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                                        एक सदी पहले जब मुंशी प्रेमचंद का नन्हा किरदार हामिद ‘ईदगाह’ जा रहा था, तो उसके जीवन की सबसे बड़ी विडंबना गरीबी और यतीम होना थी, लेकिन उसके बालसुलभ हौसले के दीये को मुंशी जी ने गुरबत की आंधी में बुझने नहीं दिया। हिंदी कहानी के युगपुरुष की 135वीं जयंती पर khabar.ndtv.com ने मुंशी जी को कुछ इस तरह याद किया... एक-एक लेख को पढ़ते जाएं और मुंशी जी की यादों में आप भी खो जाएं...
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