दिल्ली सीलिंग (Delhi sealing) पर सुप्रीम कोर्ट (Supreme Court) ने शुक्रवार को बड़ा फैसला सुनाया. सुप्रीम कोर्ट ने एक महत्वपूर्ण फैसले में कहा कि "दिल्ली में अवैध निर्माण और रिहायशी सम्पतियों के दुरूपयोग की पहचान करने के उद्देश्य से वर्ष 2006 में बनी मॉनिटरिंग कमेटी अपने अधिकार से बढ़कर काम नही कर सकती है. शीर्ष अदालत ने ये कहते हुए कमेटी की अप्रैल 2019 की रिपोर्ट के आधार पर वसंत कुंज और रजोकरी इलाके में सीलिंग और ढहाने को लेकर जारी नोटिस को निरस्त कर दिया है.
शीर्ष अदालत ने संबंधित अथॉरिटी को तीन दिनों के भीतर आदेश का पालन करने के लिए कहा है. इन इकाइयों को अदालत द्वारा नियुक्त मॉनिटरिंग कमेटी द्वारा सील कर दिया गया था. शीर्ष अदालत ने कहा है कि अतिक्रमण चिंता का विषय है, लेकिन इसका मतलब यह नहीं है कि कमेटी प्राप्त अधिकार से बाहर जाकर काम करें. इसके तहत, सील की गई सम्पतियों को डी-सील कर उसे मालिकों को वापस करने के लिए कहा गया है.
जस्टिस अरुण मिश्रा, जस्टिस बीआर गवई और जस्टिस कृष्ण मुरारी की 3-जजों वाली बेंच ने फैसला सुनाते हुए कहा कि मॉनिटरिंग कमेटी कभी भी आवासीय परिसरों के खिलाफ कार्रवाई करने के लिए अधिकृत नहीं की गई थी जो कॉमर्शियल उद्देश्यों के लिए इस्तेमाल नहीं किए जा रहे थे. अदालत ने स्पष्ट रूप से यह माना कि निजी भूमि पर आवासीय परिसर को सील करने के लिए कमेटी को अधिकार नहीं दिया गया था, खासकर जब उनका उपयोग कॉमर्शियल उद्देश्यों के लिए नहीं किया जा रहा था.
अदालत ने स्पष्ट किया कि कमेटी को केवल कॉमर्शियल उद्देश्यों के लिए आवासीय संपत्तियों के दुरुपयोग की जांच करने के लिए नियुक्त किया गया था, लेकिन इसमें वैधानिक शक्तियां शामिल नहीं हो सकती, जो अदालत ने इसे नहीं दी थी. जस्टिस अरुण मिश्रा की अध्यक्षता वाली पीठ ने कहा है कि सुप्रीम कोर्ट ने कभी भी मॉनिटरिंग कमेटी को यह अधिकार नहीं दिया था कि वह वैसे रिहायशी परिसरों के खिलाफ कार्रवाई करें, जिनमें व्यावसायिक इस्तेमाल न हुआ हो.
सुप्रीम कोर्ट ने वसंत कुंज और रजोकरी इलाके के कथित रूप से हुए अवैध निर्माण होने से संबंधित कमेटी की गत वर्ष अप्रैल महीने की रिपोर्ट का हवाला देते हुए कहा है कि यह सही नहीं है कि कमेटी विधायी अधिकार अपने पास ले ले. कमेटी को न तो वैसे रिहायशी परिसरों को सील करने का अधिकार नहीं है जिनका व्यावसायिक इस्तेमाल न हुआ हो और न ही उसे ढहाने का अधिकार है.
सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि मॉनिटरिंग कमेटी को कोर्ट ने अधिकार दिए हैं. इसी अधिकार के तहत उसे काम करना है. सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि हमने कभी भी ऐसा आदेश पारित नहीं किया कि कमेटी उन रिहायशी परिसरों के खिलाफ कार्रवाई करें, जिनका व्यावसायिक इस्तेमाल नहीं हो रहा हो.
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