"आफ़ताब को फांसी दो... उसके परिवार की भी जांच हो..." : श्रद्धा वालकर के पिता ने बयां किया दर्द

पिता ने बताया कि श्रद्धा से आखिरी बार 2021 के बीच बात हुई थी. मैंने पूछा था कि वह कैसी है. उसने कहा- मैं ठीक हूं, मैं बैंगलोर में रह रही हूं. आप कैसे हैं, मेरे भाई कैसे हैं, बस इतना ही.

श्रद्धा वालकर हत्याकांड में आज श्रद्धा के पिता विकास वालकर ने मीडिया से बातचीत में कहा कि आफताब ने ही मेरी बेटी की नृंशस हत्या की है. आफताब को कड़ी से कड़ी सजा हो और उसके घरवालों की भूमिका की भी जांच होनी चाहिए. जैसा मेरी बेटी के साथ किया उसको भी सजा मिलनी चाहिए. मैं चाहता हूं, उसे फांसी की सजा हो. जैसा मेरी बेटी के साथ हुआ ऐसा किसी के साथ ना हो. पिता ने कहा कि दिल्ली के राज्यपाल, दिल्ली पुलिस के अधिकारियों और महाराष्ट्र के उपमुख्यमंत्री फडणवीस ने मुझे आश्वासन दिया है कि हमें न्याय मिलेगा. उन्होंने कहा कि जांच सही दिशा में चल रही है. मुझे इंसाफ पर पूरा भरोसा है. मुझे आप सभी का न्याय दिलाने में सहयोग चाहिए.

उन्होंने वसई पुलिस की कार्यशैली पर सवाल खड़े किए. उन्होंने कहा कि मेरी बेटी की बेरहमी से हत्या कर दी गई, वसई पुलिस की वजह से मुझे कई दिक्कतों का सामना करना पड़ा, अगर उन्होंने मदद की होती तो मेरी बेटी जिंदा होती.  बेटी की मौत से मुझे काफी दुख पहुंचा है. इसके साथ ही 18 साल बाद जो व्यक्ति को स्वतंत्र करार दे दिया जाता है, उस पर विचार होना चाहिए. उसके कारण मुझे ज्यादा तकलीफ हुई. जब मेरी बेटी मुझे छोड़कर जा रही थी उसने कहा कि मैं बालिग हूं और मैं कुछ नहीं कर पाया.

आगे कहा कि मैं जानना चाहता हूं कि श्रद्धा पर ऐसा क्या दवाब था कि उसने मुझसे अपनी बातें शेयर नहीं की. मैंने उसके साथ बात करने की कोशिश की लेकिन कोई रिएक्शन नहीं आया. मैं 23 सितंबर 2022 को पुलिस से मिलने गया और मेरी शिकायत 3 अक्टूबर को दर्ज की गई. अक्सर मैं श्रद्धा के दोस्तों से बात करता था, लेकिन कोई जवाब नहीं मिलता था.  आफताब की मां से भी कोई जवाब नहीं मिला. श्रद्धा को दोस्तों ने मुझे कभी नहीं बताया कि उसके साथ क्या हुआ. मुझे कुछ पता नहीं था. 2019 में जब श्रद्धा ने पुलिस में शिकायत की तो मुझे जानकारी नहीं थी और ना ही पुलिस ने मुझे कोई सूचना दी.

वे बोले- श्रद्धा से आखिरी बार 2021 के बीच बात हुई थी. मैंने पूछा था कि वह कैसी है. उसने कहा- मैं ठीक हूं, मैं बैंगलोर में रह रही हूं. आप कैसे हैं, मेरे भाई कैसे हैं, बस इतना ही.  26 सितंबर को एक बार मेरी आफताब से बात हुई और मैंने पूछा कि मेरी बेटी कहां है. आप उसके साथ 3 साल तक रहे, अगर वह आपको छोड़ गई है तो आपने मुझे बताया क्यों नहीं. उसने कहा कि मुझे नहीं पता कि वह कहां है. मैंने कहा कि आपके साथ 3 साल से रह रही थी तो क्या आपकी जिम्मेदारी नहीं थी. इस पर भी आफताब ने कोई जवाब नहीं दिया.

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क्या आप इस रिश्ते के खिलाफ थे? इस सवाल पर पिता ने कहा कि हां.  घर से जाने से पहले मेरी श्रद्धा से बातचीत हुई थी और मैंने कहा था कि वे हमारे समुदाय से नहीं हैं, उनके साथ मत रहो. बेटी ने कहा कि मैं उसके साथ रहना चाहती हूं. आफताब ने मेरी बेटी को सबसे ज्यादा तैयार किया कि वह घर में ना रहे, इसलिए वह घर से चली गई. श्रद्धा को ब्लैकमेल किया गया था, इसलिए वह चुप रही. उसने अपनी शिकायत में इस ब्लैकमेलिंग का जिक्र किया है. मैं तो शुरू से ही इसके खिलाफ था. आफताब कौन था, तब मुझे पता नहीं था. पिता ने ये भी साफ किया कि मैं और मेरी पत्नी अलग नहीं हुए थे. ये सब सिर्फ मेरी बीमार मां के लिए किया गया एक एडजस्टमेंट था.