Supreme Court) ने बायजू (Byju's) को लेकर अमेरिका की वित्तीय लेनदार कंपनी ग्लास ट्रस्ट द्वारा दायर अपील पर अपना फैसला सुरक्षित रख लिया है. इसमें नेशनल कंपनी लॉ अपीलेट ट्रिब्यूनल (National Company Law Appellate Tribunal) द्वारा बायजू की मूल कंपनी थिंक एंड लर्न के खिलाफ शुरू की गई दिवाला कार्यवाही को रोकने के फैसले को चुनौती दी गई थी.
अदालत ने फैसला सुरक्षित रखते हुए अंतरिम आदेश के तौर पर समाधान पेशेवर को निर्देश दिया कि वह संकटग्रस्त बायजू के खिलाफ शुरू की गई कॉरपोरेट दिवाला समाधान प्रक्रिया (CIRP) पर तब तक कोई मीटिंग न करें या आगे न बढ़ें जब तक कि अदालत कंपनी और भारतीय क्रिकेट कंट्रोल बोर्ड (BCCI) के बीच भुगतान समझौते की वैधता पर फैसला नहीं कर लेती है.
सुप्रीम कोर्ट की पीठ ने मामले में दिए निर्देश
भारत के मुख्य न्यायाधीश डीवाई चंद्रचूड़ की अगुवाई वाली पीठ ने निर्देश दिया कि जब तक फैसला नहीं सुनाया जाता है, अंतरिम समाधान पेशेवर यथास्थिति बनाए रखेगा और लेनदारों की समिति की कोई बैठक नहीं करेगा.
सुप्रीम कोर्ट ने बुधवार को इस बात पर संदेह जताया था कि क्या NCLAT ने बायजू के खिलाफ दिवाला कार्यवाही बंद करने का फैसला करते समय अपना विवेक लगाया था. कोर्ट ने संकेत दिया था कि वह इस मामले को नए सिरे से निर्णय लेने के लिए NCLAT को वापस भेजने के लिए इच्छुक है. साथ ही शीर्ष अदालत ने इस बात पर चिंता व्यक्त की कि क्या भारतीय क्रिकेट कंट्रोल बोर्ड (BCCI) के अलावा बायजू के लेनदारों को दिवाला प्रक्रिया रोक दिए जाने पर परेशानी होगी.
इसलिए किया था ग्लास ट्रस्ट ने विरोध
BCCI की याचिका पर जून में बेंगलुरु में NCLT द्वारा बायजू के खिलाफ दिवाला समाधान की कार्यवाही शुरू की गई थी. BCCI ने दावा किया था कि क्रिकेट जर्सी प्रायोजन सौदों के हिस्से के रूप में बायजू पर उसका 158 करोड़ रुपए बकाया है. हालांकि बाद में BCCI ने कहा कि उसने बायजू के साथ समझौता कर लिया, जिसके तहत बायजू के संस्थापक बायजू रवींद्रन के भाई रिजू रवींद्रन अपने निजी फंड से इन बकाया राशि का भुगतान करेंगे.
इस समझौते को दर्ज करते हुए चेन्नई स्थित NCLAT ने बायजू के खिलाफ दिवाला कार्यवाही बंद कर दी थी. इसका ग्लास ट्रस्ट ने विरोध किया था. ग्लास ट्रस्ट ने चिंता जताई थी कि वित्तीय लेनदारों को देय राशि का उपयोग बायजू BCCI को चुकाने के लिए कर सकता है. 14 अगस्त को शीर्ष अदालत ने NCLAT के फैसले पर रोक लगा दी और बायजू के खिलाफ दिवालियेपन की प्रक्रिया को फिर से शुरू कर दिया. 22 अगस्त को कोर्ट ने कॉरपोरेट दिवाला समाधान प्रक्रिया की देखरेख के लिए गठित लेनदारों की समिति (CoC) के संचालन को स्थगित करने या उस पर कोई रोक लगाने से इनकार कर दिया था.
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