कर्नाटक (Karnataka) में विधानसभा चुनाव के लिए अभी एक साल बाकी है. लेकिन अभी से यहां कांग्रस (Congres) और बीजेपी (BJP) दोनों ही दलों में भीतरी खींतचान शुरू हो गई है. साल 2019 में कांग्रेस के कर्नाटक की सत्ता से बाहर होने के बाद से सिद्धारमैया (siddaramaiah) बनाम डीके शिवकुमार (DK Shivakumar) के बीच लड़ाई शुरू हो गई थी, जो अब खुलकर सामने आ गई है. कर्माटक में सिद्धारमैया और डीके शिवकुमार दोनों नेता अगले चुनाव में खुद को मुख्यमंत्री उम्मीदवार को रूप में प्रस्तुत कर रहे हैं. दोनों नेताओं के समर्थक भी अपने- अपने नेता को कांग्रेस पार्टी से राज्य का भावी मुख्यमंत्री के रूप में प्रचारित कर रहे हैं.
वोक्कालिगा समुदाय के प्रभावशाली नेता शिवकुमार ने खुद के मुख्यमंत्री बनने के लिए वोक्कालिगा वोटों को मजबूत करने का काम भी शुरू कर दिया है, जिसकी सिद्धारमैया के वफादार ज़मीर अहमद ने आलोचना की है. जमीर अहमद ने कहा, "केवल एक समुदाय के समर्थन से कोई भी अगला मुख्यमंत्री नहीं बन सकता." श्री सिद्धारमैया का 75वां जन्मदिन नजदीक आते ही संकट की आशंका है.
वहीं बीजेपी में लिंगायत नेता बी एस येदियुरप्पा ने आलाकमान की परवाह किए बिना अपनी सीट अपने बेटे का नाम कर दी है. कर्नाटक में बीजेपी की पहली सरकार के मुख्यमंत्री बीएस येदियुरप्पा जब नाराज होकर बीजेपी से अलग हो गए तो 2013 में बीजेपी चुनाव हार गई थी.नरेंद्र मोदी के प्रधानमंत्री बनते ही उनकी बीजेपी में वापसी हुई, लेकिन एक बार फिर वो नाराज़ दिख रहे हैं. मुख्यमंत्री पद से उन्हें उम्र का हवाला देकर हटाया गया था. एसे में 79 साल के बी एस येदियुरप्पा ने अब अपने बेटे को अपना वारिस घोषित कर दिया है. अब उनकी सीट से विजयेंद्र चुनाव लड़ेंगे. फिलहाल विजयेंद्र पार्टी संगठन में हैं. उन्होंने कहा, "मैं शिकारीपुरा के लोगों से अपील करता हूं की विजेंद्र को बड़ी तादाद में वोट देकर जिताएं. बी एस येदियुरप्पा ने बीजेपी आलाकमान की जगह खुद ही अपने बेटे को शिकारीपुरा से उमीदवार बना दिया है. मुख्यमंत्री आनन-फानन में बी एस येदियुरप्पा से मिले और ये दिखाने की कोशिश की कि पार्टी के अंदर सब कुछ ठीक चल रहा है.
दोनों पार्टी नेताओं के काम और बयान को देखकर पता चलता है कि एक तरफ बीजेपी में अंदरूनी खींचतान चल रही है, तो वहीं दूसरी तरफ कांग्रेस में मुख्यमंत्री पद को लेकर होड़ मची है. पूर्व मुख्यमंत्री सिद्धारमैया और मौजूदा केपीसीस अध्यक्ष डीके शिवकुमार के बीच, जिन्होंने ये कहकर नए सिरे से विवाद खड़ा कर दिया कि वो वोक्कालिंगा हैं, जिनकी आबादी 15 फीसदी है. ऐसे में उन्हें मुख्यमंत्री कौन बनाएगा. सिद्धारमैय्या खुद ओबीसी केटेगरी से हैं.
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