तेलंगाना विधानसभा चुनाव 2023 (Telangana Assembly Elections Result 2023) में बहुमत का आंकड़ा पार करने के दो दिन बाद भी कांग्रेस (Congress) पार्टी विधायक दल का कोई नेता नहीं चुन पाई है, जो आगे चलकर मुख्यमंत्री की कुर्सी पर बैठ सके. इसलिए सोमवार शाम को तेलंगाना राजभवन में तय कार्यक्रम के तहत शपथ ग्रहण समारोह ऐन वक्त पर कैंसिल कर दिया गया. अब राहुल गांधी (Rahul Gandhi) ने मंगलवार शाम को ऐलान किया कि रेवंत रेड्डी (Revanth Reddy) को तेलंगाना में सीएम पद के लिए चुना गया है.
मंगलवार को दिल्ली में हुई कांग्रेस पार्टी की बैठक में यह फैसला लिया गया. इसमें राहुल गांधी, पार्टी अध्यक्ष मल्लिकार्जुन खरगे और राष्ट्रीय महासचिव केसी वेणुगोपाल समेत कई सीनियर नेता मौजूद थे. रेवंत रेड्डी 7 दिसंबर को सुबह 11 बजे सीएम पद की शपथ लेंगे.
#WATCH | Congress General Secretary KC Venugopal says, "Congress President has decided to go with Revanth Reddy as the new CLP of Telangana Legislative Party."
— ANI (@ANI) December 5, 2023
Swearing-in ceremony of new Telangana CM to be held on December 7. pic.twitter.com/4bkAGMjTmg
आइए जानते हैं सोमवार को ऐसा क्या हुआ, जिससे ऐन वक्त पर तेलंगाना में शपथ ग्रहण समारोह रद्द करना पड़ा:-
तेलंगाना के राजभवन (गवर्नर हाउस) में रेड कार्पेट बिछ गया था. कुर्सियों पर सफेद कपड़े लपेटे जा चुके थे. साउंड सिस्टम और दूसरे डिवाइसेज तैयार थे. यहां तक कि फूलों का भी ऑर्डर दे दिया गया था. लेकिन ऐन वक्त पर सारा इंतजाम रोकना पड़ा. क्योंकि कांग्रेस पार्टी तेलंगाना में विधायक दल के नेता का नाम ही फाइनल नहीं कर पाई.
कांग्रेस में रेवंत रेड्डी के खिलाफ भी आवाजें उठीं. उत्तम कुमार रेड्डी से लेकर भट्टी विक्रमार्क, कोमाटिरेड्डी वेंकट रेड्डी से लेकर दामोदर राजनरसिम्हा तक... सभी अंदर ही अंदर रेवंत रेड्डी की सीएम उम्मीदवारी को नकार रहे थे. कुछ लोगों ने तो कथित तौर पर रेवंत रेड्डी की स्पष्ट उम्मीदवारी का विरोध किया.
इन नेताओं का आरोप है कि रेवंत रेड्डी ने पार्टी में यह बात फैलाई कि वह लोगों और विधायकों की सबसे पहली पसंद हैं. ऐसे में उन्हें मुख्यमंत्री बनाने और अन्य वरिष्ठ नेताओं को डिप्टी-सीएम या बड़े विभागों वाले मंत्रियों के रूप में एडजस्ट करने के फॉर्मूले पर काम करना चाहिए. इन नेताओं ने रेवंत रेड्डी की 'अनुभवहीनता' और इस तथ्य की ओर भी इशारा किया कि वह हमेशा विपक्ष में रहे हैं, कभी सरकार में नहीं रहे.
रेवंत रेड्डी ने अपने करीबियों को उम्मीदवार बनाने में कड़ी मेहनत की थी. वह अच्छी तरह जानते थे कि अगर उनके पास पर्याप्त संख्याबल नहीं है, तो उन्हें अपनी ही पार्टी में कोई मौका नहीं मिलेगा. अब उनके समर्थकों का कहना है कि रेवंत रेड्डी के पास करीब 42 विधायक हैं. ऐसे में उन्हें सीएम बनने में कोई दिक्कत नहीं होगी.
असली संख्याबल जांचने के लिए कांग्रेस नेतृत्व ने पार्टी के 64 विधायकों के साथ अलग-अलग मीटिंग की. इस दौरान एक फॉर्मूला तैयार करने की कोशिश हुई. आखिरी फैसला पार्टी हाईकमान पर ही छोड़ा जाना था.
61 वर्षीय उत्तम कुमार रेड्डी हमेशा कांग्रेस के साथ रहे हैं. उन्होंने नलगोंडा से सांसद हैं और अब तक 7 चुनाव जीत चुके हैं. पहले वह एयरफोर्स में फाइटर पायलट थे. राजीव गांधी के सहयोगी होने के कारण गांधी परिवार के करीबी माने जाते हैं. उनके करीबी एक सूत्र ने कहा, उत्तम कुमार रेड्डी सीएम बनने के लिए "सबसे योग्य" हैं.
कोमाटिरेड्डी वेंकट रेड्डी (58) करीब 35 साल की राजनीति के साथ कांग्रेस में सबसे वरिष्ठ लोगों में शामिल हैं. वह पूर्व मंत्री, चार बार विधायक और सांसद रहे हैं. उन्होंने अपने पूर्ववर्ती नलगोंडा जिले के 12 में से 11 विधानसभा क्षेत्रों में जीत हासिल की. ऐसे में वो भी सीएम की रेस में शामिल थे.
दामोदर राजनरसिम्ह प्रमुख मडिगा अनुसूचित जाति समूह से हैं. वह वाईएस राजशेखर रेड्डी कैबिनेट में मंत्री और किरण कुमार रेड्डी के नेतृत्व वाली कांग्रेस सरकार में उपमुख्यमंत्री रहे हैं. उनका परिवार पीढ़ियों से कांग्रेस के साथ रहा है. उनका नाम भी सीएम रेस में शामिल था.
2004 में, 1500 किलोमीटर की पदयात्रा के बाद वाईएस राजशेखर रेड्डी अविभाजित आंध्र प्रदेश के मुख्यमंत्री बने थे. उन्होंने बड़े पैमाने पर कांग्रेस को सत्ता में पहुंचाया था, लेकिन उनकी नियुक्ति को तत्कालीन राज्य कांग्रेस प्रमुख डी श्रीनिवास ने चुनौती दी थी. हालांकि, बाद में हाईकमान का फैसला अंतिम माना गया.
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