कर्नाटक में टीपू सुल्तान जयंती समारोह का विरोध करते बीजेपी और संघ के लोग (फाइल फोट)
बेंगलुरू:
कर्नाटक के मुख्यमंत्री सिद्धारमैया ने मंगलवार को कुर्ग में हुए सांप्रदायिक हिंसा की जांच मैसूर के क्षेत्रीय कमिश्नर को सौंप दी है। आरएसएस और बीजेपी इस घटना की न्यायिक या फिर सीबीआई जांच की मांग कर रहे थे, जिसे मुख्यमंत्री ने ठुकरा दिया है।
कर्नाटक की कांग्रेस सरकार ने मंगलवार को राज्य में सभी जगहों पर टीपू सुलतान जयंती का आयोजन किया, जिसका संघ और बीजीपी ने यह कहते हुए बहिष्कार किया कि टीपू सुल्तान एक निरंकुश और धर्मपरिवर्तन कराने वाले सेनानायक थे। इस मामले में संघ के आह्वान पर कुर्ग में मंगलवार को बंद का आयोजन किया गया था। इसी दौरान टीपू समर्थक और विरोधी गुट आपस में भीड़ गए। स्थिति नियंत्रण में करने के लिए पुलिस को लाठीचार्ज करना पड़ा, जिसमें विश्व हिन्दू परिषद के ज़िला सचिव डीएस कुटप्पा की मौत हो गई।
कर्नाटक के डीजीपी ओम प्रकाश के मुताबिक, कुटप्पा लाठीचार्ज से बचने की कोशिश में भागते हुए ऊंचाई से गिर गए और सिर पर चोट लगने से उनकी मौत हो गई। लेकिन विश्व हिन्दू परिषद इसे हत्या मानती है और बीजीपी के प्रदेश अध्यक्ष प्रल्हाद जोशी ने इसे राज्य प्रयोजित हत्याकांड करार दिया। बुधवार को आरएसएस, बजरंग दल और विश्व हिन्दू परिषद ने बेंगलुरु के टाउन हॉल में इसके विरोध में प्रदर्शन भी किया। इसके अलावा बजरंग दल और वीएचपी ने 13 नवबर को कुटप्पा की मौत के विरोध में बंद बुलाया है।
इसी बीच मुख्यमंत्री सिद्धारमैया ने बताया की राज्य सरकार कुटप्पा के परिजनों को मुआवजे के तौरा पर पांच लाख रुपये देगी, क्योंकि मौजूदा कानून के तहत साम्प्रदायिक दंगे में मारे गए लोगों को इतनी ही रकम दी जाती है।
कर्नाटक की कांग्रेस सरकार ने मंगलवार को राज्य में सभी जगहों पर टीपू सुलतान जयंती का आयोजन किया, जिसका संघ और बीजीपी ने यह कहते हुए बहिष्कार किया कि टीपू सुल्तान एक निरंकुश और धर्मपरिवर्तन कराने वाले सेनानायक थे। इस मामले में संघ के आह्वान पर कुर्ग में मंगलवार को बंद का आयोजन किया गया था। इसी दौरान टीपू समर्थक और विरोधी गुट आपस में भीड़ गए। स्थिति नियंत्रण में करने के लिए पुलिस को लाठीचार्ज करना पड़ा, जिसमें विश्व हिन्दू परिषद के ज़िला सचिव डीएस कुटप्पा की मौत हो गई।
कर्नाटक के डीजीपी ओम प्रकाश के मुताबिक, कुटप्पा लाठीचार्ज से बचने की कोशिश में भागते हुए ऊंचाई से गिर गए और सिर पर चोट लगने से उनकी मौत हो गई। लेकिन विश्व हिन्दू परिषद इसे हत्या मानती है और बीजीपी के प्रदेश अध्यक्ष प्रल्हाद जोशी ने इसे राज्य प्रयोजित हत्याकांड करार दिया। बुधवार को आरएसएस, बजरंग दल और विश्व हिन्दू परिषद ने बेंगलुरु के टाउन हॉल में इसके विरोध में प्रदर्शन भी किया। इसके अलावा बजरंग दल और वीएचपी ने 13 नवबर को कुटप्पा की मौत के विरोध में बंद बुलाया है।
इसी बीच मुख्यमंत्री सिद्धारमैया ने बताया की राज्य सरकार कुटप्पा के परिजनों को मुआवजे के तौरा पर पांच लाख रुपये देगी, क्योंकि मौजूदा कानून के तहत साम्प्रदायिक दंगे में मारे गए लोगों को इतनी ही रकम दी जाती है।
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