विज्ञापन
Story ProgressBack
This Article is From Dec 05, 2023

KCR जीतने चले थे हिन्दुस्तान, 'हाथ' ने छीना उन्हीं का स्थान

राष्ट्रीय राजनीति में जाना-माना चेहरा बनने की कोशिश में जुटे KCR को लेकर समूचे राज्य और देश में जो सवाल सबसे ज़्यादा पूछा जा रहा है, वह यही है कि तेलंगाना में KCR को हार का मुंह क्यों देखना पड़ा, और क्या पार्टी विस्तार की योजना ही उल्टी पड़ गई?

Read Time: 5 mins
KCR जीतने चले थे हिन्दुस्तान, 'हाथ' ने छीना उन्हीं का स्थान
कुछ माह पहले तक कोई भी राजनीतिक पंडित KCR की हार की भविष्यवाणी नहीं कर रहा था...

तेलंगाना में बड़ी जीत हासिल करने के बाद कांग्रेस सरकार बनाने जा रही है, और रेवंत रेड्डी नए नायक बनकर उभरे हैं, लेकिन राज्य में असली सवाल यह है कि अजेय समझे जाने वाले के. चंद्रशेखर राव (KCR) को क्या उनकी पार्टी के विस्तार का फॉर्मूला भारी पड़ा? इस वक्त, राष्ट्रीय राजनीति में जाना-माना चेहरा बनने की कोशिश में जुटे KCR को लेकर समूचे राज्य और देश में जो सवाल सबसे ज़्यादा पूछा जा रहा है, वह यही है कि तेलंगाना में KCR को हार का मुंह क्यों देखना पड़ा, और क्या पार्टी विस्तार की योजना ही उल्टी पड़ गई?

तेलंगाना के गठन के लिए सालों लम्बा संघर्ष करते रहे KCR ने लगभग 10 साल तक तेलंगाना के मुख्यमंत्री पद को भी संभाला, लेकिन जब 'चौबे जी छब्बे बनने चले, तो दुबे बनकर रह गए' वाली हिन्दी कहावत उन पर और उनकी पार्टी भारत राष्ट्र समिति या BRS (अतीत में तेलंगाना राष्ट्र समिति या TRS) पर सटीक बैठती है. दरअसल, कुछ ही महीनों पहले KCR ने TRS का नाम बदलकर BRS करने का फैसला किया था, जिसके पीछे पार्टी का विस्तार तेलंगाना के बाहर करने की मंशा थी, लेकिन विस्तार के बीच शायद वह अपनी खुद की ज़मीन को नजरअंदाज़ कर बैठे.

किसी को नहीं था KCR की हार का यकीन
दरअसल, कुछ माह पहले तक कोई भी राजनीतिक पंडित KCR की हार की भविष्यवाणी नहीं कर रहा था, लेकिन कांग्रेस ने रेवंत रेड्डी के नेतृत्व में ज़मीन पर काम शुरू किया और ग्रामीण इलाकों में नेताओ के दौरों के बाद उन्हें BRS का मज़बूत समझा जाने वाला किला भेदने में कामयाबी मिल गई. दरअसल, KCR जिस वक्त अपनी पार्टी का विस्तार करने के लिए महाराष्ट्र में व्यस्त थे, कांग्रेस तेलंगाना में ही जनता से संपर्क बढ़ा रही थी, और उन मुद्दों को उठा रही थी, जिनसे लोगों में सरकार की छवि को ठेस पहुंचे.

ज़मीन पर काम कर रही थी कांग्रेस
कांग्रेस जनता को बता रही थी कि असदुद्दीन ओवैसी की ऑल इंडिया मजलिस-ए-इत्तेहादुल मुस्लिमीन यानी AIMIM और भारतीय जनता पार्टी यानी BJP दरअसल, BRS की ही 'बी टीम' हैं. शायद इसी का फ़ायदा कांग्रेस को मिला, और कामारेड्डी सीट पर मौजूदा मुख्यमंत्री KCR चुनाव हार गए. हालांकि BJP के के. वेंकट रमन्ना रेड्डी ने इस सीट पर KCR के साथ-साथ कांग्रेस के रेवंत रेड्डी को भी शिकस्त का स्वाद चखाया.

शरद पवार को दिख रहा था कांग्रेस का बढ़ता असर
BRS के मुकाबले तेलंगाना में कांग्रेस का बढ़ता प्रभाव दिखने भी लगा था. देश के वरिष्ठतम नेताओं में शुमार किए जाने वाले राष्ट्रवादी कांग्रेस पार्टी (NCP) के संस्थापक शरद पवार का कहना है, "(कांग्रेस के पूर्व राष्ट्रीय अध्यक्ष) राहुल गांधी की हैदराबाद की सभा के बाद से ही हमें लग रहा था कि तेलंगाना में कांग्रेस सरकार बन रही है..."

"तेलंगाना की अनदेखी पड़ी KCR को भारी..."
राजनैतिक विशेषज्ञों के मुताबिक भी तेलंगाना की अनदेखी ही KCR को भारी पड़ी. अभिजीत ब्रह्मनाथकर के अनुसार, महाराष्ट्र के अख़बारों में करोड़ों रुपये के विज्ञापन देने और दो दर्जन से ज़्यादा बार महाराष्ट्र का दौरा करने के दौरान KCR ने अपनी ज़मीन पर ध्यान नहीं दिया, और यह उनकी हार की बड़ी वजह रही.

वैसे, एक दिलचस्प तथ्य यह भी है कि तेलंगाना विधानसभा चुनाव में जीत भले ही कांग्रेस की हुई हो, लेकिन वोट शेयर का ग्राफ़ यहां BJP का भी बढ़ा है. यही नहीं, भगवा पार्टी की सीटों की तादाद भी शानदार तरीके से 700 फ़ीसदी उछलकर एक से आठ हो गई हैं.

"KCR को अपनी ही ज़मीन पर करना होगा काम..."
सो, अब राजनीतिक जानकारों का मानना है कि KCR ने पार्टी विस्तार के चक्कर में अपने ही पांव पर कुल्हाड़ी मारी है, और अगर उन्हें भविष्य में पार्टी को फिर मज़बूती देनी है, तो अपनी ही ज़मीन पर काम करना होगा.

NDTV.in पर ताज़ातरीन ख़बरों को ट्रैक करें, व देश के कोने-कोने से और दुनियाभर से न्यूज़ अपडेट पाएं

फॉलो करे:
डार्क मोड/लाइट मोड पर जाएं
Our Offerings: NDTV
  • मध्य प्रदेश
  • राजस्थान
  • इंडिया
  • मराठी
  • 24X7
Choose Your Destination
Previous Article
आगे बढ़ रहा मानसून, लेकिन परेशानी कम नहीं, मौसम विभाग ने जानिए कहां-कहां दी भारी बारिश की चेतावनी
KCR जीतने चले थे हिन्दुस्तान, 'हाथ' ने छीना उन्हीं का स्थान
कैसे वधावन बंदरगाह देगा भारत को वैश्विक पहचान, पैदा होगी लाखों नौकरियां
Next Article
कैसे वधावन बंदरगाह देगा भारत को वैश्विक पहचान, पैदा होगी लाखों नौकरियां
Listen to the latest songs, only on JioSaavn.com
;