समान नागरिक संहिता (Uniform Civil Code) को लेकर प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी (PM Narendra Modi) के बयान के बाद से इस मुद्दे पर देशभर में बयानबाजी तेज हो गई है. राजनीतिक दलों के साथ ही धार्मिक संगठन भी लगातार इस मुद्दे पर अपनी राय रख रहे हैं. हालांकि यूसीसी को लेकर सिख समाज दो हिस्सों में बंटा नजर आ रहा है. दरअसल, सिख समाज की सबसे बड़ी संस्था माने जाने वाली शिरोमणि गुरुद्वारा प्रबंधक कमेटी (Shiromani Gurdwara Parbandhak Committee) ने यूसीसी का विरोध करने का निर्णय लिया है. हालांकि एक दिन पहले ही दिल्ली सिख गुरुद्वारा प्रबंधक कमेटी की बैठक में ड्रॉफ्ट सामने नहीं आने तक यूसीसी का विरोध नहीं करने का निर्णय लिया गया था.
एसजीपीसी ने अमृतसर में एक बैठक का आयोजन किया, जिसमें समाज के बुद्धिजीवी शामिल हुए. बैठक के बाद एसजीपीसी ने यूसीसी का विरोध करने का फैसला किया है.
शिरोमणि गुरुद्वारा प्रबंधक कमेटी के अध्यक्ष हरजिंदर सिंह धामी ने कहा कि देश में यूनिफॉर्म सिविल कोड की कोई जरूरत नहीं है, हम इसका सख्त विरोध करते हैं.
इसके साथ ही धामी ने कहा कि संविधान भी अनेकता में एकता के सिद्धांत को मान्यता देता है. उन्होंने कहा कि सिख समाज की मर्यादा को किसी भी कानून की कसौटी पर नहीं परखा जा सकता है.
इससे पहले, दिल्ली सिख गुरुद्वारा प्रबंधक कमेटी ने शुक्रवार को दिल्ली में एक बैठक की थी. बैठक के बाद कमेटी के अध्यक्ष हरमीत सिंह कालका ने एनडीटीवी के साथ बातचीत में कहा था कि जब तक यूसीसी का ड्राफ्ट हमारे सामने नहीं आ जाता तब तक हम इसका विरोध नहीं करेंगे.
साथ ही कालका ने एसजीपीसी से यूसीसी को लेकर सवाल किया था. कालका ने कहा था कि एसजीपीसी ने यूसीसी का विरोध किया है, लेकिन उनको बताना चाहिए कि वह किस चीज का विरोध कर रहे हैं? क्या एसजीपीसी के पास ड्राफ्ट आ गया है?
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