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धारावी टू बॉलीवुड: जमील शाह जिनके जूते पहन कर नाचता है बॉलीवुड

बिहार के दरभंगा से आए जमील शाह की कहानी, जिसने एशिया के सबसे बड़े स्लम मुंबई के धारीवा में काम करते हुए बॉलीवुड के बड़े-बड़े स्टार को अपना दीवाना बना लिया. आइए जानते हैं कि धारावी उन्हें क्यों पसंद है.

धारावी टू बॉलीवुड: जमील शाह जिनके जूते पहन कर नाचता है बॉलीवुड
  • जमील शाह धारावी में रहकर डांस फुटवियर बनाते हैं. उनके बनाए जूते बॉलीवुड के कई स्टार पहनते हैं.
  • जमील शाह बिहार के दरभंगा जिले के एक गांव के रहने वाले हैं, वहां से वो मुंबई आए हैं.
  • जमील ने मशहूर कोरियोग्राफर संदीप सोपारकर के स्कूल में डांस सीखना शुरू किया था.
  • जमील के बनाए जूते काफी किफायती और उच्च गुणवत्ता वाले हैं. वो डांसर की जरूरतों को पूरा करते हैं.
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मुंबई:

मुंबई की झुग्गी बस्ती धारावी की संकरी गलियों में एक आदमी चमड़े में सपने सिल रहा है.इस व्यक्ति का नाम है,जमील शाह. उनकी कहानी असाधारण है. एक ऐसा मोची, जिसकी आत्मा में एक डांसर बसता है. जमील ने धारावी के 10 गुणा 10 फुट के एक वर्कशाप में चुपचाप भारत में डांस फुटवियर की दुनिया को परिभाषित किया है. वो बॉलीवुड के सबसे बड़े सितारों के लिए जूता बनाने वाले भरोसेमंद कारीगर हैं. जमील की यात्रा धारावी के धैर्य, शालीनता और अप्रयुक्त क्षमता का प्रमाण है.

बिहार के दरभंगा से मुंबई के धारावी तक का सफर 

जमील की कहानी बिहार के दरभंगा जिले के एक गांव डोघरा से शुरू होती है. किसान पिता के बेटे जमील में पढ़ने-लिखने की चाह थी. लेकिन गरीबी के पास उनके लिए एक अलग योजना थी. वो 13 साल की उम्र में घर छोड़कर दिल्ली चले गए. वहां उन्होंने बेल्ट और पर्स बनाने वाले एक कारखाने में काम किया. वहां जीवन काफी कठिन था. एक दिन एक सेलीब्रेटी की होर्डिंग देख उनके अंदर बॉलीवुड जाने का सपना जागा.

इसी सपने का पीछा करते हुए वो मुंबई पहुंच गए.वहां धारावी में चमड़े के एक वर्कशाप में उन्हें काम मिला. इस वर्कशाप में रहते हुए चमड़े की खुशबू और औजारों की खट-पट के बीच जमील की किस्मत आकार लेने लगी. 

जमील शाह के वर्कशाप में उनके डांस गुरु संदीप सोपारकर.

जमील शाह के वर्कशाप में उनके डांस गुरु संदीप सोपारकर.

डांसर को मिला मेंटर

धारावी में काम करते उन्होंने एक दिन अखबार में एक डांस क्लास का विज्ञापन देखा. उन्होंने मशहूर कोरियोग्राफर संदीप सोपारकर से संपर्क साधा. जमील ने उनसे कहा, ''मेरे पास पैसे नहीं हैं, लेकिन मैं डांस सीखना चाहता हूं.'' उनकी ईमानदारी से प्रभावित होकर संदीप ने उन्हें अपने अकादमी में प्रवेश दे दिया. उन्होंने जमील से कोई फीस नहीं ली. जमील ने वहां बहुत लगन से डांस सीखना शुरू किया, लेकिन जल्द ही उनके सामने एक और बाधा आकर खड़ी हो गई. यह समस्या थी, डांस के लिए अच्छे जूते की. एक अच्छे आयातित डांस शूज की कीमत करीब आठ हजार रुपये थी. यह जमील की पहुंच से बाहर था. संदीप ने 15 हजार रुपये की कीमत का एक जूता देते हुए जमील से उसकी नकल बनाने को कहा. जमील ने एक वैज्ञानिक की तरह जूते की एक-एक सिलाई और परत को उधेड़ कर उसका गहन विश्लेषण किया. इस तरह से उन्होंने अपने डांस शूज की पहली जोड़ी तैयार की. 

जमील शूज: मेड इन धारावी

जो काम एक प्रयोग के तौर पर शुरू हुआ था, जल्द ही उसने आंदोलन की शक्ल ले ली. जमील के जूते न केवल किफायती थे, बल्कि उनकी गुणवत्ता भी बेहतरीन थी. वह एक डांसर के शरीर और शरीर के उन हिस्सों को समझते थे, जहां दवाब पड़ता है. वो उसके लचीलेपन और टिकाउपन को भी समझते थे. उनके जूते डांसर की कलात्मक और शारीरिक जरूरतों का विस्तार बन गए.

