सरिता विहार में MCD की कार्रवाई के लिए दिल्ली पुलिस सरिता विहार पुलिस स्टेशन के SHO ने अतिरिक्त पुलिस फॉर्स देने से मना कर दिया है.एसएचओ सरिता विहार का कहना है कि किसी भी अवैध निर्माण को तोड़ने के लिए 10 दिन पहले पुलिस को जानकारी देनी होती है. ताकि पर्याप्त सुरक्षा बल दिया जा सके. बता दें कि इससे पहले दिल्ली में शोभा यात्रा के दौरान भड़की हिंसा के बाद एमसीडी ने जहांगीरपुरी इलाके में अवैध अतिक्रमण को हटाने के लिए कार्रवाई की थी. इलाके के अवैध कब्जे को हटाने के लिए 400 से अधिक सुरक्षाकर्मियों को तैनात किया गया था. इसके बाद ये मामला सुप्रीम कोर्ट भी पहुंचा था. जहांगीरपुरी डिमॉलिशन केस में सुप्रीम कोर्ट ने सुनवाई के दौरान कहा था कि फिलहाल जहांगीरपुरी में तोड़फोड़ नहीं होगी. कोर्ट ने नोटिस जारी कर अथॉरिटी से जवाब मांगा था. इस समय कोर्ट का यथास्थिति बरकरार रखने का फैसला जारी है.
सुप्रीम कोर्ट के आदेश के बाद भी तोड़फोड़ जारी रखने पर सुप्रीम कोर्ट ने नाराजगी जताई थी . कोर्ट ने कहा था कि हम इस पर गंभीर रुख दिखाएंगे. अधिवक्ता दुष्यंत दवे ने कहा कि ये राष्ट्रीय महत्व का मुद्दा है. इस पर जस्टिस नागेश्वर राव ने कहा कि इसमें राष्ट्रीय मुद्दा क्या है ? ये एक इलाके से जुड़ा मामला है. जहांगीरपुरी याचिकाकर्ताओं की ओर से अधिवक्ता दुष्यंत दवे ने कहा था कि ये मुद्दा सिर्फ जहांगीर पुरी तक सीमित नहीं है. ये देशभर के सामाजिक ताने-बाने के खिलाफ है. लोकतंत्र नहीं रह गया है. कानून का शासन भी नहीं रहा. कैसे BJP अध्यक्ष कमिश्नर को चिट्ठी लिखकर कहते हैं कि तोड़फोड़ कीजिए. यह हर दंगा प्रभावित क्षेत्र में है. 1984 या 2002 में ऐसा कुछ नहीं था. अचानक क्यों?
दिल्ली के जहांगीरपुरी इलाके में हनुमान जयंती के मौके पर अचानक से हिंसा हुई थी, जिसमे कई लोग घायल हुए थे, एक पुलिसकर्मी को भी इस दौरान गोली लगी थी. अब तक इस मामले में 20 से भी ज्यादा लोगों को गिरफ्तार किया गया है, जबकि पांच लोगों के खिलाफ एनएसए के तहत केस दर्ज किया गया है.
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