राष्ट्रपिता महात्मा गांधी की 150 वीं जयंती मनाने के तरीकों पर चर्चा के लिये राष्ट्रपति रामनाथ कोविंद की अध्यक्षता में हुई बैठक
नई दिल्ली:
राष्ट्रपिता महात्मा गांधी की 150 वीं जयंती मनाने के तरीकों पर चर्चा के लिये राष्ट्रपति रामनाथ कोविंद की अध्यक्षता में हुई एक बैठक में यूपीए अध्यक्ष सोनिया गांधी, कांग्रेस अध्यक्ष राहुल गांधी और प्रधान न्यायाधीश दीपक मिश्रा शामिल नहीं हुए.
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सरकारी सूत्रों ने बताया कि राज्यसभा में विपक्ष के नेता गुलाम नबी आजाद, पूर्व प्रधानमंत्री मनमोहन सिंह और भाजपा के वरिष्ठ नेता लालकृष्ण आडवाणी उन लोगों में शामिल थे जिन्होंने ‘राष्ट्रीय समिति’ की पहली बैठक में हिस्सा लिया. बैठक में पश्चिम बंगाल, बिहार, उत्तर प्रदेश, जम्मू कश्मीर, तमिलनाडु, पुडुचेरी, मध्य प्रदेश और छत्तीसगढ़ समेत कुल 23 मुख्यमंत्रियों ने हिस्सा लिया. इस बैठक में इस अवसर पर आयोजित होने वाले कार्यक्रम की रूपरेखा पर चर्चा की गई. यह समारोह इस साल दो अक्तूबर को शुरू होगा.
बैठक की अध्यक्षता करते हुए राष्ट्रपति रामनाथ कोविंद ने कहा कि गांधी का अहिंसा का सिद्धांत आज भी बेहद प्रासंगिक है जब दुनिया आतंकवाद और अन्य तरह की हिंसा का सामना कर रही है. कोविंद ने कहा, ‘महात्मा गांधी भारत की आत्मा की आवाज थे. महात्मा हमारा अतीत , वर्तमान और भविष्य हैं.’ सूत्रों के अनुसार प्रधानमंत्री ने कहा कि राष्ट्र को अगले साल महात्मा गांधी की जयंती ‘काम के जरिये’ मनाना चाहिये और प्रतीकात्मक रूप से नहीं मनाना चाहिये.
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पीएम मोदी ने कहा कि गांधी की कृतियों को जीवन में आत्मसात किया जाना चाहिये ताकि आने वाली पीढ़ियां उन्हें याद करें और समारोह ‘जनांदोलन’ के रूप में होना चाहिये. बैठक के बाद मोदी ने अपने ट्वीट में कहा, ‘महात्मा गांधी ने देश के लिये अपने प्राण न्योछावर किए. उन्होंने एक आंदोलन का नेतृत्व किया जिससे हमारी पीढ़ियां स्वतंत्रता की वायु में सांस ले सकें और जीवंत लोकतंत्र में रह सकें.’ उन्होंने एक अन्य ट्वीट में कहा, ‘हमें इस बात को सुनिश्चित करना चाहिये कि दुनिया में अधिक से अधिक लोग बापू की महानता को जानें.’
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सूत्रों के अनुसार आजाद ने बैठक में कहा कि स्कूलों में अहिंसा पर आधारित पाठ्यक्रम होना चाहिये और निर्भीक पत्रकारिता के लिये उन्होंने एक पुरस्कार का प्रस्ताव दिया. विदेश मंत्री सुषमा स्वराज ने कहा कि उनका मंत्रालय दुनिया के 193 देशों में कार्यक्रम आयोजित करने की योजना बना रहा है और विभिन्न स्थानों पर एक साझा कार्यक्रम आयोजित होगा. जम्मू कश्मीर की मुख्यमंत्री महबूबा मुफ्ती ने गांधीजी की 150 वीं जयंती को शांति और सुलह के वर्ष के रूप में मनाने का प्रस्ताव दिया. बिहार के मुख्यमंत्री नीतीश कुमार ने कहा कि उन्होंने गांधी के संदेश को राज्य के हर घर तक पहुंचाने के लिये ‘बापू आपके द्वार’ कार्यक्रम पहले ही शुरू किया है.
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