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This Article is From Sep 24, 2016

...तो इस वजह से बीजेपी की नीतीश कुमार से नजदीकियों को लेकर अटकलों का बाजार है गर्म

...तो इस वजह से बीजेपी की नीतीश कुमार से नजदीकियों को लेकर अटकलों का बाजार है गर्म
नीतीश कुमार की आरजेडी से बढ़ती तल्खी और बीजेपी से नजदीकी की अटकलें हैं.
कोझीकोड: बीजेपी और नीतीश कुमार की नजदीकियों को लेकर अटकलों का बाजार गर्म हो गया है. शुक्रवार देर शाम प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने भारतीय जनसंघ के संस्थापक और आरएसएस के वरिष्ठ नेता दीनदयाल उपाध्याय की जन्म शताब्दी मनाने के लिए बनाई दो समितियों में बिहार के मुख्यमंत्री नीतीश कुमार को जगह दी है. इस समिति में जेडीयू के पूर्व अध्यक्ष शरद यादव को भी शामिल किया गया है.

इस समिति में एनसीपी अध्यक्ष शरद पवार और पूर्व प्रधानमंत्री एचडी देवेगौडा को भी शामिल किया गया है. बीजेपी नेताओं का कहना है कि दीनदयाल उपाध्याय महापुरुष थे और उनके जन्म शताब्दी कार्यक्रम में सभी दलों को आगे आना चाहिए. हालांकि कांग्रेस से कोई नेता इस समिति में शामिल नहीं किया गया है.

ये पहली बार नहीं है, जब बीजेपी और नीतीश कुमार की नजदीकी को लेकर कयास लग रहे हैं. मोहम्मद शहाबुद्दीन की जमानत के बाद से नीतीश के सहयोगी आरजेडी के कुछ नेताओं के तीखे बयानों ने जेडीयू को बेचैन कर रखा है. नीतीश सरकार के एक अन्य सहयोगी दल कांग्रेस में भी इस मुद्दे पर अलग-अलग राय सामने आई है.

हालांकि बाद में आरजेडी प्रमुख लालू प्रसाद यादव ने साफ कर दिया कि नीतीश ही गठबंधन के नेता रहेंगे, लेकिन इस ताजा घटनाक्रम ने कई सवाल जरूर खड़े कर दिए हैं, क्योंकि हाल के दिनों में ऐसे कई संकेत मिले हैं, जिनमें प्रधानमंत्री और नीतीश कुमार के नजदीकियों की अटकलों को बल मिलता है.

वस्तु एवं सेवा कर यानी जीएसटी पर नीतीश कुमार ने केंद्र सरकार को आंखें मूंद कर समर्थन दिया. पीएम ने राष्ट्रपति भवन में राष्ट्रीय एकता परिषद की बैठक में नीतीश कुमार के भाषण की जमकर तारीफ की. गंगा में गाद जमने के मुद्दे पर जब नीतीश कुमार पीएम मोदी से मिले, तो प्रधानमंत्री ने तुरंत ही अफसरों को बुलाकर इस मुद्दे के हल के प्रयास के निर्देश दिए. बिहार में सड़क परियोजनाओं के बारे में केंद्रीय सड़क परिवहन मंत्री नितिन गडकरी ने तेजी लाने के निर्देश दिए हैं.

इस बारे में पूछने पर बीजेपी के प्रवक्ता शाहनवाज हुसैन कहते हैं कि राष्ट्रपुरुषों के कार्यक्रम बनाने में सब साथ आते हैं. जब ये पूछा गया कि क्या बीजेपी और जेडीयू के बीच कोई खिचड़ी पक रही है इस पर उनका कहना था कि ऐसा नहीं है. बीजेपी का नारा सबका साथ, सबका विकास है.

उधर, नीतीश कुमार का नारा आरएसएस मुक्त भारत बनाने का है. ऐसे में आरएसएस के प्रचारक और वरिष्ठ नेता रहे दीनदयाल उपाध्याय के जन्म शताब्दी समारोह की समिति में उनका लिया जाना जाहिर है कई सवाल खड़े करता है. शुक्रवार को ही बीजेपी महासचिव राम माधव ने दीनदयाल उपाध्याय को संघ परिवार का वैचारिक प्रमुख बताया था. हालांकि जेडीयू नेताओं का कहना है कि इसमें ज्यादा कुछ नहीं पढ़ने की जरूरत नहीं है, क्योंकि गैरकांग्रेसवाद के नाम पर जनसंघ और समाजवादी दल साथ आए थे, बल्कि इसमें वामपंथी पार्टियां भी शामिल रही हैं.

हालांकि अब हालात बदल चुके हैं. गैरकांग्रेसवाद की जगह गैरभाजपावाद ने ले ली है. बीजेपी के खिलाफ अधिकांश पार्टियां एकजुट हो रही हैं. बिहार में जेडीयू-आरजेडी और कांग्रेस ने बीजेपी गठबंधन के खिलाफ चुनाव लड़ा और शानदार जीत हासिल की. लेकिन जेडीयू और आरजेडी के रिश्तों में खटास आने की खबरों के बीच ताजा घटनाक्रम राजनीतिक तौर पर बेहद दिलचस्प माना जा रहा है. सवाल यह भी है कि जब नीतीश कुमार प्रधानमंत्री बनने की अपनी महत्वाकांक्षा को पूरा करने के लिए आगे बढ़ रहे हैं, ऐसे में वह भविष्य में बीजेपी के साथ आखिर कैसे आ सकते हैं.

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