सांसद व अभिनेता शत्रुघ्न सिन्हा (फाइल फोटो).
नई दिल्ली:
बीजेपी सांसद शत्रुघ्न सिन्हा ने बुधवार को अप्रत्यक्ष रूप से पीएम नरेंद्र मोदी, वित्त मंत्री अरुण जेटली और सूचना एवं प्रसारण मंत्री स्मृति ईरानी पर निशाना साधा. सिन्हा ने कहा कि लोगों में जीएसटी एवं नोटबंदी को लेकर गुस्सा है और यह बात साफ है कि गुजरात विधानसभा चुनाव बीजेपी के लिए महज ‘चुनाव’ नहीं बल्कि एक ‘चुनौती’ है.
कांग्रेस नेता मनीष तिवारी की एक किताब पर आयोजित पैनल चर्चा में सिन्हा ने तिवारी के साथ मंच साझा करते हुए आर्थिक मुद्दों पर अपनी टिप्पणियों का बचाव किया और कहा कि ‘‘अगर एक वकील वित्तीय मामलों की बात कर सकता है, अगर एक टीवी अभिनेत्री मानव संसाधन विकास मंत्री बन सकती हैं और एक ‘चायवाला’.......... बन सकता है....... तो मैं अर्थव्यवस्था की बात क्यों नहीं कर सकता?’’ हालांकि बीजेपी नेता ने किसी का नाम नहीं लिया, उनका इशारा साफ तौर पर वित्त मंत्री अरुण जेटली, पूर्व में एचआरडी मंत्री रहीं मौजूदा सूचना एवं प्रसारण मंत्री स्मृति ईरानी और प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की तरफ था.
यह भी पढ़ें : बीजेपी में 80 फीसदी लोग चाहते थे लालकृष्ण आडवाणी को राष्ट्रपति बनाना : शत्रुघ्न सिन्हा
सिन्हा ने यह भी कहा कि वह अपनी पार्टी को चुनौती नहीं दे रहे बल्कि बीजेपी के और राष्ट्रीय हित में ‘‘उसे आईना दिखा रहे हैं.’’ उन्होंने कहा, ‘‘ जीएसटी, नोटबंदी, बेरोजगारी को लेकर लोगों के गुस्से को देखते हुए मैं यह नहीं कहना चाहता कि बीजेपी को कितनी सीटें मिलेंगी लेकिन निश्चित तौर पर ये चुनाव एक विशेष चुनौती होने जा रहे हैं.’’ हालांकि पटना साहिब के सांसद ने कहा कि बीजेपी एकजुट रहकर अपनी सीटें बढ़ा सकती है और उसे चुनाव को हल्के में नहीं लेना चाहिए. उन्होंने कहा, ‘‘मैं बस इतना कहूंगा कि मामला गंभीर है और ये चुनाव नहीं बल्कि चुनौती हैं.’’ यह पूछे जाने पर कि क्या वह किसी दूसरे राजनीतिक दल में शामिल हो सकते हैं, सिन्हा ने अपने जाने पहचाने संवाद के साथ जवाब दिया , ‘‘खामोश.’’
शत्रुघ्न सिन्हा ने कहा कि सरकार को देश चलाने में पूर्व प्रधानमंत्री मनमोहन सिंह जैसे विपक्ष के ‘‘विशेषज्ञ एवं ज्ञानी लोगों’’ एवं दूसरे लोगों से सुझाव मांगने चाहिए. सांसद ने वित्त मंत्री अरुण जेटली द्वारा वरिष्ठ बीजेपी नेता यशवंत सिन्हा पर ‘‘80 साल की उम्र में नौकरी के आवेदक’’ संबंधी तंज कसने को लेकर वित्त मंत्री की भी आलोचना की. उन्होंने कहा, ‘‘वह (जेटली) खुद अपनी नौकरी से हाथ धो सकते हैं लेकिन दूसरों के लिए नौकरी सुझा रहे हैं.’’ सिन्हा ने दावा किया कि एक दिन उन्हें ‘‘एक बहुत बड़े’’ नेता ने फोन किया और पूछा कि वह नोटबंदी एवं जीएसटी पर ‘‘विपक्ष की भाषा’’ क्यों बोल रहे हैं. अभिनेता-नेता ने कहा कि उन्होंने जवाब में कहा कि जो भी उन्होंने कहा, वह राष्ट्र हित में था.
यह भी पढ़ें : शत्रुघ्न सिन्हा ने फिर दिखाया मोदी सरकार को आईना, जानें अब क्या कहा
इससे पहले सिन्हा ने अपने संबोधन के दौरान बीजेपी के वरिष्ठ नेता लालकृष्ण अडवाणी को ‘‘राजनीतिक क्षेत्र में उम्मीद की एक किरण’’ बताते हुए दुख जताया कि पूर्व उप प्रधानमंत्री को कोई पद नहीं दिया गया और उनकी भूमिका ‘‘सीमित’’ कर दी गई. सांसद ने किसी का नाम लिए बिना कहा, ‘‘उन्हें राष्ट्रपति बनाना तो दूर मंत्री तक नहीं बनाया गया. कइयों का करियर बनाने एवं बचाने के बावजूद आज वह खुद को इस स्थिति में पा रहे हैं.’’ विपक्ष के आठ नवंबर को ‘‘काला दिवस’’ और सत्तारूढ़ बीजेपी के ‘‘काला धन विरोधी दिवस’’ मनाने की घोषणा को देखते हुए सिन्हा ने पूछा कि काला धन कहां गया. प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने पिछले साल इसी दिन नोटबंदी की घोषणा की थी.