भारत के सबसे मशहूर कोरियोग्राफर टेरेंस लुईस जमील की कारीगरी की तारीफ करते नहीं हुए नहीं अघाते हैं. वो कहते हैं, "वह केवल जूता बनाने वाले नहीं हैं. वह कला से जुड़े हुए हैं. वह समझते हैं कि डांसर क्या महसूस करते हैं." कैरेक्टर हील्स से लेकर फ्लैमेंको, टैप और जैज शूजतक- जमील भारत में इतनी विविधता पेश करने वाले पहले व्यक्ति थे.

धारावी के अपने वर्कशाप में साथी कारिगरों के साथ जमील शाह.

धारावी के अपने वर्कशाप में साथी कारिगरों के साथ जमील शाह.

मशहूर होने के बाद भी जमील ने धारावी को कभी नहीं छोड़ा. एशिया की सबसे बड़ी झुग्गी-बस्तियों में से एक धारावी में उनके छोटे से वर्कशाप में जादू होता है. वे कहते हैं, "मैं अपनी आखिरी सांस तक यहीं रहना चाहता हूं." वो कहते हैं,"मेरी केवल एक ही इच्छा है कि धारावी के पुनर्विकास के बाद मुझे यहीं जगह आवंटित कर दी जाए. मैं कहीं और काम नहीं करना चाहता हूं." उनकी यह भावना बहुत मजबूत है. धारावी, जिसे अक्सर गरीबी के चश्मे से देखा जाता है, वह रचनात्मकता का भी गढ़ है. जमील की सफलता इस बात का सबूत है कि प्रतिभा यहां पनपती है- बस उसकी देखभाल और बढ़ावा देने की जरूरत है.

जमील की बॉलीवुड में साख

जमील के ग्राहकों की सूची में बॉलीवुड के जाने-माने लोगों के नाम शामिल हैं. एनडीटीवी को उन्होंने बताया कि एक बार प्रियंका चोपड़ा ने उन्हें गले लगाकर कहा था, "जमील, तुम इतने आरामदायक जूते कैसे बना लेते हो? मैं इस तरह के आराम की तलाश में सालों से थीं." उन्होंने काजोल, ऋतिक रोशन, अमीषा पटेल, मनीषा कोइराला, फराह खान और कई अन्य लोगों के लिए जूते बनाए हैं. उनके फोन में माधुरी दीक्षित और प्रियंका चोपड़ा जैसे सितारों के नंबर दर्ज हैं, एक प्रशंसक के तौर पर नहीं, बल्कि एक भरोसेमंद कारीगर के रूप में. वो गर्व से कहते हैं, "सेलिब्रिटीज अपने पैरों की देखभाल के लिए मुझ पर भरोसा करते हैं, मुझे यह जानकर गर्व होता है कि उन्हें मेरे बनाए जूतों में नाचना पसंद है."

धारावी का सपना

जमील की कहानी उनकी व्यक्तिगत उपलब्धि के बारे में नहीं है. यह एक कदम बढ़ाने की अपील है. धारावी, अपने जीवंत चमड़ा उद्योग और कुशल कारीगरों के साथ बेशुमार संभावनाओं से भरा पड़ा है. अगर बेहतर बुनियादी ढांचा, शिक्षा और अवसर दिए जाएं, तो यह नवाचार और उद्यमिता का एक बड़ा केंद्र बन सकता है.

देश की आर्थिक राजधानी मुंबई की झुग्गी बस्ती धारावी को एशिया का सबसे बड़ा स्लम माना जाता है.

देश की आर्थिक राजधानी मुंबई की झुग्गी बस्ती धारावी को एशिया का सबसे बड़ा स्लम माना जाता है.

एक ऐसी धारावी की कल्पना करें, जहां जमील जैसे और भी युवा अपने सपनों का पीछा कर सकें- सिर्फ जिंदा रहने के लिए नहीं, बल्कि आगे बढ़ने के लिए. जहां प्रतिभा परिस्थितियों की वजह से कहीं खो न जाए, बल्कि समुदाय और दूरदृष्टि की वजह से आगे बढ़ सकें.

जमील शाह के जूतों में सिर्फ डांसर ही नहीं, बल्कि सपने भी हैं. जहां बॉलीवुड के बेहतरीन कलाकार उनके बनाए जूते पहन कर डांस करते हैं, वहीं जमील उस धारावी से गहराई से जुड़े हुए हैं और उसके आभारी. जिस जगह ने उन्हें बनाया है. वे कहते हैं,''पैसा आता है और चला जाता है. लेकिन प्रतिष्ठा, भरोसा और प्यार वह है, जो हमेशा बना रहता है.''

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