तेलंगाना कांग्रेस के अध्यक्ष रेवंत रेड्डी का नाम अब अनजाना नहीं रहा है. रविवार को विधानसभा चुनाव 2023 के नतीजों में लगभग 'असंभव' कहे जाने वाले परिणाम सामने आए, और 'अजेय' कहे जाने वाले भारत राष्ट्र समिति (BRS) के मुखिया के. चंद्रशेखर राव (KCR) की सरकार गिर गई. 'असंभव को संभव' कर दिखाने का श्रेय तेलंगाना में इस समय रेवंत रेड्डी के अलावा किसी को नहीं दिया जा सकता, लेकिन वह स्वयं इस जीत को उन्हें समर्पित कर रहे हैं, जिन्होंने तेलगाना राज्य के लिए सर्वोच्च बलिदान दिया है.
जून-जुलाई, 2021 में तेलंगाना कांग्रेस के प्रमुख नियुक्त किए जाने के बाद से लगातार ज़मीन पर काम करते दिखने वाले 54-वर्षीय रेवंत रेड्डी ने चुनाव परिणामों की घोषणा के बाद हैदराबाद में कहा, "आज हमें जो जीत मिली है, वह उन लोगों के लिए है, जिन्होंने तेलंगाना के लिए सर्वोच्च बलिदान दिया... हम उनके आदर्शों को आगे बढ़ाएंगे और अपने सभी वादे पूरा करना सुनिश्चित करेंगे..."
महबूबनगर जिले में जन्मे थे रेवंत रेड्डी
कांग्रेस के पूर्व राष्ट्रीय अध्यक्ष राहुल गांधी को 'भारत जोड़ो' यात्रा के ज़रिये चुनाव लड़ने की प्रेरणा देने का श्रेय देने वाले रेवंत रेड्डी का जन्म महबूबनगर जिले के कोंडारेड्डी पल्ली में 8 नवंबर, 1969 को हुआ था. छात्र जीवन में अखिल भारतीय विद्यार्थी परिषद (ABVP) के सदस्य रहे रेवंत वर्ष 2006 में स्थानीय राजनीति में उतरे थे, और पहली बार में ही निर्दलीय के तौर पर मिडजिल मंडल से ZPTC सदस्य चुने गए. अगले ही साल, यानी 2007 में वह निर्दलीय के तौर ही पहली बार विधान परिषद सदस्य चुने गए.
TDP नेता के तौर पर कभी चुनाव नहीं हारे
उस्मानिया यूनिवर्सिटी के ए.वी. कॉलेज से कला स्नातक की डिग्री पाने वाले रेवंत रेड्डी बाद में तेलुगूदेशम पार्टी (TDP) प्रमुख (तथा आंध्र प्रदेश के पूर्व मुख्यमंत्री) एन. चंद्रबाबू नायडू से मुलाकात के बाद TDP में शामिल हो गए. वर्ष 2009 में उन्होंने पहली बार विधानसभा चुनाव लड़ा, और TDP प्रत्याशी के रूप में कांग्रेस के पांच बार के विधायक गुरुनाथ रेड्डी को पराजित कर दिया. इसके बाद अविभाजित आंध्र प्रदेश से तेलंगाना विधानसभा के लिए वर्ष 2014 में उन्होंने एक बार फिर कोडांगल सीट से TDP प्रत्याशी के रूप में गुरुनाथ रेड्डी को पराजित किया, और इसके बाद उन्हें TDP की ओर से सदन में नेता चुन लिया गया.
रेवंत को पहली पराजय TRS ने ही दी थी
25 अक्टूबर, 2017 में कांग्रेस में शामिल होने की अटकलों के चलते TDP द्वारा उन्हें सदन के नेता पद से हटा दिया गया था, और वह 31 अक्टूबर, 2017 को कांग्रेस में शामिल हो गए थे. इसके बाद, वर्ष 2018 के तेलंगाना विधानसभा चुनाव में वह पहली बार कोडांगल सीट से ही हारे. उन्हें कांग्रेस प्रत्याशी के रूप में तेलंगाना राष्ट्र समिति या TRS (अब भारत राष्ट्र समिति या BRS) प्रत्याशी पटनम नरेंद्र रेड्डी के हाथों हार मिली.
अब कोडांगल सीट से फिर विधायक बन गए हैं रेवंत
कांग्रेस के दिग्गज नेता जयपाल रेड्डी के दामाद (रेवंत का विवाह जयपाल रेड्डी की भतीजी या भान्जी गीता से हुआ है) रेवंत रेड्डी को लोकसभा चुनाव 2019 में कांग्रेस प्रत्याशी के रूप में मलकाजगिरी संसदीय सीट से प्रत्याशी बनाया गया, और उन्होंने TRS प्रत्याशी मर्री राजशेखर रेड्डी को हराया. इसके बाद, उन्हें 20 सितंबर, 2018 को कांग्रेस के तीन कार्यकारी अध्यक्षों में से एक नियुक्त कर दिया गया. अब विधानसभा चुनाव 2023 में कोडांगल और कामारेड्डी विधानसभा सीटों से कांग्रेस प्रत्याशी के रूप में चुनाव लड़ने वाले रेवंत रेड्डी कोडांगल में जीत गए हैं, लेकिन कामारेड्डी सीट से हार गए हैं.
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