VIDEO : पार्टी से बगावत
सिन्हा ने कहा, ‘‘मैं उस दिन आडवाणीजी का जन्मदिन मनाऊंगा और उनसे आशीर्वाद मांगूंगा एवं मार्गदर्शन करने को कहूंगा.’’ उन्होंने कहा कि मुख्य विपक्षी दल कांग्रेस में ‘‘कई प्रतिभाएं’’ हैं और वे कांग्रेस अध्यक्ष सोनिया गांधी, उपाध्यक्ष राहुल गांधी और राकांपा प्रमुख शरद पवार एवं कुछ दूसरे विपक्षी नेताओं का सम्मान करते हैं.
(इनपुट एजेंसियों से)
कांग्रेस नेता मनीष तिवारी की एक किताब पर आयोजित पैनल चर्चा में सिन्हा ने तिवारी के साथ मंच साझा करते हुए आर्थिक मुद्दों पर अपनी टिप्पणियों का बचाव किया और कहा कि ‘‘अगर एक वकील वित्तीय मामलों की बात कर सकता है, अगर एक टीवी अभिनेत्री मानव संसाधन विकास मंत्री बन सकती हैं और एक ‘चायवाला’.......... बन सकता है....... तो मैं अर्थव्यवस्था की बात क्यों नहीं कर सकता?’’ हालांकि बीजेपी नेता ने किसी का नाम नहीं लिया, उनका इशारा साफ तौर पर वित्त मंत्री अरुण जेटली, पूर्व में एचआरडी मंत्री रहीं मौजूदा सूचना एवं प्रसारण मंत्री स्मृति ईरानी और प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की तरफ था.
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सिन्हा ने यह भी कहा कि वह अपनी पार्टी को चुनौती नहीं दे रहे बल्कि बीजेपी के और राष्ट्रीय हित में ‘‘उसे आईना दिखा रहे हैं.’’ उन्होंने कहा, ‘‘ जीएसटी, नोटबंदी, बेरोजगारी को लेकर लोगों के गुस्से को देखते हुए मैं यह नहीं कहना चाहता कि बीजेपी को कितनी सीटें मिलेंगी लेकिन निश्चित तौर पर ये चुनाव एक विशेष चुनौती होने जा रहे हैं.’’ हालांकि पटना साहिब के सांसद ने कहा कि बीजेपी एकजुट रहकर अपनी सीटें बढ़ा सकती है और उसे चुनाव को हल्के में नहीं लेना चाहिए. उन्होंने कहा, ‘‘मैं बस इतना कहूंगा कि मामला गंभीर है और ये चुनाव नहीं बल्कि चुनौती हैं.’’ यह पूछे जाने पर कि क्या वह किसी दूसरे राजनीतिक दल में शामिल हो सकते हैं, सिन्हा ने अपने जाने पहचाने संवाद के साथ जवाब दिया , ‘‘खामोश.’’
शत्रुघ्न सिन्हा ने कहा कि सरकार को देश चलाने में पूर्व प्रधानमंत्री मनमोहन सिंह जैसे विपक्ष के ‘‘विशेषज्ञ एवं ज्ञानी लोगों’’ एवं दूसरे लोगों से सुझाव मांगने चाहिए. सांसद ने वित्त मंत्री अरुण जेटली द्वारा वरिष्ठ बीजेपी नेता यशवंत सिन्हा पर ‘‘80 साल की उम्र में नौकरी के आवेदक’’ संबंधी तंज कसने को लेकर वित्त मंत्री की भी आलोचना की. उन्होंने कहा, ‘‘वह (जेटली) खुद अपनी नौकरी से हाथ धो सकते हैं लेकिन दूसरों के लिए नौकरी सुझा रहे हैं.’’ सिन्हा ने दावा किया कि एक दिन उन्हें ‘‘एक बहुत बड़े’’ नेता ने फोन किया और पूछा कि वह नोटबंदी एवं जीएसटी पर ‘‘विपक्ष की भाषा’’ क्यों बोल रहे हैं. अभिनेता-नेता ने कहा कि उन्होंने जवाब में कहा कि जो भी उन्होंने कहा, वह राष्ट्र हित में था.
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इससे पहले सिन्हा ने अपने संबोधन के दौरान बीजेपी के वरिष्ठ नेता लालकृष्ण अडवाणी को ‘‘राजनीतिक क्षेत्र में उम्मीद की एक किरण’’ बताते हुए दुख जताया कि पूर्व उप प्रधानमंत्री को कोई पद नहीं दिया गया और उनकी भूमिका ‘‘सीमित’’ कर दी गई. सांसद ने किसी का नाम लिए बिना कहा, ‘‘उन्हें राष्ट्रपति बनाना तो दूर मंत्री तक नहीं बनाया गया. कइयों का करियर बनाने एवं बचाने के बावजूद आज वह खुद को इस स्थिति में पा रहे हैं.’’ विपक्ष के आठ नवंबर को ‘‘काला दिवस’’ और सत्तारूढ़ बीजेपी के ‘‘काला धन विरोधी दिवस’’ मनाने की घोषणा को देखते हुए सिन्हा ने पूछा कि काला धन कहां गया. प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने पिछले साल इसी दिन नोटबंदी की घोषणा की थी.
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सिन्हा ने कहा, ‘‘मैं उस दिन आडवाणीजी का जन्मदिन मनाऊंगा और उनसे आशीर्वाद मांगूंगा एवं मार्गदर्शन करने को कहूंगा.’’ उन्होंने कहा कि मुख्य विपक्षी दल कांग्रेस में ‘‘कई प्रतिभाएं’’ हैं और वे कांग्रेस अध्यक्ष सोनिया गांधी, उपाध्यक्ष राहुल गांधी और राकांपा प्रमुख शरद पवार एवं कुछ दूसरे विपक्षी नेताओं का सम्मान करते हैं.
(इनपुट एजेंसियों से)