सुप्रीम कोर्ट ने इलाहाबाद हाईकोर्ट के यूपी के प्रमुख सचिव (वित्त) एस एम. ए रिजवी व विशेष सचिव वित्त सरयू प्रसाद मिश्र को हिरासत में लेने के आदेश पर रोक लगा दी है. दोनों को तुरंत रिहा करने के आदेश कोर्ट ने दिया है. यूपी के मुख्य सचिव के पेश होने के आदेश पर भी रोक लगा दी गई है. इस मामले में शुक्रवार को सुप्रीम कोर्ट सुनवाई करेगा. बता दें कि इलाहाबाद हाईकोर्ट ने बुधवार को सुप्रीम कोर्ट व हाई कोर्ट के रिटायर्ड जजों को सुविधाएं देने संबंधी आदेश की अवहेलना होने पर प्रमुख सचिव और विशेष सचिव वित्त को हिरासत में ले लिया था. साथ ही गुरुवार को मुख्य सचिव को भी पेश होने को आदेश दिए थे.
इलाहाबाद हाईकोर्ट के आदेश के खिलाफ यूपी सरकार सुप्रीम कोर्ट पहुंची है. सुप्रीम कोर्ट, यूपी सरकार की अर्जी पर शुक्रवार को सुनवाई करेगा.
इलाहाबाद हाईकोर्ट के आदेश के खिलाफ यूपी सरकार सुप्रीम कोर्ट पहुंची है. सुप्रीम कोर्ट, यूपी सरकार की अर्जी पर शुक्रवार को सुनवाई करेगा. प्रधान न्यायाधीश डी. वाई. चंद्रचूड़ और न्यायूमर्ति पी. एस. नरसिम्हा की एक पीठ के समक्ष मामले को तत्काल सुनवाई के लिए लाया गया था.
राज्य की ओर से पेश हुए अतिरिक्त सॉलिसिटर जनरल के एम. नटराज ने पीठ को बताया कि उच्च न्यायालय द्वारा एक 'अभूतपूर्व आदेश' पारित किया गया, जिसके बाद वित्त सचिव और विशेष सचिव (वित्त) को अवमानना मामले में हिरासत में ले लिया गया। मामला उच्च न्यायालय के सेवानिवृत्त न्यायाधीशों की सुविधाओं से संबंधित है. नटराज ने कहा कि उच्च न्यायालय ने मामले में राज्य के मुख्य सचिव को जमानती वारंट भी जारी किया है.
पीठ ने कहा, "नोटिस जारी करें. मामला सूचीबद्ध किए जाने की अगली तारीख तक इलाहाबाद उच्च न्यायालय की खंडपीठ के आदेश पर रोक रहेगी....उत्तर प्रदेश सरकार के जिन अधिकारियों को हिरासत में लिया गया है, उन्हें तत्काल रिहा किया जाए." पीठ ने शीर्ष अदालत के महासचिव को तत्काल आदेश के अनुपालन के लिए उच्च न्यायालय के रजिस्ट्रार जनरल को आदेश संप्रेषित करने का निर्देश भी दिया.
ये है पूरा मामला
बुधवार को ही इलाहाबाद हाईकोर्ट ने शाहिद मंजर अब्बास रिजवी, सचिव (वित्त) और विशेष सचिव (वित्त) सरयू प्रसाद मिश्र को आंध्र प्रदेश के सेवानिवृत्त न्यायाधीशों की तर्ज पर सुप्रीम कोर्ट और हाईकोर्ट के सेवानिवृत्त न्यायाधीशों को दी जा रही सुविधाओं पर पुनर्विचार के लिए सेवानिवृत्त न्यायाधीशों द्वारा दायर याचिका के मामले में हिरासत में ले लिया था. साथ ही मुख्य सचिव उत्तर प्रदेश लखनऊ एवं अपर मुख्य सचिव (वित्त) डॉ प्रशांत त्रिवेदी को जमानती वारंट जारी किया गया. संबंधित मुख्य न्यायिक दंडाधिकारी को 20 अप्रैल 2023 को हाईकोर्ट के समक्ष उनकी उपस्थिति सुनिश्चित करने को कहा गया. जस्टिस सुनीत कुमार और जस्टिस राजेंद्र कुमार-IV की पीठ ने कहा कि पूरे हलफनामे पर गौर करने से यह स्पष्ट नहीं है कि अधिकारी आदेश के किस हिस्से को वापस लेने का इरादा रखते हैं, बल्कि इसमें प्रार्थना की गई है कि पूरे आदेश को वापस लिया जाए. लेकिन, आदेश कैसे सही नहीं है, इसका कोई कारण नहीं बताया गया है. दूसरे शब्दों में, आज जो हलफनामा दायर किया गया है, वह झूठा, भ्रामक और अप्रत्याशित है, जो पहली नजर में आपराधिक अवमानना का गठन करता है. एसोसिएशन ऑफ सुप्रीम कोर्ट और हाईकोर्ट जज इलाहाबाद व अन्य की याचिका पर सुनवाई करते हुए यह आदेश पारित किया गया.
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