उत्तर प्रदेश सरकार पर बिजली उपभोक्ताओं के हितों के लिये काम नहीं करने का आरोप लगाते हुए सपा और बसपा सदस्यों ने शुक्रवार को विधानसभा से बहिर्गमन किया. प्रश्नकाल के दौरान सपा सदस्य संजय गर्ग ने ऊर्जा मंत्री श्रीकांत शर्मा से राज्य में बिजली उत्पादन, उपभोग और खरीद के बारे में सवाल पूछा. शर्मा ने इसका जवाब देते हुए कहा कि मौसम के मुताबिक बिजली की मांग में बदलाव होता है. उन्होंने कहा कि अप्रैल से अक्टूबर तक बिजली की मांग 17500 मेगावॉट से 22000 मेगावॉट के बीच रहती है. वहीं नवम्बर से मार्च तक यह 10000 से 16000 मेगावॉट के बीच रहती है. इस वक्त राज्य की औसत बिजली खपत 15800 मेगावॉट है. मंत्री ने बताया कि वर्ष 2019—20 में जनवरी तक विभिन्न स्रोतों से 10526.4 करोड़ यूनिट बिजली खरीदी गयी. सपा सदस्यों ने इस पर आरोप लगाया कि राज्य सरकार प्रदेश में बिजली का उत्पादन एक यूनिट भी बढ़ाने में विफल रही है.
नेता विपक्ष राम गोविंद चौधरी ने आरोप लगाया कि राज्य सरकार इस मुद्दे पर गम्भीर नहीं है. उसके बाद सपा के सभी सदस्य सदन से बाहर चले गये. सदन में बसपा के नेता लालजी वर्मा ने कहा कि जब राज्य सरकार सस्ती बिजली खरीदने का दावा कर रही है, तो उसे इसका लाभ उपभोक्ताओं को भी देना चाहिये.
उसके बाद बसपा के भी सभी सदस्य सदन से बहिर्गमन कर गये। मंत्री शर्मा ने कांग्रेस सदस्य अजय कुमार लल्लू के एक सवाल पर कहा कि बिजली वितरण कम्पनियों का घाटा वर्ष 2000—01 के 77.47 करोड़ से बढ़कर अब 82214.40 करोड़ रुपये हो गया है. उन्होंने कहा कि इस घाटे को कम करने के प्रयास किये जा रहे हैं.
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