"कई नाकामियां... किसी काम का नहीं": तेलंगाना बांध पर केंद्रीय पैनल की रिपोर्ट

रिपोर्टों में ये भी कहा गया है कि मेडीगड्डा बैराज के कमजोर होने के कारण सभी 85 गेट खोलने पड़े और 10 मिलियन क्यूबिक फीट तक पानी छोड़ना पड़ा, जो पानी पीने और सिंचाई के लिए था.

हैदराबाद:

नदी के पानी को दूसरी तरफ मोड़ने के लिए बना मेदिगड्डा (लक्ष्मी) बैराज का कुछ हिस्सा पिछले महीने गोदावरी नदी में डूब गया. जिससे उसकी संरचना पूरी तरह से बेकार हो गई. इसके बाद बांध सुरक्षा को लेकर बने एक केंद्रीय पैनल ने तेलंगाना सरकार को फटकार लगाई है. ये बैराज सत्तारूढ़ भारत राष्ट्र समिति की ₹80,000 करोड़ की प्रमुख सिंचाई परियोजना कालेश्वरम मल्टी-लिफ्ट  का हिस्सा है.

21 अक्टूबर की शाम को आयी रिपोर्ट के मुताबिक, इस घटना में बैराज के 15वें से लेकर 20वें तक छह खंभे डूब गए. साथ ही छठे, सातवें और आठवें ब्लॉक पर गेट कमजोर हो गए. पैनल ने बताया कि पूरे बैराज का फिर से निर्माण करना पड़ सकता है.

पैनल की रिपोर्ट में कहा गया, "16,000 मिलियन क्यूबिक फीट पानी के बल को झेलने में सक्षम बैराज के कई खंभे नदी के तल में कई इंच तक डूब गए, जिससे इस परियोजना की योजना और कार्यान्वयन में कमियां उजागर हुईं. इसे तैरती हुई संरचना के रूप में डिजाइन किया गया था, लेकिन दूसरी संरचना के रूप में बनाया गया."

रिपोर्टों में कहा गया है कि एक पखवाड़े में 1.3 मिलियन क्यूबिक फीट के भारी जल प्रवाह के कारण खंभे डूब गए.

रिपोर्टों में ये भी कहा गया है कि मेडीगड्डा बैराज के कमजोर होने के कारण सभी 85 गेट खोलने पड़े और 10 मिलियन क्यूबिक फीट तक पानी छोड़ना पड़ा, जो पानी पीने और सिंचाई के लिए था.

रिपोर्ट में "योजना, डिज़ाइन, गुणवत्ता नियंत्रण, साथ ही संचालन और रखरखाव में विफलता" के लिए तेलंगाना सरकार पर निशाना साधा गया. इसमें ये भी कहा गया है कि एनडीएसए ने तेलंगाना सरकार से असामान्य व्यवहार या संकट के संकेतों की जांच के लिए नियमित निरीक्षण करने का अनुरोध किया था. पैनल ने कहा, "लेकिन ऐसा लगता है कि इसका अनुपालन नहीं किया गया है. ये एक महत्वपूर्ण चूक है."

इसकी रिपोर्ट में चेतावनी दी गई, "मौजूदा स्थिति में बैराज पूरी तरह से पुनर्वासित होने तक बेकार हो गया है. क्षतिग्रस्त ब्लॉक नंबर 7 को कार्यात्मक बनाने के लिए संरचनात्मक रूप से बहाल किया जाना है. अन्य ब्लॉकों के भी नाकाम होने की संभावना है. इससे पूरे बैराज को फिर से बनाने की जरूरत होगी.

पैनल ने अन्नाराम और सुंडिला बैराज (मेडीगड्डा के अपस्ट्रीम) को नाकामी के रूप में चिह्नित किया और मरम्मत होने तक जलाशय को बंद करने का सुझाव दिया.

राजनीतिक घमासान
राष्ट्रीय बांध सुरक्षा प्राधिकरण की रिपोर्ट तेलंगाना में विधानसभा चुनाव के मतदान से कुछ सप्ताह पहले आई है और मुख्यमंत्री के.चंद्रशेखर राव पर दबाव बढ़ाती है. वो अब दक्षिणी राज्य में भाजपा, कांग्रेस और अन्य विपक्षी दलों की आलोचना का सामना कर रहे हैं.

इस रिपोर्ट ने चुनावी राज्य में राजनीतिक विवाद भी पैदा कर दिया है. कांग्रेस सांसद राहुल गांधी ने गुरुवार को घटनास्थल का दौरा किया और कहा, "मेदिगड्डा बैराज का दौरा किया, जो तेलंगाना में भ्रष्टाचार से ग्रस्त कालेश्वरम लिफ्ट सिंचाई योजना का एक हिस्सा है."

केंद्रीय मंत्री जी किशन रेड्डी, जो पार्टी की राज्य इकाई के प्रमुख भी हैं, उन्होंने "भ्रष्टाचार... विफल परियोजनाओं... लीकेज" के लिए सत्तारूढ़ पार्टी पर हमला किया. 

उन्होंने कहा, "तेलंगाना की राज्य के दर्जे के लिए दशकों पुरानी लड़ाई पानी के आसपास केंद्रित रही है और हजारों लोगों के सर्वोच्च बलिदान और सभी वर्गों के अथक आंदोलन के बाद राज्य का दर्जा हासिल किया गया था. आज, इसके गठन के 10 साल बाद, तेलंगाना, बीआरएस के तहत ... 1.5 लाख करोड़ खर्च करने के बाद भी इसका पानी एकत्र नहीं किया जा सकता."

केसीआर का 'दूसरा सबसे बड़ा सपना'
दुनिया की सबसे बड़ी मल्टी-स्टेज बहुउद्देश्यीय लिफ्ट सिंचाई योजना के रूप में प्रस्तावित इस परियोजना का उद्घाटन जून 2019 में खुद मुख्यमंत्री ने किया था. आंध्र प्रदेश के मुख्यमंत्री जगन रेड्डी और महाराष्ट्र के तत्कालीन मुख्यमंत्री देवेंद्र फड़नवीस इस भव्य कार्यक्रम में वीआईपी मेहमानों में से थे.

ये परियोजना 45 लाख एकड़ भूमि को सिंचित करेगी और तेलंगाना के 70 प्रतिशत हिस्से को पीने का पानी उपलब्ध कराएगी.

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मेडीगड्डा बैराज पहला लिफ्ट स्तर है और माना जाता है कि यह छह और लिफ्टों के माध्यम से कम से कम दो हजार मिलियन क्यूबिक फीट पानी हैदराबाद के पास कोंडा पोचम्मा सागर जलाशय तक ले जाएगा.