सुप्रीम कोर्ट (Supreme Court) ने सोमवार को लॉकडाउन (Coronavirus Lockdown) के दौरान देशभर में 14 लाख आंगनवाड़ी केंद्रों (Aanganwadi Centers) को बंद करने के मुद्दों की जांच करने पर सहमति जताई है. दरअसल, एक जनहित याचिका में यह दावा किया गया है कि इसके कारण बच्चों की भुखमरी समेत अन्य समस्याएं उपजी हैं, जिसके बाद शीर्ष अदालत ने केंद्र समेत सभी राज्यों को नोटिस जारी किया है.
यह याचिका महाराष्ट्र की दीपिका जगतराम साहनी की ओर से दायर की गई है. याचिकाकर्ता के वकील कॉलिन गोंसाल्वेस ने अदालत को बताया कि आंगनवाड़ियों को पोषण, शिक्षा और स्वास्थ्य सेवाएं प्रदान की जाती हैं और लगभग 14 लाख आंगनवाड़ियों को बंद कर दिया गया है. इसने स्तनपान कराने वाली माताओं और गर्भवती महिलाओं को प्रभावित किया है जो लाभार्थी भी हैं. याचिकाकर्ता चाहते हैं कि आंगनवाड़ियों को फिर से खोला जाए. इस संबंध में कोर्ट ने इन मुद्दों की जांच के लिए सहमति जताते हुए केंद्र और राज्यों को नोटिस दिया है.
यह भी पढ़ें: महिला स्वास्थ्य कार्यकर्ताओं पर बनी पीएफआई की शॉर्ट फिल्म, 40 लाख से भी ज्यादा बार देखा गया Video
बता दें कि लॉकडाउन के चलते देशभर में आंगनवाड़ी केंद्रों की हालत बिल्कुल बुरी हो चुकी है. पोषण आहार की व्यवस्था ठप हो चुकी है. लॉकडाउन में इन केंद्रो को बंद तो किया गया लेकिन इनकी व्यवस्था बनाए रखने को कोई कदम नहीं उठाए गए हैं, न ही आगे की सुध ली गई है.
आंगनवाड़ी केंद्रों की स्वास्थ्यकर्मी और आशा वर्करों की हालत भी बदतर है. उनको वैसे भी कड़े काम के बाद भी मेहनताने के लिए जूझना पड़ता है. लेकिन महामारी में उन्होंने जमकर काम किया है लेकिन फिर भी उनकी स्थिति में कोई बदलाव नहीं है. जुलाई महीने में देशभर में कई जगहों पर आशा वर्करों ने विरोध-प्रदर्शन किया था और कोविड-19 के तहत काम करने से इनकार कर दिया था.
Video: कोविड-19 के खिलाफ डटकर काम रही हैं आशा वर्कर्स
NDTV.in पर ताज़ातरीन ख़बरों को ट्रैक करें, व देश के कोने-कोने से और दुनियाभर से न्यूज़ अपडेट पाएं